क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Scribe in Exams : बिजनेस बनती जा रही नेक नीयत से शुरू की गई सुविधा, नेशनल बैंक की मांग

देखने में अक्षम होने के बावजूद पढ़ाई और परीक्षा की चाह रखने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए स्क्राइब यानी लेखक की सुविधा दी जाती है। सवाल उठ रहा है, क्या परीक्षा में 'स्क्राइब सर्विस' 'बिजनेस' में बदल रही है?

Google Oneindia News

नई दिल्ली, 11 अगस्त : दिव्यांग या दृष्टिबाधित लोगों की लिखित परीक्षा के लिए 2,000 से 5 लाख रुपये तक का शुल्क देना होता है। इसे स्क्राइब सर्विस के रूप में जाना जाता है। हालांकि, इस सुविधा का गलत इस्तेमाल भी किया जा रहा है। परीक्षा लिखने वालों की कमी के कारण लाखों रुपये डिमांड के अलावा गैरकानूनी 'स्क्राइब बिजनेस' भी चिंता का सबब बनती जा रही है। ऐसे में एक्टिविस्ट सवाल कर रहे हैं कि परीक्षा लिखने के लिए लाखों रुपये चार्ज करने से लेकर 'प्रॉक्सी कैंडिडेट्स' की पेशकश तक, क्या परीक्षा 'स्क्राइब सर्विस' 'बिजनेस' में बदलती जा रही है? परीक्षाओं में दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए स्क्राइब की कमी और बड़े पैमाने पर अवैध 'स्क्राइब बिजनेस' के मद्देनजर सामाजिक कार्यकर्ता अब राष्ट्रीय स्क्राइब बैंकों की मांग कर रहे हैं।

national scribe banks

दरअसल, दृष्टिबाधित छात्रों को स्क्राइब के रूप में दी जाने वाली सहायता एक व्यवसाय में बदलती जा रही है। जहां एक ओर योग्य छात्रों को स्क्राइब प्राप्त करना मुश्किल होता है, दूसरी ओर, कई 'कोचिंग संस्थान' स्क्राइब को पेपर हल करने के लिए 'प्रॉक्सी' उम्मीदवारों के रूप में पेश कर रहे हैं। छात्रों की ओर से बदले में लाखों रुपये चुकाए जाते हैं। परीक्षाओं की जटिलता के आधार पर, कई दृष्टिबाधित उम्मीदवारों से कथित तौर स्क्राइब मुहैया कराने के बदले 1 लाख से 5 लाख रुपये तक मांगे गए हैं।

स्क्राइब के गैरकानूनी पेशे के संबंध में न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक परीक्षाओं में बड़ी मात्रा में पैसे के बदले स्क्राइब एक अनकहा मानदंड बन गया है। पैसों की भूमिका बढ़ने के कारण उम्मीदवारों, विशेष रूप से कम इनकम या आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों का नुकसान होता है। इस रिपोर्ट में लिखा गया, 31 वर्षीय दृष्टिबाधित सतवीर जोगी 2021 में अपनी परीक्षा नहीं दे सके, क्योंकि तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें एक अदद स्क्राइब नहीं मिल सका। पिछले कुछ वर्षों में कई सरकारी परीक्षाओं में आवेदन करने वाले सतवीर जोगी के लिए स्क्राइब की व्यवस्था करना हमेशा एक चुनौती रही है।

जोगी बताते हैं, दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए ऑनलाइन और भौतिक स्टडी मैटेरियल की कमी है। इस कारण दृष्टिहीन उम्मीदवारों के लिए तुलनात्मक रूप से परीक्षा की तैयारी भी अधिक कठिन है। परेशानी दूर करने के लिए स्क्राइब खोजना सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में परीक्षाएं हमारे लिए कैसे निष्पक्ष और समान हो सकती हैं? उन्होंने बताया, मैंने अपना पेपर लिखने के लिए लेखकों को कई मौकों पर 1,000 रुपये से 2,000 रुपये तक दिए हैं। यदि कोई दृष्टिबाधित उम्मीदवार भाग्यशाली होता है, तो उन्हें कभी-कभी समय पर एक स्वयंसेवी स्क्राइब मिल जाता है। ऐसा न होने पर परीक्षा में बैठने के लिए स्क्राइब मनमाने पैसे मांगते हैं। उन्होंने कहा कि लिपिकों को प्रॉक्सी उम्मीदवारों के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

