रूसी पर्यटकों की 'रहस्यमय परिस्थितियों' में मौत से जुड़े वो सवाल, जिनके जवाब नहीं मिले
ओडिशा के रायगड़ा में दो रूसी पर्यटकों की मौत की जाँच जारी है. पुलिस किसी भी साज़िश से इनकार कर रही है, लेकिन कई सवाल अब भी क़ायम हैं.
रायगड़ा दक्षिण ओडिशा का एक शांतिपूर्ण आदिवासी शहर है.
लेकिन 22 और 24 दिसंबर को यहाँ के साईं इंटरनेशनल होटल में दो रूसी पर्यटकों की मौत के बाद से ये शहर दुनिया भर में सुर्ख़ियों में है.
लोगों की हैरानी उस समय और भी बढ़ गई, जब तीन जनवरी को यहाँ से मीलों दूर पारादीप बंदरगाह पर एक मालवाहक जहाज़ में एक और रूसी नागरिक के मौत की ख़बर आई.
पूरे घटनाक्रम में हैरान करने वाली बात ये थी कि ओडिशा जैसे कम सैलानियों वाले राज्य में दो हफ़्ते के अंदर तीन रूसी पर्यटकों की मौत कैसे हो गई.
लोगों के ज़ेहन में ये बात भी खटकने लगी कि कहीं इन मौतों के तार एक-दूसरे से जुड़े तो नहीं?
लेकिन पुलिस इससे इनकार करती है.
राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बीबीसी को बताया, ''उनकी अब तक की जाँच में ऐसा कुछ भी नहीं मिला है जिससे यह साबित किया जा सके कि ये मौतें आपस में जुड़ी हुई हैं.''
इस पुलिस अधिकारी ने ये भी बताया कि भले ही जाँच जारी है, लेकिन वे इस बात को लेकर निश्चिंत हैं कि मालवाहक जहाज़ के अंदर रूसी व्यक्ति की मौत का रायगड़ा में दो रूसियों की मौत से कोई लेना-देना नहीं है.
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रायगड़ा शहर में माहौल तनावपूर्ण
रायगड़ा में माहौल तनावपूर्ण है. मीडिया से बात करने के लिए होटल कर्मचारियों, पुलिस विभाग और सरकारी डॉक्टरों पर जैसे कोई अघोषित पाबंदी लगी हो.
बीबीसी ने जिन लोगों से बात करने की कोशिश की, उनमें से कई ने डर की वजह से नाम न छापने का अनुरोध किया.
इस छोटे-से शहर के मुख्य बाज़ार में आदिवासी कलाकृतियाँ बेचने वाले ऋषभ साहू का कहना है कि उनके क़स्बे में अप्राकृतिक मौत कम होती है और विदेशियों की मौत उससे भी कम.
वे कहते हैं, "हम थोड़ी चिंता में हैं. चिंता इस बात पर है कि इन मौतों की जाँच का नतीजा क्या होगा. हम लगातार मीडिया कवरेज से भी परेशान हैं क्योंकि हम लाइमलाइट के आदी नहीं हैं. हम चाहते हैं कि यह जल्दी से ख़त्म हो जाए ताकि हम पहले की तरह सामान्य रूप से रह पाएँ."
विकास पटनायक एक चाय की दुकान चलाते हैं और उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों की अच्छी जानकारी है. उनका चाय स्टॉल होटल साईं इंटरनेशनल से ज़्यादा दूर नहीं है. इसी होटल में पावेल और व्लादिमीर दो दिनों के भीतर मृत पाए गए थे.
विकास का कहना है कि से इनकी मौत से जुड़ी कई तरह की बातें कही-सुनी जा रही हैं. उन्हें समझ में नहीं आता कि किस पर विश्वास किया जाए.
वे कहते हैं, "हम अपने मोबाइल फ़ोन पर स्थानीय नेटवर्क (टीवी चैनल) देख रहे हैं और वे हमें हर तरह की कहानियाँ दे रहे हैं. निश्चित नहीं है कि किस पर विश्वास किया जाए. हम इससे थक चुके हैं और चाहते हैं कि यह जल्दी ख़त्म हो."
एक से डेढ़ लाख आबादी वाले इस छोटे शहर के लोग मीडिया वालों की भीड़ के आदी नहीं हैं. इसलिए दोनों रूसी नागरिकों की मौत पर स्थानीय टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर चर्चा से वे थोड़े परेशान नज़र आते हैं.
