Farmers Protest UK: किसान आंदोलन के समर्थन में लंदन में जोरदार प्रदर्शन, भारतीय उच्चायोग के सामने लहराए गए खालिस्तानी झंडे
Farmers Protest UK: किसान आंदोलन के समर्थन में लंदन में जोरदार प्रदर्शन, भारतीय उच्चायोग के सामने लहराए गए खालिस्तानी झंडे
Farmers Protest UK: भारत के केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों का विरोध ब्रिटेन के मध्य लंदन में भी देखने को मिला। भारत के किसान आंदोलन के समर्थन में रविवार (06 दिसंबर) को भारतीय उच्चायोग के बाहर लोगों ने प्रदर्शन किया। उस दौरान वहां भीड़ जुट गई थी। जिसमें कोरोना के निमयों की अनदेखी की गई। हालांकि प्रदर्शन के दौरान स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने लोगों को काबू में किया। किसान आंदोलन के समर्थन में लंदन में हो रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान भारतीय उच्चायोग के सामने खालिस्तानी के झंडे भी लहराए गए। जिसका वीडियो भी सामने आया है। इस दौरान भारत की नरेंद्र मोदी सरकार के विरोध में नारे भी लगाए।
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न्यूज एजेंसी द्वारा जारी वीडियो में देखा जा सकता है कि लंदन में प्रदर्शनकारी नरेंद्र मोदी सरकार विरोधी नारे लगा रहे हैं। हालांकि भारतीय उच्चायोग को लंदन पुलिस ने सुरक्षा की दृष्टी से चारों तरफ से घेर लिया था। भारतीय उच्चायोग के बाहर ब्रिटेन के अलग-अलग हिस्सों से प्रदर्शनकारियों के जमा होने से पहले पुलिस ने चेतावनी भी दी थी।
#WATCH: ‘Khalistani’ flags at a protest opposite Indian High Commission, London. The protest was to be against Indian farm laws. https://t.co/YeOWlFwokj pic.twitter.com/Ez5GF3MxzA
— ANI (@ANI) December 6, 2020
लंदन ने पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पहले ही चेतावनी ये कहते हुए दी थी कि कोरोना काल में सड़क पर 30 से ज्यादा लोग एकसाथ जमा नहीं हो सकते हैं। ऐसा करने पर लोगों को हिरासत में भी लिया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। पुलिस ने हालांकि प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया था।
लंदन में भारतीय उच्चायोग के सूत्रों के मुताबिक, विरोध के आयोजकों ने अधिकारियों को गुमराह किया, जिसमें लंदन में मेट्रोपॉलिटन पुलिस भी शामिल थीं।
सिख फेडरेशन यूके ने एक ट्वीट में कहा, जो यूके में सिखों का प्रतिनिधित्व करने का दावा कर रहे हैं लेकिन व्यापक रूप से यूके में खालिस्तान समर्थकों के लिए एक मोर्चा खोले हुए हैं।
पिछले हफ्ते 36 ब्रिटिश सांसदों ने भारत के किसान कानून का विरोध करते हुए ब्रिटेन के विदेश सचिव को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें उन्होंने कहा था, पंजाबी मूल के लेबर पार्टी के सांसदों के अलावा पाकिस्तानी और ब्रिटिश मूल के भी कई सांसद भी शामिल थे।