फेसबुक से इतना प्यार है तो नौकरी से इस्तीफा दे दीजिए- बैन पर हाई कोर्ट का सेना के ले. कर्नल को जवाब
नई दिल्ली। 15 जुलाई तक सेना में सर्विंग ऑफिसर और जवानों को 89 एप्स डिलीट करनी थीं। जिन एप्स को डिलीट करना था उसमें सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक और इंस्टाग्राम भी शामिल थे। इस सरकारी आदेश के खिलाफ एक लेफ्टिनेंट कर्नल की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने इन ऑफिसर को उच्च न्यायालय की तरफ से साफ कर दिया गया है कि उन्हें सेना की तरफ से दिए गए निर्देशों का पालन करना पड़ेगा। हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि या तो वह अपने संगठन के निर्देशों को मानें नहीं तो अपने पद से इस्तीफा दे दें।
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कभी भी प्रोफाइल बनाई जा सकती है
जम्मू कश्मीर में पोस्टेड आर्मी ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी की तरफ से निर्देशों के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने उन्हें दो टूक कह दिया है कि इस आदेश पर स्टे नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि यह मसला देश की सुरक्षा और रक्षा से जुड़ा है। कोर्ट ने उनके वकील से कहा, 'आप कृप्या डिलीट कर दें। आप एक नई प्रोफाइल हमेशा बन सकते हैं। यह ऐसे नहीं चल सकता है। आप एक संगठन का हिस्सा हैं। आपको नियमों को मानना ही पड़ेगा।' दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ और आशा मेनन की अगुवाई वाली बेंच मंगलवार को मामले पर सुनवाई कर रही थी।
'आप अपने पेपर्स डाल दीजिए
कोर्ट की तरफ से आगे कहा गया, 'अगर आपको फेसबुक इतना ही प्यारा है तो फिर अपने पेपर्स डाल दीजिए। देखिए, आपके पास विकल्प भी है कि आपको किसे चुनना है। आपके पास दूसरी च्वॉइसेज हैं जिन्हें एक बार अपनाने के बाद आप पीछे नहीं हट सकते हैं।' लेफ्टिनेंट कर्नल चौधरी ने केंद्र सरकार की छह जून को आई नीति को वापस लेने के लिए कोर्ट से निर्देश चाहे थे। सरकार की तरफ से छह जुलाई को फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत 89 और एप्स की लिस्ट जारी की गई थी। सेना ने सभी ऑफिसर्स और जवानों को आदेश दिया था कि वो सारे अकाउंट बंद कर इन ऐप्स को फोन से डिलीट करें। इन्हें 15 जुलाई तक की डेडलाइन दी गई थी।
फैमिली और फ्रेंड्स से कनेक्ट रखता FB
ले. कर्नल चौधरी ने याचिका में खुद को सक्रिय फेसबुक यूजर करार दिया है। उनका कहना है कि वह अपने करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों से फेसबुक के जरिए जुड़े रहते हैं। उनकी बेटी समेत परिवार के कई सदस्य भारत के बाहर रहते हैं और ऐसे में फेसबुक उन्हें हर पल उनसे कनेक्ट रखता है। उनके वकील शिवांक प्रताप सिंह ने कहा कि यह आदेश उनके मुवक्किल की निजता और उनके डाटा के अधिकारों के साथ समझौता करेगा। उनका कहना था कि अगर अंतरिम राहत नहीं दी जाती है तो फिर उनके क्लाइंट का मूल्यवान डाटा अकाउंट्स को डिलीट करने की वजह से खो जाएगा। उनका कहना था कि एक बार अकाउंट डिलीट हो जाए तो फिर डाटा को हासिल नहीं किया जा सकता है।
अब 21 जुलाई को फिर सुनवाई
केंद्र
सरकार
की
तरफ
से
एडिशनल
सॉलिसिटर
जनरल
चेतन
शर्मा
कोर्ट
में
मौजूद
थे।
उन्होंने
इस
याचिका
का
विरोध
किया।
उनका
कहना
था
कि
यह
फैसला
सरकार
ने
इसलिए
लिया
है
क्योंकि
फेसबुक
में
एक
बग
था।
यह
बग
एक
प्रकार
से
साइबर
वॉरफेयर
के
तौर
पर
घुसपैठ
कर
रहा
था
और
कई
ऐसी
घटनाएं
हुई
हैं
जिनमें
सैन्य
कर्मियों
को
निशाना
बनाया
जा
रहा
था।
शर्मा
का
कहना
था
कि
अगर
ऑफिसर
को
फेसबुक
अपने
परिवार
और
दोस्तों
से
जुड़ने
के
लिए
चाहिए
तो
कम्युनिकेशन
के
दूसरे
और
तरीके
जैसे
व्हाट्सएप,
ट्टिवर
और
स्काइप
भी
हैं।
वह
अगर
चाहें
तो
इनके
जरिए
अपने
परिवार
से
जुड़े
रह
सकते
हैं।
कोर्ट
अब
21
जुलाई
को
फिर
से
इस
मामले
की
सुनवाई
होगी।