राज्य पुलिस की क्राइम ब्रांच की 16 सदस्यीय एक टीम इन दोनों मौतों की पड़ताल कर रही है. इस टीम की हिदायत पर होटल स्टाफ़ से लेकर अस्पताल के डॉक्टर तक कोई मीडिया से बात नहीं कर रहा है. प्रशासन ने चुप्पी साध ली है.
बीबीसी हिंदी ने शहर के कलेक्टर स्वधादेव सिंह और पुलिस प्रमुख विवेकानंद शर्मा से संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन दोनों अफ़सरों ने इस मामले पर कुछ कहना उचित नहीं समझा.
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मौतों की पहेली अब भी उलझी
65 साल के पावेल एंतोव एक करोड़पति कारोबारी और रूसी सांसद थे.
रूसी मीडिया के अनुसार, वह मॉस्को के पूर्व में व्लादिमीर शहर के एक लोकप्रिय नेता थे.
पिछले साल जून में उन्होंने यूक्रेन की राजधानी कीएव में एक आवासीय ब्लॉक पर रूसी हमले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और उनकी सात वर्षीय बेटी और माँ घायल हो गई थीं.
इस घटना को लेकर एंतोव का एक वॉट्सऐप मैसेज लीक हो गया था जिसमें उन्होंने ने लिखा था- यह सब आतंक के अलावा कुछ भी नहीं.
उस मैसेज को बाद में डिलीट कर दिया गया. तब एंतोव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और ये लिखा कि वो राष्ट्रपति पुतिन के समर्थक हैं और युद्ध को सही मानते हैं.
एंतोव का शव 24 दिसंबर को होटल साईं इंटरनेशनल की पहली मंज़िल की छत पर पाया गया था.
उससे कुछ घंटे पहले ही उन्होंने 61 वर्षीय अपने दोस्त व्लादिमीर बेदेनोव का अंतिम संस्कार किया था. व्लादिमीर बेदेनोव की 22 दिसंबर को उसी होटल में कथित रूप से दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी.
तीसरे रूसी नागरिक, 51 वर्षीय मिलियाकोव सर्गेई की मौत तीन जनवरी को एक मालवाहक जहाज़ पर कथित रूप से दिल का दौरा पड़ने से हुई.
सर्गेई जहाज़ के चीफ़ इंजीनियर थे. वो एमबी अल्दनाह जहाज़ के 23 सदस्यीय क्रू दल का हिस्सा थे. जहाज़ पारादीप के रास्ते बांग्लादेश के चटगाँव से मुंबई जा रहा था.
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सवाल ज़्यादा जवाब कम
एंतोव के गिरने के बाद बदन से ख़ून क्यों नहीं निकला?
इस पर आधिकारिक बयान ये है कि वो होटल की छत से गिर गए थे. यानी उनकी मौत एक हादसा थी. वो होटल की तीसरी मंज़िल की छत से गिरे थे. दोनों के बीच का फ़ासला 20 फ़ीट था.
24 दिसंबर की शाम वो अपने दोस्त व्लादिमीर बेदेनोव के अंतिम संस्कार में शामिल होने के कुछ घंटे बाद होटल लौटे थे. किसी ने उन्हें छत से कूदते या गिरते हुए नहीं देखा.
एक और पेचीदा पहलू ये है कि उनका कमरा इमारत के पहले भाग में स्थित था. लेकिन उनका शव बिल्डिंग के आख़िरी हिस्से में मिला था. ये रहस्य है कि एंतोव ने इमारत के दूसरे किनारे पर जाकर क्यों छलांग लगाई.
एंतोव के मृत पाए जाने के तुरंत बाद उनके गाइड जितेंद्र सिंह ने मीडिया और पुलिस को ये बयान दिया था, "हम लॉबी में बैठे थे जब एक होटल का लड़का दौड़ता हुआ आया और कहने लगा कि वे (एंतोव) ग़ुस्से में हैं और उत्तेजित हैं.
उन्होंने उस लड़के को लात मारने की भी कोशिश की. हमने हर जगह उनकी तलाश की, लेकिन हम उन्हें नहीं ढूँढ पाए और फिर हमने देखा कि वो पहली मंज़िल की छत पर गिरे पड़े थे. हमने तुरंत एक एम्बुलेंस बुलाई और उन्हें अस्पताल ले गए."
