रणबीर फर्जी एनकाउंंटर मामले में 7 पुलिसकर्मी दोषी करार, कोर्ट ने 11 को किया रिहा
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 में देहरादून में एमबीए स्टूडेंट रणवीर की हत्या के मामले में सात लोगों को दोषी करार दिया है। 3 जुलाई, 2009 में हुए इस एनकाउंटर मामले में कोर्ट ने 11 पुलिस कर्मियों को मामले से बरी कर दिया गया है। इस मामले में 18 पुलिसकर्मियों ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इन सभी पुलिकर्मियों को 2009 के मामले में स्थानीय अदालत ने दोषी करार दिया था।
17 पुलिसकर्मियों को हत्या के मामले में दोषी
तीस हजारी कोर्ट ने जून 2014 में 17 पुलिसकर्मियों को हत्या, अपहरण, सुबूत मिटाने और आपराधिक साजिश रचने व उसे अंजाम देने के मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी, वहीं एक आरोपी जसपाल सिंह गोसांई को हत्या, अपहरण व सुबूत मिटाने के मामले में बरी कर दिया था। 2 जुलाई 2009 में गाजियाबाद के शालीमार गार्डन निवासी एमबीए छात्र रणवीर सिंह अपने एक साथी के साथ घूमने व नौकरी के लिए साक्षात्कार देने के मकसद से देहरादून गया था।
पुलिसवालों से हुआ झगड़ा तो जंगल में ले जाकर किया एनकाउंट
वहां पर 3 जुलाई को किसी बात पर उसकी उत्तराखंड पुलिस के कुछ अधिकारियों से झगड़ा हो गया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया औऱ जंगल में ले जाकर गोलीमार दी। जिसे उन्होंने एनकाउंटर का नाम दिया। इस फर्जी एनकाउंटर को सही ठहराने के लिए पुलिस ने रणवीर के शव के पास से एक रिवाल्वर और एक देसी तमंचा बरामद दिखाया। रणवीर के पिता रविंद्र सिंह ने एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए घटना की जांच की मांग की।
रणवीर को मारी थी 29 गोलियां
इस मामले की जब सीबीआई जांच की गई तो फर्जी एनकाउंटर का खुलासा हुआ। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि पुलिस ने रणवीर को 29 गोलियां मारी थी। इनमें से 17 गोलियां बेहद करीब से मारी गई थीं। सीबीआइ जांच में 18 पुलिसकर्मी आरोपी बनाया था। यहीं नहीं सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया था कि पुलिसकर्मी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर केस में दखल डाल सकते हैं। सीबीआई ने इस मामले में दिसंबर, 2009 में अपनी चार्जशीट दाखिल की। बाद में परिजनों की मांग पर सन 2011 में मामले को दिल्ली में सीबीआई की विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया।