दिल्ली हाईकोर्ट ने JK के सांसदों को संसद में प्रवेश से रोकने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर के सांसदों का संसद में प्रवेश रोकने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसले को सुरक्षित कर लिया है। पांच अगस्त को राज्य में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से सांसदों से पूराने लाभ को पुन: बहाल किए जाने की मांग की गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट जल्द ही इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगी।
बता दें कि, पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर के सांसदों को संसद भवन में प्रवेश करने से रोकने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में सवाल खड़े किए थे। याचिका में आरोप लगाए गए हैं कि राज्य भंग किए जाने के बावजूद वे अवैध रूप से अपनी सीटों पर काबिज हैं। संसदीय मामलों के मंत्रालय ने हाइकोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त प्रोफेसर को अदालत जाने से पहले अधिकारियों के समक्ष मुद्दे को उठाना चाहिए था।
कोर्ट में मंत्रालय का प्रतिनिधित्व केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी ने किया। याचिकाकर्ता ने कहा कि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला सहित जम्मू-कश्मीर के दस सांसद अब भी सीट पर काबिज हैं और सरकारी खर्च पर अब भी सारी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। न्यायाधीश बृजेश सेठी ने दोनों पक्षों को सुना और मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
याचिका में मांग की गई कि वह सभी 10 सांसदों को संसद में प्रवेश की इजाजत नहीं दें। भट आरटीआई और जनहित याचिकाएं दायर करने के लिए जाने जाते हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि संसद में पूर्ववर्ती राज्य के 10 सांसदों की मौजूदगी 'अनैतिक, अवैध और असंवैधानिक' है। इसमें मांग की गई है कि उन्हें अन्य सांसदों की तरह मिलने वाले वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं पर रोक लगनी चाहिए।
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