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक़, एंतोव की मौत इंटरनल हैमरेज से हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एक ऐक्सीडेंट था.
राज्य फ़ोरेंसिक लेबोरेट्री के पूर्व निदेशक और फ़ोरेंसिक विज्ञान के जाने-माने विशेषज्ञ डॉक्टर बसंत कुमार दास ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जाँच की और कहा कि चोटों की प्रकृति और प्रभाव से ये संदेह नहीं होता कि कि मृतक 20-25 फ़ीट की ऊँचाई से गिरा था.
बाहर से ब्लीडिंग न होने की वजह बताते हुए वो कहते हैं, "अधिकांश चोटें सीने में थीं. अगर सिर में चोट लगी होती तो इससे बाहरी रक्तस्राव होता. लेकिन रिपोर्ट कहती है कि आंतरिक रक्तस्राव काफ़ी हुआ था."
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कैसे हुई मौत?
क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी को बताया कि इसमें कोई गड़बड़ी नहीं थी.
उन्होंने बताया, "पावेल एंतोव की मौत में किसी भी तरह की गड़बड़ी से फ़िलहाल मैं इनकार करना चाहता हूँ. लेकिन मैं इस नतीजे पर अंतिम रूप से पहुँचने से पहले मैं जाँच ख़त्म होने का इंतजार करूंगा."
उस अधिकारी ने ये भी कहा कि 'वे हर पहलू से जाँच करवा रहे हैं क्योंकि मामले विदेशी नागरिकों से संबंधित हैं. इसमें राज्य पुलिस की क्राइम ब्रांच की 16 सदस्यीय टीम लगी हुई है.
जाँच दल वर्तमान में होटल के 50 कर्मचारियों के साथ-साथ उन मेहमानों के व्यक्तिगत बैकग्राउंड की जाँच कर रहा है, जो मौतों के समय होटल में ठहरे हुए थे.
उन्होंने दोनों मृतकों के फ़ोन और लैपटॉप फ़ोरेंसिक जाँच के लिए भेज दिए हैं. जाँच दल ने टूरिस्ट गाइड और उस रूसी जोड़े से भी बात की है, जो टूर ग्रुप का हिस्सा थे.
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एंतोव के विसरा को क्यों नहीं रखा गया?
आश्चर्य की बात ये है कि संदिग्ध परिस्थिति में मौत के बावजूद पावेल एंतोव के विसरा को संरक्षित नहीं किया गया.
जबकि दो दूसरे रूसी नागरिकों के मामले में विसरा रखा गया, जिनकी कथित रूप से दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई.
डॉक्टर दास ये सुनकर हैरान रह गए कि एक अप्राकृतिक मौत के मामले में विसरा नहीं रखा गया.
वरिष्ठ अधिकारियों ने भी स्वीकार किया कि यह स्थानीय पुलिस की ओर से एक ग़लती थी, लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इसका कोई ख़ास मकसद नहीं था और यह केवल अनजाने में हुआ था.
मृतक को ज़हर दिया गया था या नहीं, इसका पता लगाने के लिए विसरा की जाँच की जाती है.
डॉक्टर दास कहते हैं, "पावेल एंतोव के विसरा को संरक्षित किया जाना चाहिए था क्योंकि वह एक विदेशी नागरिक थे और उनकी मृत्यु अप्राकृतिक परिस्थितियों में हुई थी. दुनिया में 30,000 प्रकार के ज़हर हैं और भारतीय प्रयोगशालाएँ इनका पता लगाने के लिए अत्याधुनिक मशीनों से लैस हैं."
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दोनों रूसी दोस्तों का अंतिम संस्कार जल्दबाज़ी में क्यों किया गया?
पावेल एंतोव और उनके दोस्त व्लादिमीर बेदेनोव का अंतिम संस्कार किया गया और इसमें थोड़ी जल्दबाज़ी दिखाई गई, जबकि पारादीप बंदरगाह में मारे गए मिलियाकोव सर्गेई के शव को रूस भेज दिया गया.
जाँच की निगरानी कर रहे क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि परिवारों ने दाह संस्कार के लिए अपनी सहमति दी थी.