संसाधनों की कमी और दृष्टिबाधित लोगों के लिए सीमित वैकेंसी के कारण लोग अवैध रास्ता भी अपनाने लगे हैं। नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड के सचिव एसके सिंह ने दावा किया कि स्क्राइब अब बिजनेस में बदल चुका है, ये बात किसी से छिपी हुई नहीं है। उन्होंने स्क्राइब की कमी और अन्य चुनौतियों में परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं होना और दृष्टिबाधित लोगों के लिए नौकरी के अवसर कमर हैं। बता दें कि एसके सिंह दृष्टिबाधित लोगों के अधिकार के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ता के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षा में बैठने के लिए स्क्राइब 2,000 से लेकर 5 लाख रुपये तक की डिमांड करते हैं। एसके सिंह ने आरोप लगाया कि अधिक पैसे की मांग के साथ स्क्राइब उम्मीदवार की ओर से परीक्षा की तैयारी करने जैसी सेवाएं भी देते हैं।

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी दर अब तक के उच्चतम स्तर पर है। हर कोई नौकरी सुरक्षित करना चाहता है। कई स्क्राइब इसे पैसा कमाने का अवसर बना रहे हैं। परीक्षा में बैठने के लिए 2,000 से लेकर 5 लाख रुपये तक की डिमांड की जा रही हैं। कहा जाता है, 'हमारे स्क्राइब के साथ परीक्षा पास करने की चिंता न करें।'

गैरकानूनी स्क्राइब के बारे में न्यूज18 की रिपोर्ट में लिखा गया, कुछ लोगों से संपर्क करने की कोशिश की गई। ऐसा ही एक व्यक्ति मुंबई में कोचिंग सेंटर चलाता है। उसने कहा, हमारी एक अकादमी है। आपको केवल हमें सिलेबस देना है और हमें उम्मीदवार से मिलाना है। हम इसमें काफी अनुभवी हैं, इसलिए आपको परीक्षा पास करने की चिंता करने की जरूरत नहीं है।" उन्होंने कहा, शिक्षकों से लेकर छात्रों तक उनकी अकादमी में सभी उम्र और विभिन्न परीक्षाओं के लिए स्क्राइब मिल जाते हैं।

स्क्राइब के बदले ली जाने वाली फीस पर मुंबई के कोचिंग संचालक ने कहा कि यह परीक्षा पर निर्भर करता है। उन्होंने बताया कि गैर-तकनीकी परीक्षाओं के लिए शुल्क कम है। तकनीकी परीक्षाओं में शुल्क अधिक लगता है, लेकिन शुल्क चिंताजनक नहीं है क्योंकि पैसे किस्तों में भी चुकाए जा सकते हैं। एक उम्मीदवार नौकरी मिलने के बाद भी भुगतान कर सकता है। उन्होंने कहा कि अभी तक स्क्राइब बिजनेस में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।' हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि उन्हें परीक्षाओं में किसी भी तरह के 'स्क्राइब बिजनेस' की जानकारी नहीं है।

स्क्राइब के लिए पैसों की डिमांड के संबंध में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारिता विभाग के हवाले से न्यूज18 की रिपोर्ट में लिखा गया, एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "अब तक हमें 'स्क्राइब बिजनेस' की कोई शिकायत नहीं मिली है।" बता दें कि यह विभाग सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन काम करता है। विभाग की ओर से कहा गया, भविष्य में अगर स्क्राइब बिजनेस जैसी कोई शिकायत मिलती है तो हम इसके बारे में पूछताछ करेंगे। यदि नीति के दुरुपयोग की खबरें आती हैं, तो राज्य सरकार इसकी जांच कर सकती है। अधिकारी ने बताया, नीति उम्मीदवारों को बेहतर अवसर मिले, इसलिए बनाई गई है। हालांकि, ऐसे लोग हैं जो खामियों का फायदा उठा सकते हैं, लेकिन इस पर गौर करने के लिए निकाय का गठन किया गया है।

