नवाब मलिक: ईडी ने चार्जशीट में किए कई खुलासे, दाऊद को आतंक के लिए दिए पैसे, गोवावाला कंपाउंड को ऐसे किया कब्जा
मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ईडी ने नवाब मलिक के दाऊद इब्राहिम कनेक्शन को लेकर कई खुलासे किए हैं।
नई दिल्ली, 22 मई: मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ईडी ने नवाब मलिक के दाऊद इब्राहिम कनेक्शन को लेकर कई खुलासे किए हैं। इस बीच सॉलिडस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पूर्व कर्मचारी ने भी कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि नवाब मलिक ने यह कंपनी मूल मालिक से यह दिखाते हुए लिया था कि वह राष्ट्र हित में काम कर रहा है।
टीएन शेषाद्रि अयंगर ने 20 दिसंबर 2021 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिए एक बयान में कहा था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता नवाब मलिक को गोवावाला परिसर में कैसे प्रवेश मिला। ईडी की रिमांड रिपोर्ट में कहा गया था कि मलिक ने संपत्ति के लिए जो पैसा दिया था, उसका इस्तेमाल दाऊद की आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए किया गया था। अयंगर ने कनुभाई पटेल के प्रबंधक या निजी सहायक के रूप में काम किया। कनुभाई सॉलिडस इन्वेस्टमेंट के मूल मालिक थे, जिसे मलिक ने अपने कब्जे में ले लिया था।
नवाब मलिक के पिता ने बेटे से मिलने को कनुभाई से किया अनुरोध
अयंगर ने अपने बयान में कहा कि नवाब मलिक के पिता मलिक मोहम्मद इस्लाम मेरे ऑफिस यूपी से कनुभाई से मिलने आए थे। वे कनुभाई को दो दशक से अधिक समय से जानते थे। मलिक इस्लाम ने अपने बेटे नवाब मलिक के लिए कनुभाई का सपोर्ट मांगा। अयंगर के अनुसार, मलिक इस्लाम चाहता था कि कनुभाई अपने परिसर की आवश्यकता को समझें जो अप्रयुक्त पड़ा हुआ था। उन्होंने कहा कि इससे नवाब मलिक को मदद मिल सकती है और यहां तक कि उनसे अपने बेटे से मिलने का अनुरोध भी किया।
कनुभाई का नवाब मलिक के पिता से थे पुराने संबंध
अयंगर के अनुसार, मलिक इस्लाम चाहता था कि कनुभाई अपने परिसर की आवश्यकता को समझें जो अप्रयुक्त पड़ा हुआ था। उन्होंने कहा कि इससे नवाब मलिक को मदद मिल सकती है और यहां तक कि उनसे अपने बेटे से मिलने का अनुरोध भी किया। नवाब मलिक की मदद करने के लिए कनुभाई तैयार हो गए, क्योंकि इस्लाम मलिक के साथ उनके काफी सालों से व्यापारिक संबंध थे। अयंगर के मुताबिक, 2002-03 में मलिक पहले से ही महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे।
ये था नवाब मलिक का प्लान
मंत्रलय में नवाब मलिक के साथ अयंगर की मुलाकात 30 मिनट तक चली, जहां मलिक ने उन्हें झोपड़ियों में रहने वाले कुर्ला के गरीब लोगों के लिए अपनी प्रस्तावित सार्वजनिक सेवा के बारे में समझाया। नवाब मलिक ने उन्हें यह समझाने की भी कोशिश की कि सरकार के प्रस्ताव के लिए उनकी योजना पश्चिमी उपनगर को पूर्वी उपनगर से जोड़ने के लिए नए राजमार्ग और फ्लाईओवर का निर्माण करने और नए बने रेलवे स्टेशन, लोकमान्य तिलक टर्मिनल (कुर्ला) को जोड़ने की थी।
गरीब परिवारों को हटाने के लिए बनाई योजना
नवाब मलिक ने यह भी कहा कि इस परियोजना के लिए बड़ी समस्या प्रस्तावित फ्लाईओवर परियोजना के लेआउट क्षेत्र में रहने वाले लगभग 360 परिवारों की झोपड़ियां थीं, इन परिवारों को वैकल्पिक आवास में स्थानांतरित करने की आवश्यकता होगी, जिसके लिए उन्हें समय चाहिए था। नवाब मलिक ने अयंगर से राष्ट्रीय हित के नाम पर उनकी मदद करने का अनुरोध किया, क्योंकि वह फ्लाईओवर बनने तक कुछ वर्षों के लिए गोदामों के परिसर को सरकार को 1 रुपये प्रति वर्ष की दर से पट्टे पर देने की योजना बना रहे थे।
इस तरह से लिया कब्जे में
अयंगर मलिक के प्रस्ताव से प्रभावित थे और उनकी मदद के लिए तैयार हो गए। जब अयंगर ने कनुभाई को अपनी बातचीत के बारे में बताया तो कनुभाई भी प्रभावित हुए और उन्होंने नवाब मलिक की मदद करने का फैसला किया। कनुभाई ने गोवावाला कंपाउंड के रेंट कलेक्टर रहमान खान को बताया और अपनी कंपनी सॉलिडस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की प्रक्रिया शुरू की।
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