उन्होंने कहा, "हमने एंतोव की बेटी, उनकी पूर्व और मौजूदा पत्नी से संपर्क किया और दाह संस्कार के लिए उनकी सहमति का वीडियो रिकॉर्ड किया. एंतोव की बेटी ने कहा कि यह उनके पिता की इच्छा थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाए. उन्होंने कहा कि पावेल की माँ का भी अंतिम संस्कार किया गया था."
बेटी ने भी सुझाव दिया कि वे बहुत धार्मिक नहीं थे. व्लादिमीर बेदेनोव के बेटे ने भी दाह संस्कार के लिए अपनी सहमति दी थी. पुलिस का कहना है कि उनके पास लिखित रूप में परिवार की सहमति भी है.
मिलियाकोव सर्गेई का अंतिम संस्कार क्यों नहीं किया गया?
इस पर उन्होंने कहा कि रायगड़ा में रूसियों के दाह संस्कार के फ़ैसले पर कुछ लोगों ने सवाल उठाया था, इसलिए भारत में मिलियाकोव सर्गेई का अंतिम संस्कार नहीं करने और शव को वापस रूस भेजने का फ़ैसला किया गया.
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शवों को जलाया क्यों गया, दफ़नाया क्यों नहीं गया
पावेल एंतोव और उनके दोस्त व्लादिमीर बेदेनोव ईसाई थे जिनके शवों को आम तौर से दफ़नाया जाता है, जलाया नहीं जाता.
फिर पावेल और बेदेनोव के शवों को जलाया क्यों गया?
यही सवाल कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने एक ट्वीट में उठाया, जिसका जवाब भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने एक ट्वीट करके दिया.
https://twitter.com/AmbRus_India/status/1608503479999565826?s=20&t=5kaznUmprRGT2_yf4oldKA
रूसी दूतावास ने कोलकाता में रूसी कांसुलेट के हवाले से एक ट्वीट में कहा, "कोलकाता में रूस का वाणिज्य दूतावास स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में मामले की निगरानी कर रहा है. पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार कोई आपराधिक पहलू सामने नहीं आया है."
https://twitter.com/RT_India_news/status/1607717170364174340?s=20&t=5kaznUmprRGT2_yf4oldKA
रायगड़ा क्यों गए थे रूसी?
रूसी पर्यटक दिसंबर के मध्य से ओडिशा में थे और उन्होंने कई स्थानों का दौरा किया था.
यात्रा दल में पावेल एंतोव और व्लादिमीर बेदेनोव के अलावा एक रूसी जोड़ा भी शामिल था. उनका नेतृत्व उनके टूर गाइड जितेंद्र सिंह कर रहे थे, जो उनके अनुवादक के रूप में भी काम कर रहे थे.
राज्य सरकार के एक अधिकारी का कहना है कि आदिवासी परंपराओं से समृद्ध ओडिशा आदिवासी गाँवों और उनकी जीवन शैली का पता लगाने के लिए इस इलाक़े में पर्यटन को बढ़ावा देता है.
दोनों रूसी नागरिकों ने 21 दिसंबर को रायगड़ा के होटल साईं इंटरनेशनल में चेक इन किया और अगले दिन उन्हें जयपुर नामक एक अन्य आदिवासी पर्यटन स्थल पर पहुँचना था. होटल ने भी इस बात की पुष्टि की कि उनकी बुकिंग केवल एक दिन के लिए थी.
होटल प्रबंधन के अनुसार- अगले दिन (22 दिसंबर को) पावेल एंतोव घबराए हुए अपने कमरे से बाहर निकले और कहा कि उनके दोस्त व्लादिमीर बेदेनोव सोफ़े से गिर गए हैं और बेहोश हैं. उन्हें तुरंत स्थानीय सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
होटल प्रबंधन के एक वरिष्ठ कर्मचारी कहते हैं, "जब मैं अंदर गया तो मैंने देखा कि वे फ़र्श पर सोफे और टेबल के बीच फँसे हुए थे. उनका सिर पीछे की ओर झुका हुआ था और शरीर अकड़ गया था. टेबल पर शराब की कुछ बोतलें और खाने की प्लेटें पड़ी थीं. मुझे कुछ भी ग़लत नहीं लग रहा था."
अंदाज़ा ये है कि रायगड़ा मौतों की जाँच कर रही क्राइम ब्रांच की टीम विसरा रिपोर्ट का अध्ययन करने और मौतों के समय होटल में रुके कर्मचारियों और मेहमानों के बैकग्राउंड की जाँच करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
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