स्क्राइब की उपलब्धता और योग्यता को लेकर अधिकारियों के बीच सहमति का अभाव है। अधिकारी कथित रूप से स्क्राइब सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए दिशा-निर्देशों को लागू करने के बारे में आम सहमति बनाने में भी विफल रहे हैं। जबकि सामाजिक न्याय और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों ने अगस्त 2018 में बेंचमार्क विकलांग व्यक्तियों के लिए दिशानिर्देश प्रकाशित किए जा चुके हैं। उम्मीदवारों को अपने स्वयं के स्क्राइब लाने या परीक्षा आयोजित करने वाले निकाय से अनुरोध करने का विकल्प मिलता है। कई मामलों में अधिकारी उम्मीदवारों को खुद का स्क्राइब लाने से मना भी करते हैं।

हाल ही में तेलंगाना में आयोजित TS TET परीक्षा में, कई उम्मीदवारों को परीक्षा से कुछ घंटे पहले तक नहीं पता था कि उन्हें स्क्राइब मिलेगा या नहीं। तेलंगाना के विभिन्न जिलों के उम्मीदवारों ने बताया, प्रवेश पत्र में 40 प्रतिशत विकलांगता वाले उम्मीदवार स्क्राइब का लाभ उठा सकते हैं, इसका उल्लेख किया गया है, लेकिन इस बात का कोई उल्लेख नहीं था कि क्या उन्हें परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था स्क्राइब देगी या छात्रों को परीक्षा के लिए स्क्राइब खुद लाना होगा। राज्य के विभिन्न जिलों में स्थापित TS TET हेल्पडेस्क से उम्मीदवारों को मिली-जुली जानकारी मिली। ऐसे में उम्मीदवारों में भ्रम की स्थिति बढ़ गई।

स्क्राइब की उपलब्धता पर दावों की पुष्टि के सवाल पर न्यूज 18 की रिपोर्ट में बताया गया, कुछ जिला हेल्पडेस्क नंबरों पर कॉल करने की कोशिश की गई। हैदराबाद हेल्पडेस्क के एक ऑपरेटर ने कहा कि उम्मीदवारों को परीक्षा से एक दिन पहले परीक्षा केंद्र पर जाकर प्रशासन को सूचित करना होगा कि उन्हें स्क्राइब की जरूरत है। उसके बाद स्क्राइब आवंटित किया जाएगा। खम्मम हेल्पडेस्क ने कहा कि उम्मीदवार अपने स्क्राइब ला सकते हैं, लेकिन ऐसे कैंडिडेट केवल 9वीं क्लास पास होने चाहिए। हैदराबाद के हेल्पडेस्क ने दावा किया कि उम्मीदवार अपना स्क्राइब नहीं ला सकते, केवल परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था (स्कूल शिक्षा विभाग) विकलांग उम्मीदवारों को स्क्राइब मुहैया कराएगी।

खबर के मुताबिक तेलंगाना में शिक्षक योग्यता परीक्षा (टीईटी) की संयोजक राधा रेड्डी ने उम्मीदवारों के बीच भ्रम के दावों का खंडन किया। उन्होंने कहा, उम्मीदवारों में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए क्योंकि ये परीक्षाएं हर साल होती हैं और उम्मीदवारों को पता होना चाहिए कि छात्रों को अपने स्क्राइब लाने की परमिशन नहीं। उन्होंने कहा कि जो लोग विकलांगता के मानदंडों को पूरा करते हैं, उन्हें परीक्षा केंद्र पर स्क्राइब दिया जाता है।

हालांकि यह भी दिलचस्प है कि मंत्रालय के दिशा-निर्देशों में स्पष्ट उल्लेख है कि उम्मीदवारों के पास दोनों विकल्प हैं, यानी परीक्षा आयोजित करने वाले निकाय से स्क्राइब की डिमांड करना या खुद का स्क्राइब लाना। लेकिन अक्सर राज्य-स्तर पर नियम बदलते रहते हैं।

स्क्राइब की योग्यता की जानकारी से संबंध में TS TET के संयोजक ने बताया कि स्क्राइब कक्षा 9वीं पास और इंटर पास ही हो सकते हैं। हालांकि, मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश में कहा गया है कि जिस परीक्षा में स्क्राइब की जरूरत पड़ रही है, उसकी न्यूनतम योग्यता मानदंड से अधिक शैक्षणिक योग्यता का व्यक्ति स्क्राइब नहीं होना चाहिए। यह भी स्पष्ट है कि स्क्राइब की योग्यता हमेशा मैट्रिक या उससे ऊपर ही होनी चाहिए।

