Cyclone Fani: आखिर महिलाओं के ही नाम पर क्यों रखे जाते हैं 'साइक्लोन' के नाम, क्या है 'फानी' का मतलब?
भुवनेश्वर। बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवात तूफान 'फानी' (Cyclone Fani) ने अब भयंकर रूप धारण कर लिया है। 7 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा समुद्री तूफान वर्तमान समय में पुरी से 700 किलोमीटर की दूरी पर है, इस वक्त ओडिशा हाई अलर्ट पर है और सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं, लेकिन इस बीच एक सवाल सबके दिमाग में घूम रहा है कि 'फानी', 'गाजा', 'हुदहुद', 'फेलिन', 'लैला' जैसे चक्रवात के नाम कौन डिसाइड करता है या फिर सारे तूफानों के नाम महिलाओं के नाम पर ही क्यों होते हैं।
पूरी दुनिया में 100 से ज्यादा 'चक्रवात' बनते हैं...
तो चलिए जानते हैं विस्तार से इस बारे में, दरअसल हर साल पूरी दुनिया में 100 से ज्यादा 'चक्रवात' बनते हैं, उनमें कई कम तीव्रता वाले होते हैं, जो एक दो दिन में समुद्र में ही समाप्त हो जाते हैं और कुछ 'फानी' जैसे होते हैं, यानी बेहद तीव्र।
'हरिकेन' और 'साइक्लोन' में अंतर
बात अगर नाम की करें तो चक्रवात अगर अटलांटिक महासागर से उठा है, तो उसे 'हरिकेन' कहा जायेगा और अगर भारतीय महासागर में तो इसे 'साइक्लोन' कहा जाता है।
'फानी' तूफान का नाम बांग्लादेश ने दिया
प्रत्येक चक्रवात का नाम उस देश का मौसम विभाग तय करता है, जहां से चक्रवात उठता है। जैसे अगर आप 'फेलिन' को लीजिये, यइ थाईलैंड की समुद्री सीमा में उठा, तो उसका नाम थाईलैंड के मौसम विभाग ने दिया। वहीं पिछले दिनों भारतीय महासागर में 'लैला' आया था, उसे पाकिस्तान के मौसम विभाग ने नाम दिया था, 'फानी' तूफान का नाम बांग्लादेश ने दिया है।
यह है इसका इतिहास
दरअसल 1945 के पहले तक किसी भी चक्रवात का कोई नाम नहीं होता था, लिहाजा मौसम वैज्ञानिकों को बहुत दिक्कत होती थी। जब वो अपने अध्ययन में किसी चक्रवात का ब्योरा देते थे, या चर्चा करते थे, तब वर्ष जरूर लिखना होता था और अगर वर्ष में थोड़ी सी भी चूक हो गई, तो सारी गणित बदल जाती थी। इसी दिक्कत से निबटने के लिये 1945 से विश्व मौसम संगठन ने चक्रवातों को नाम देने का निर्णय लिया और तब से अब तक जितने भी चक्रवात आये उन्हें अलग-अलग नाम दिए जाते हैं।
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कौन तय करता है नाम?
अलग-अलग देशों के मौसम विभाग द्वारा प्रस्तावित चक्रवातों के नाम तय करने के लिये दुनिया भर में अलग-अलग समितियां हैं- इस्केप टाइफून कमेटी, इस्कैप पैनल ऑफ ट्रॉपिकल साइक्लोन, आरए 1 ट्रॉपिकल साइक्लोन कमेटी, आरए 4 और आरए 5 ट्रॉपिकल साइक्लोन कमेटी, असल में यही कमेटियां दुनिया भर के अलग-अलग स्थानों पर आने वाले चक्रवातों पर नजर भी रखती हैं।
आठों
देशों
को
अंग्रेजी
वर्णमाला
के
अक्षरों
के
अनुसार
रखा
गया
हिंद महासागर में आने वाले चक्रवातीय तूफानों के नाम रखे जाने का चलन पूरी गंभीरता के साथ सन् 2000 में तब शुरू हुआ, जब 'विश्व मौसम विभाग' ने 'भारतीय मौसम विभाग' को यह काम सौंपा, भारतीय मौसम विभाग ने ओमान से लेकर थाईलैंड तक 8 देशों से 8-8 नामों की एक लिस्ट की मांग की थी, इन आठों देशों को अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों के अनुसार रखा गया है, जिससे देश इस क्रम में आए- बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड, फिर इनके आगे इनके सुझाए 8-8 नामों को लगा दिया गया, जिससे कुल 64 नाम हो गए. 'फानी' इनमें से 57वां है, इसके बाद अब सिर्फ 7 तूफानों के नाम और बचेंगे, उसके बाद भारतीय मौसम विभाग को फिर से लिस्ट मंगानी होगी।
तूफानों के नाम महिलाओं के नाम पर
विश्व मौसम विभाग ज्यादातर तूफानों के नाम महिलाओं के नाम पर रखने के चलते आलोचनाएं झेलता रहा है, 1960 में ऑर्गनाइजेशन फॉर विमेन सहित तमाम महिला संगठनों ने इसका विरोध किया क्योंकि उनका कहना था कि ये सीधे-सीधे यह कहा जा रहा है कि महिलाएं, पुरुषों से ज्यादा खतरनाक हैं।
'फानी' भी एक महिला नाम है
हालांकि विरोध होने के बावजूद भी महिलाओं के ही नाम पर तूफान के नाम रखे जाते रहे हैं, 'फानी' भी एक महिला नाम है, जो कि पूर्वी एशिया में बहुतायत में रखा जाता है, जिसका अर्थ प्रबल या उग्र होता है, आम तौर पर तेज-तर्रार महिला को 'फानी' कहा जाता है।वैसे विभाग कहता है कि तूफानों के नाम वो रखे जाते हैं जो आसानी से याद रहें अब वो नाम ज्यादातर महिलाओं के ही होते हैं तो इसमें विभाग क्या कर सकता है, यह केवल एक संयोग है, विभाग किसी को नीचा नहीं दिखाना चाहता है।