Daughter’s Day: मिलिए भारत की उन 5 बहादुर महिला अफसर से, जिन्होंने बदली सेना की तस्वीर
Daughter’s Day: मिलिए भारत की उन 5 बहादुर महिला अफसर से, जिन्होंने बदल दी सेना की तस्वीर
नई दिल्ली: हर साल सितंबर महीने के चौथे रविवार को डॉटर्स डे (Daughter's Day) या बेटी दिवस मनाया जाता है। इस बार ये आज यानी 27 सितंबर को मनाया जा रहा है। डॉटर्स डे बेटियों के लिए खास है। इस दिन बेटियों को स्पेशल फील करवाया जाता है। बेटियों के दिन पर बेटियों की सफलता पर तो बात होनी ही चाहिए। मौजूदा वक्त में पूरी दुनिया में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां महिलाएं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। आज बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। इस खास मौके पर आज हम आपको भारतीय सेना की पांच ऐसी, बहादुर महिला अफसर के बारे में बताएंगे, जो इस साल काफी चर्चा में रहीं।
शिवांगी सिंह (Shivangi Singh): राफेल उड़ाएंगी
शिवांगी सिंह उत्तर प्रदेश के वाराणसी की रहने वाली हैं। शिवांगी सिंह राफेल उड़ाने वाली पहली महिला पायलट बनने जा रहीं हैं। फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह 'कन्वर्जन ट्रेनिंग' पूरा करते ही वायुसेना के अंबाला बेस पर 17 'गॉल्डन एरोज' स्क्वैड्रन में शिवांगी सिंह औपचारिक एंट्री लेंगी।
शिवांगी सिंह ने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से पढ़ाई की है। फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह महिला पायलटों के दूसरे बैच की हिस्सा हैं, जिनकी कमिशनिंग 2017 में हुई। शिवांगी सिंहस इससे पहले राजस्थान के फॉरवर्ड फाइटर बेस पर तैनात थीं, जहां उन्होंने विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के साथ उड़ान भरी थी।
Recommended Video
सब लेफ्टिनेंट रीति सिंह (Sub Lieutenant Riti Singh)
भारतीय नौसेना ने इसी साल (2020) के सितंबर में पहली बार हेलिकॉप्टर स्ट्रीम में दो महिलाओं को 'ऑब्जर्वर्स' (एयरबोर्न टैक्टीशियंस) के रूप में चुना है। सब लेफ्टिनेंट रीति सिंह का इसमें नाम शामिल है। रीति सिंह भारत की उन पहली महिला एयरबोर्न टेक्टीशियंस होंगी, जो जंगी जहाजों के डेक से काम करेंगी। 'ऑब्जर्वर' के रूप में स्नातक होने पर "विंग्स" से सम्मानित किया गया है।
24 साल की रिती सिंह के पापा और दादा दोनों भारतीय सेना में थे। रीति के पिता ने 20 वर्षों तक देश की सेवा की और उनके दादा ने कारगिल युद्ध में लड़ाई लड़ी थी। रीति अपने परिवार से चौथी पीढ़ी की रक्षा अधिकारी हैं। उत्तर प्रदेश की मूल निवासी, रीति पिछले 18 वर्षों से अपने परिवार के साथ हैदराबाद में रह रही है।
सब लेफ्टिनेंट कुमुदिनी त्यागी (Sub Lieutenant kumudini tyagi)
सब लेफ्टिनेंट कुमुदिनी त्यागी भी रीति सिंह के साथ महिला एयरबोर्न टेक्टीशियंस बनी हैं, जो जंगी जहाजों के डेक को संभालेंगी। इससे पहले नेवी में अब तक महिला अफसरों को फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट तक सीमित रखा गया था।
कुमुदिनी त्यागी पिछले दो वर्षों में सिर्फ एक बार गाजियाबाद में अपने घर में रही हैं, जब से वह भारतीय नौसेना में शामिल हुई हैं। कुमुदिनी मूल रूप से मेरठ के खरखौदा की मूल निवासी हैं और 1983 से उनका परिवार गाजियाबाद में रह रहा है। कुमुदिनी ने सेंट पॉल अकादमी से स्कूली शिक्षा पूरी की। कुमुदिनी ने गाजियाबाद में ABES इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया था, जहां उन्होंने कंप्यूटर साइंस में बीटेक हासिल किया। 2018 में उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया। वह अपने परिवार से सैन्य में शामिल होने वाली पहली महिला हैं।
गुंजन सक्सेना (Gunjan Saxena)
गुंजन सक्सेना भारतीय वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट रह चुकी हैं। 44 वर्षीय गुंजन अब रियाटर हो चुकरी हैं। गुंजना सक्सेना को कारगिल गर्ल के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि गुंजन पहली महिला पायलट थीं, जिन्होंने कारगिल के दौरान फाइटर प्लेन उड़ाया था। गुंजन को शौर्य पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
गुंजन ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशनस की है। उसके बाद उन्होंने IAF में पहली बार महिला पायलटों की भर्ती में आवेदन किया और SSB परीक्षा पास की और भारयीय वायुसेना में बतौर पायलट शामिल हो गईं। हाल ही में गुंजन सक्सेना पर एक बॉलीवुड फिल्म भी बनी है, 'गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल'। फिल्म में गुंजन का किरदार जान्हवी कपूर ने निभाया है।
मिताली मधुमिता (Mitali Madhumita)
मिताली मधुमिता को साल 2011 में सेना के पदक से नवाजा गया था। मिताली मधुमिता सेना का पदक पाने वाली देश की पहली महिला अधिकारी बनीं थी। वर्ष 2010 में जब काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर हमला हुआ था तो मिताली वहां पहुंचने वाली पहली अफसर थीं। उस वक्त उनके पास वहां कोई खास हथियार नहीं थे। इसके बावजूद भी मिताली ने वहां डटकर मोर्चा संभाला और पूरे ऑपरेशन को लीड किया।