बता दें कि कई राज्यों में शैक्षिक और भर्ती परीक्षाओं में स्क्राइब की उपलब्धता और योग्यता पर भ्रम की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ऐसे में अब दृष्टिबाधितों या दिव्यांगों के अधिकारों की मांग करने वाले कार्यकर्ता राष्ट्री या राज्य स्तरीय स्क्राइब पूल की मांग कर रहे हैं। कार्यकर्ता सरकार से स्क्राइब बैंक बनाने की मांग कर रहे हैं ताकि कोई भी परीक्षार्थी स्वेच्छा से प्रमाणित स्क्राइब का लाभ उठा सके। ऐसा लगता है कि इस उपाय से प्रॉक्सी उम्मीदवार बिजनेस पर भी लगाम लगाई जा सकती है। बढ़ते अवैध स्क्राइब बिजनेस के कारण पर एक्टिविस्ट का कहना है कि केंद्रीय या राज्य-विनियमित स्क्राइब पूल की कमी होने के कारण ऐसा हो रहा है। पूल बनाने पर इसे कोई भी एक्सेस कर सकता है। लेकिन फिलहाल जिन लोगों को स्क्राइब चाहिए उनका संकट इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि देश भर में स्क्राइब से संबंधित दिशा-निर्देश अस्पष्ट हैं।

एक्टिविस्ट एसके सिंह कहते हैं, सरकार परीक्षा में गड़बड़ी को रोकने के लिए योग्यता दिशानिर्देश लेकर आई थी, लेकिन यह केवल छात्रों के खिलाफ काम कर रही है। कदाचार पर अंकुश लगाने के कई तरीके हो सकते हैं। निरीक्षकों पर यह जांचने का दायित्व क्यों नहीं है कि उम्मीदवार अपने स्क्राइब की मदद ले रहे हैं या नहीं? स्क्राइब की योग्यता पर एक सीमा लगाने से दृष्टिबाधित और अन्य विकलांग उम्मीदवार परीक्षा में शामिल होने से वंचित रह सकते है।

विकलांगों के अधिकारों के लिए राष्ट्रीय मंच के महासचिव मुरलीधरन ने कहा कि स्क्राइब के लिए मानदंड फिक्स करने से उम्मीदवारों के लिए स्क्राइब ढूंढना कठिन बन जाएगा। उन्होंने कहा, "यदि एक राष्ट्रीय और राज्य स्क्राइब बैंक बनाया जाए तो इससे स्क्राइब बिजनेस जैसी कुप्रथाओं पर स्वत: अंकुश लग जाएगा।"

नेत्रहीनों के अखिल भारतीय सम्मेलन के संस्थापक, जे एल पॉल ने कहा, "विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत सभी दृष्टिबाधित लोगों को भी शिक्षा का अधिकार है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें अधिकार मिले। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से यह सुनिश्चित करने के लिए कोई उचित प्रयास नहीं किए गए हैं कि सभी दृष्टिबाधित छात्रों को एक स्क्राइब मिले। इसके लिए एक राष्ट्रीय और एक स्टेट स्क्राइब बैंक बहुत फायदेमंद होगा।

दृष्टिबाधित छात्र अनिमेष ने स्क्राइब योग्यता कानून को कठोर करार दिया। उन्होंने क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बैंगलोर से इंटरनेशनल रिलेशंस में एमए की डिग्री हासिल की है। उन्होंने कहा, सरकार के पास कदाचार रोकने के लिए नियम हैं लेकिन साथ ही हमारा बुनियादी ढांचा इतना विकसित नहीं है। पहले सरकार को एक नेटवर्क विकसित करना चाहिए। फिर इस तरह के दिशा-निर्देशों का इस्तेमाल होना चाहिए। ओला और उबर की तरह, ऑनलाइन स्क्राइब पूल ऐप होने चाहिए, जिसके माध्यम से उम्मीदवार स्क्राइब की जांच कर सकें। उनकी योग्यताएं के मुताबिक उनके साथ परीक्षा की प्रैक्टिस कर सकें।"

ये भी पढ़ें- Revdi Culture : क्या PM मोदी के खिलाफ जा रहे हैं CM योगी आदित्यनाथ ? ट्विटर पर ट्रेंड हुआ #YogiOpposesModiये भी पढ़ें- Revdi Culture : क्या PM मोदी के खिलाफ जा रहे हैं CM योगी आदित्यनाथ ? ट्विटर पर ट्रेंड हुआ #YogiOpposesModi

English summary
demand of national scribe banks amid rampant illegal scribe business
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X