11 की उम्र में पिता ने बेचा, पढ़ें, 7 बच्चों की मां बनी 28 वर्षीय महिला की आपबीती
भोपाल। माता-पिता को धरती पर ईश्वर का रूप माना गया है, लेकिन हर किसी नसीब में इनका प्यार नहीं होता। ऐसी ही कहानी है एक महिला की, जिसकी बदनसीबी की कहानी किसी और ने नहीं बल्कि उसी के पिता ने सिर्फ 5 हजार रुपए के लालच में महज 11 वर्ष की उम्र लिख दी। पिता ने बेटी को एक बार बेचा। इसके बाद उसे एक और बार बेचा गया। इस तरह वह तीन अलग-अलग पुरुषों के साथ रही और सात बच्चों को जन्म दिया। तीनों ने पुरुषों ने उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया। अब यह महिला मध्य प्रदेश के मंदसौर में महिला एवं बाल विकास के वन स्टेप सेंटर में रह रही है। यहां पर महिला को 10 दिन से ज्यादा नहीं रखा जा सकता है, लेकिन अब उसकी जिंदगी में एक मसीहा की एंट्री हो चुकी है।
सबसे पहले पिता ने नाहर सिंह को बेच दी बेटी, वहां 8 साल तक रही महिला
इस महिला की दर्दभरी कहानी तब सामने आई, जब सामाजिक कार्यकर्ता अनामिका जैन कुछ दिन पहले अस्पताल गईं। उन्हें एक गर्भवती महिला के बारे में सूचना मिली थी, तो वह उससे मिलने गईं। मध्य प्रदेश के उन्हेल की मूल निवासी महिला ने अनामिका को जब अपनी कहानी सुनाई तो उनकी आंखें नम हो गईं। महिला ने अनामिका को बताया कि जब वह 11 साल की थी तब उसके शराबी पिता ने सिर्फ 5 हजार रुपए में महिदपुर के रहने वाले नाहर सिंह को उसे बेच दिया था। उसके पास वह 8 साल तक रही और तीन बच्चों को जन्म दिया, लेकिन तीनों लड़कियां पैदा हुईं। लड़का न पैदा होने की वजह से नाहर सिंह ने उसे घर से निकाल दिया। तीनों बेटियां आज भी उसी के पास हैं।
21 साल की उम्र में महिला को पिता ने दोबारा बेच दिया
नाहर सिंह ने जब बेटी को घर से निकाला तो वह इस उम्मीद के साथ वापस पिता के पास लौटी कि शायद इस बार उसे रहम आ जाए। पिता ने उसे रखा भी, लेकिन सिर्फ तीन साल। महिला की उम्र अब 21 वर्ष हो चली थी और पिता ने दोबारा बेटी का सौदा कर दिया। इस बार उसने देवास के रहने वाले राकेश थापा को बेटी बेच दी। महिला राकेश के साथ रहने लगी और इस बार उसने दो बेटों को जन्म दिया, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। महिला ने बेटों को जन्म दिया पर वे जीवित नहीं रह सके। दोनों बच्चों की मौत के बाद राकेश भी महिला के साथ मारपीट करने लगा। परेशान होकर महिला वहां से चली गई।
इस बार दूर का एक रिश्तेदार जिंदगी में आया और साथ ले गया
अब महिला के जीवन में उसका एक दूर का रिश्तेदार आया। शाजापुर का रहने वाला देवेंद्र उसे यह कहकर अपने साथ ले गया, वह उससे शादी करेगा। महिला ने इस बार एक और बेटे को जन्म दिया। महिला जब दोबारा गर्भवती हो गई तो देवेंद्र गर्भपात का दबाव बनाने लगा। महिला गर्भपात नहीं चाहती थी। दोनों के बीच इस बात पर झगड़ा हुआ। एक जान-पहचान की महिला उसे स्वास्थ्य केंद्र पर ले गई, जहां उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। इस प्रकार से मंदसौर में महिला बच्चे को जन्म दिया, लेकिन किस्मत का खेल अभी बाकी था। जो महिला उसे अस्पताल लेकर आई थी, वह भी उसे बेचना चाहती थी। वह धमकी देने लगी और बच्चे को ले जाने लगी, लेकिन इस बार महिला को सहारा मिल गया। अस्पताल में मौजूद मरीजों ने उसे महिला का विरोध किया और पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस तक मामला पहुंचने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता अनामिका को महिला के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने उसे सहारा देने का फैसला किया। वन स्टेप सेंटर में महिला को 10 दिन से ज्यादा नहीं रखा जा सकता, इसलिए अनामिका ने महिला को अपने साथ ले जाने का फैसला किया है।