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पांच बड़ी वजहें, धमकी के बाद डोकलाम से पीछे क्यों हटा चीन

डोकलाम में चीन के पीछे हटने की हैं ये पांच वजहें

By Rizwan
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नई दिल्ली। डोकलाम में बीते ढाई महीने से भारत और चीन की सेनाओं में तनातनी के बीच आखिर दोनों देश अपनी-अपनी सेना यहां से हटाने को तैयार हो गए हैं। डोकलाम में चीन के सड़क बनाने को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद बीते ढाई महीने से जमकर दोनों तरफ से तनाव है और बयानबाजी भी हो रही है। चीन लगातार भारत से अपनी सेना हटाने को कह रहा था लेकिन भारत का कहना था कि दोनों देश सेना हटाएं और इस पर बातचीत के जरिए हल निकालें। अब चीन अपनी सेना हटाने को राजी हुआ है तो इसके पीछे ये वजहें मानी जा सकती हैं।

doklam standoff 5 resons why china ready to move back its military

व्यापार एक अहम कारण

व्यापार एक अहम कारण

चीन ने लगातार भारत को धमकाने की कोशिश की लेकिन भारत के ना झुकने पर आखिर उसे सेना हटाने के लिए विवश होना पड़ा। इसक एक वजह युद्ध की स्थिति में उसके व्यापार को होने वाले नुकसान को भी माना जा रहा है। चीन ने दुनियाभर के बाजार पर बीते कुछ सालों में काफी प्रभाव बनाया है। खासतौर से भारत में चीन के सामान की एक बड़ी मार्किट है, अगर भारत के बाजार से चीन के निकलना पड़ता तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ता। ऐसे में जंग होने पर उसके व्यापार पर बुरा प्रभाव पड़ता और ये चीन नहीं चाहता था।

बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव

बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव

दो देशों के बीच टकराव में विश्व के दूसरे देशों का रुख क्या है, ये एक अहम बात मानी जाती है। दो महीने से ज्यादा से चल रहे डोकलमा विवाद में विश्व के ज्यादातर देश भारत की तरफ खड़े आए। दुनियाभर के देशों ने चीन की दादागिरी पर उसका साथ नहीं दिया। पड़ोसी देशों में भी पाकिस्तान को छोड़ ज्यादातर देश भारत की तरफदारी ही करते दिखे। दुनिया के दूसरे देशों का रुख भारत की तरफ होना कहीं ना कहीं चीन पर दबाव की बड़ी वजह रहा।

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युद्ध में नुकसान

युद्ध में नुकसान

चीनी मीडिया बार-बार भारत को 1962 के युद्ध का सबक याद रखने के लिए कहता रहा। चीन अपनी सीमा के आसपास संचार तंत्र के मजबूत होने की बात भी अप्रत्यक्ष तौर पर भारत को कहता रहा लेकिन इस बात का अहसास चीन को भी रहा कि जंग होने पर उसको भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि भारत अब 1962 का देश नहीं रहा है। ऐसे में पहले से ही कई विशेषज्ञ इस बात को मान रहे थे कि भले भी चीन कितनी भी कड़ी भाषा बोल रहा हो लेकिन वो कभी भी भारत के खिलाफ युद्ध का जोखिम मोल नहीं लेगा, ये बात ठीक भी साबित हुई।

विस्तारवादी नीति को लेकर आलोचना

विस्तारवादी नीति को लेकर आलोचना

चीन की विस्तारवादी नीति की ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में आलोचना होती रही है। वो इसे अक्सर अनसुना करता रहा है। चीन पाक आर्थिक गलियारा के रूप में विकसित कर रहे हैं। इसका भी भारत विरोध करता रहा है, अब वो डोकलाम को सड़क के जरिए अपने शहरों से जोड़ने की कोशिश कर रहा था तो इसकी आलोचना हो रही थी और इससे चीन भी अंजान नहीं था।

दक्षिण चीन सागर में विवाद

दक्षिण चीन सागर में विवाद

35 लाख वर्गमील जल क्षेत्र में बसा दक्षिण चीन सागर, प्रशांत महासागर का हिस्सा है। इस पर कई देशों के साथ चीन का विवाद है। साउथ चाइना सी में चीन तमाम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए अपन मनमानी करता रहा है। यहां मलेशिया, ताइवान, वियतनाम, ब्रुनई जैसे देश भी दावा करते रहे हैं। इस क्षेत्र में पहले से ही कई देशों के साथ तनातनी में फंसा चीन डोकलाम में कोई नई परेशानी नहीं चाहता था। ऐसे में चीन ने अपनी सेना पीछे हटा संवाद को ही सही रास्ता माना।

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English summary
doklam standoff 5 resons why china ready to move back its military
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