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9 अगस्त को 'भारत बंद' के लिए एकजुट हैं दलित संगठन, कहा- सरकार पर भरोसा नहीं

By Vinod Kumar Shukla
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नई दिल्‍ली। भले ही सरकार ने एससी-एसटी अत्याचार निवारण संशोधन अधिनियम बिल लोकसभा में पेश कर दिया हो, बावजूद इसके 9 अगस्त को दलित संगठन भारत बंद के प्रदर्शन को आगे लेकर जाएंगे। इस बिल को लेकर इन वर्गों के लोग खासा आक्रोशित हैं। इस बंद का मकसद पूरे देश में सामान्‍य जन-जीवन को अव्‍यवस्थित करना है। दलित समुदाय केंद्र सरकार पर अपनी मांगों के लिए दबाव डाल रहा है औरअपना संदेश सरकार तक पहुंचाने के लिए समुदाय के कार्यकर्ता दिल्ली के कनॉट प्लेस समेत कई व्‍यस्‍त सड़कों, बाजारों में प्रदर्शन और रैलियां करेंगे। आंदोलन का आयोजन करने वाले ऑल इंडिया आंबेडकर महासभा (एआईएएम) के अशोक भारती ने वनइंडिया से खास बातचीत की और दलित संगठन पूरे देश में रैलियों, धरना और बंद के अपने फैसले पर अडिग है।

9 अगस्त को भारत बंद के लिए एकजुट हैं दलित संगठन, कहा- सरकार पर भरोसा नहीं

इसके अलावा संगठन का ये भी प्‍लान है कि वो जिला मुख्‍यालय से लेकर केंद्र सरकार तक याचिकाएं भेजी जाएंगी। भारती ने बताया कि संगठन की मांग को लेकर करीब दो करोड़ पोस्‍ट कार्ड्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संसद में बिल पेश किए जाने के सवाल पर अशोक भारती ने कहा कि 'पहली बात तो ये कि सरकार का अदालत पर कोई नियंत्रण नहीं है इसलिए कुछ भी हो सकता है और दूसरी बात यह है कि दलितों के बीच आत्मविश्वास पैदा करने को लेकर सरकार का कोई भी फैसला स्‍पष्‍ट नहीं है।

इतना ही नहीं सरकार की तरफ से उसके फैसलों का सही डाटा भी हमे नहीं दिया जा रहा। इसलिए संगठन सरकार पर भरोसा करने को तैयार नहीं है।' अशोक भारती ने कहा कि सरकार उनके आंदोलन को भटकाने के लिए उन्हें गुमराह कर रही है। सच्चाई यह है कि एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए बदलाव को खत्म करने के लिए अंतिम रूप से कानून बनने में अभी कई चरण हैं। सरकार आंदोलन को टालने के बाद कोई भी तकनीकी पहलू का बहाना बनाकर इसे पारित करने से बचने की कोशिश करेगी। इसलिए जब तक कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक्ट में किए गए बदलाव को खत्म नहीं किया जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

आपको बता दें कि दलितों ने पिछला भारत बंद बीते 2 अप्रैल को किया था और इसका अच्‍छा खासा असर देखने को मिला था। अशोक भारती ने कहा कि केंद्र और राज्‍य सरकारों ने अपने किए हुए वादों को नहीं निभाया। न ही दलित नेता चंद्रशेखर को रिहा किया गया और न ही जेल में बंद 20 हजार से ज्‍यादा दलित कार्यकर्ताओं को छोड़ा गया। यूपी, मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्रियों के प्रतिबद्धता के बाद भी दलित कार्यकर्ता जेल में हैं। वहीं दूसरी तरफ दूसरी तरफ, सरकार अदालत के फैसले को खत्म करने के लिए एक बिल लाकर समुदाय को दबाने की कोशिश कर रही है।

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English summary
Dalit activists from all across India to continue with their decision to paralyze normal life of the entire country on their scheduled Bharat Band plan on August 9, 2018.
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