Farmers Protest: किसान नेता बोले, 'SC के जरिए सरकार बनाना चाह रही कमेटी, नहीं करेंगे स्वीकार'
Farmers Protest Update: मंगलवार को किसान आंदोलन और कृषि कानूनों पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगाते हुए इस पर चर्चा के लिए एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया था जिसे किसान नेताओं ने अस्वीकार कर दिया। आंदोलन कर रहे किसान समूहों ने कहा कि वे इस कमेटी के साथ किसी भी चर्चा में हिस्सा नहीं लेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि वे इस कमेटी को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि इसमें शामिल लोग कृषि कानूनों के समर्थक हैं।

क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रमुख दर्शन पाल ने कहा "हमने पिछली रात ही एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी जिसमें कहा गया था कि हम सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्ता के लिए बनाई गई किसी भी कमेटी को स्वीकार नहीं करेंगे। हमें विश्वास था कि केंद्र अपने कंधे से बोझ हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से कमेटी का गठन करेगा।"
भारतीय किसान यूनियन (रजेवाल) के बलबीर सिंह रजेवाल ने कहा "हमने कल ही कहा था कि हम ऐसी किसी भी कमेटी के सामने नहीं जाएंगे। हमारा प्रदर्शन पहले की तरह जारी रहेगा। इस कमेटी के सभी सदस्य सरकार समर्थक हैं और सरकार के कानूनों को समर्थन कर रहे थे।"
कमेटी में बदलाव पर भी बात नहीं
किसान नेताओं ने कहा कि हमें लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के जरिए सरकार ये कमेटी ला रही है। ये कमेटी केवल ध्यान भटकाने के लिए है। किसान नेताओं ने ये भी कहा कि अगर कमेटी के सदस्यों बदल दिया जाता है तो भी वह इससे बातचीत के लिए तैयार नहीं होंगे।
किसानों का कहना है कि ये अच्छी बात है कि इन कानूनों को लागू किए जाने पर रोक लगा दी गई है। ये फैसला स्वागत योग्य है लेकिन ये हमारा अधिकार था और हम कृषि कानूनों को वापस लिए जाने से कम पर कुछ भी नहीं स्वीकार करेंगे।
26 जनवरी को करेंगे मार्च
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद भी किसान 26 जनवरी को दिल्ली में जाने को तैयार हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चिंता जताई थी कि अगर गणतंत्र दिवस की परेड में बाधा पहुंचाई जाती है तो 'राष्ट्र के लिए ये शर्मिंदगी' की बात होगी।
किसान संघ का कहना है कि "26 जनवरी का हमारा कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्वक रहने वाला है। कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि हम लाल किले पर या संसद जा रहे हैं। ये मार्च किस तरह से होगा इस पर 15 जनवरी के बाद फैसला किया जाएगा। हम कभी भी हिंसा बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
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