मुंबई: बढ़ रहे हैं कोरोना के मरीज, कम पड़ने लगे हैं डॉक्टर और नर्स
नई दिल्ली- देश में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मरीज मुंबई में हैं। लेकिन, शहर में कोरोना से जंग लड़ने वाले डॉक्टरों ,नर्सों और बाकी मेडिकल स्टाफ की संख्या कम होती जा रही है। कुछ लोग संक्रमित हो चुके हैं और कई ने कोरोना के खौफ और दूसरी वजहों से काम पर आना छोड़ दिया है। बीएमसी लगातार डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भर्ती के इंतजार में है, लेकिन उसे जरूरत के मुताबिक डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ नहीं मिल पा रहे हैं। कई अस्पतालों में तो हाउसकीपिंग स्टाफ की भी किल्लत होने लगी है। जिन लोगों के पास अस्पतालों की निगरानी का जिम्मा है, वह कहते हैं कि आखिर कब तक वह स्टाफ को काम पर आने के लिए मनाते रहेंगे।
मुंबई में कम पड़ रही है कोरोना योद्धाओं की गिनती
कोरोना वायरस से जंग में मुंबई में डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी महसूस की जा रही है। मुंबई मिरर में छपी एक खबर के मुताबिक बीएमसी और निजी अस्पतालों को मिलाकर 500 स्वास्थ्यकर्मी जिनमें डॉक्टर, नर्स और पारामेडिक्स स्टाफ शामिल हैं, वो खुद ही कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं। सेवेन हिल्स अस्पताल में तैनात एक अधिकारी के मुताबिक उन्हें बहुत ज्यादा डॉक्टरों और नर्सों की जरूरत है। उनके मुताबिक सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने ये है कि जो स्टाफ मौजूद हैं कम से कम वह भी काम पर आते रहें। ऐसे स्थिति उस समय में हो रही है, जब मुंबई में रोजाना मरीजों की तादाद काफी बढ़ रही है। मुंबई में मरीजों की रफ्तार किस रप्तार से बढ़ रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले गुरुवार को ही साढ़े चार सौ से ज्यादा नए मरीज जुड़ गए और कुल मरीजों का आंकड़ा चार हजार के पार कर गया।
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डॉक्टरों-मेडिकल स्टाफ को बड़े पैमाने और मोटी सैलरी पर जॉब का ऑफर
मुंबई इस समय डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की कितनी भारी किल्लत झेल रहा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिर्फ सेवेन हिल्स अस्पताल को कोरोना से लड़ने के लिए इस वक्त 30 सीनियर कंसल्टेंट, 10 एनेसथेटिस्ट्स, तीन नेफ्रोलॉजिस्ट, एक न्यूरोलॉजिस्ट, एक कार्डियोलॉजिस्ट, 9 एसिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर और 400 अतिरिक्त नर्सों की दरकार है। सबको तीन महीने के लिए फिक्स सैलरी पर कॉन्ट्रैक्ट का ऑफर दिया जा रहा है। मसलन, कंसल्टेंट को 3.5 लाख रुपये महीने, एमबीबीएस डॉक्टरों को 80 हजार, बीएएमएस को 60 हजार, बीएचएमएस को 50 हजार, नर्सों को 30 हजार और वॉर्ड ब्वॉय को 20 हजार रुपये । 450 बेड वाला यह अस्पताल आज लगभग पूरा भरा हुआ है। पिछले महीने बीएमसी ने कहा था कि वह सेवेन हिल्स अस्पताल को महानगर के सबसे बड़े कोविड-19 अस्पताल में परिवर्तित करेगा, जिसमें 1,500 बेड होंगे, लेकिन मेडिकल स्टाफ की कमी के चलते यह काम नहीं हो पा रहा है। उधर रिलायंस ग्रुप ने भी कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी के तहत यहां जो 30 आईसीयू बेड सेट किया है, उसका भी उपयोग स्टाफ की किल्लत के चलते नहीं हो पा रहा है और यह अस्पताल उन्हीं 8 आईसीयू बेड का इस्तेमाल कर रहा है, जो उसके पास पहले से ही था।
कोरोना मरीजों के बीच काम करने से कतराने लगे हैं लोग
बीएमसी के एक बड़े अधिकारी ने जो बात बताई है वह हालात की गंभीरता को और ज्यादा स्पष्ट बयां कर देता है। उनका कहना है कि मेडिकल स्टाफ को काम जारी रखने के लिए मनाना बहुत बड़ी चुनौती साबित हो रीह है। उनके मुताबिक, 'पिछले महीने से कई डॉक्टर काम छोड़कर चले गए हैं, नर्सें चली गईं, वॉर्ड ब्वॉय चले गए और हाउसकीपिंग डिपार्टमेंट से भी लोग छोड़कर जा चुके हैं।.....कोविड-19 के मरीजों के बीच कोई काम नहीं करना चाहता। हम उन्हें कितने दिनों तक मना सकते हैं। मुझे इस फैसिलिटी को देखने के लिए कहा गया है, लेकिन पहले दिन से मैं स्टाफ को ही मैनेज करने में लगा हुआ हूं।' उन्होंने बताया कि तीन-तीन बार हाउसकीपिंग एजेंसी को बदलना पड़ा है, क्योंकि कोई भी कोरोना मरीजों के पास काम करने के लिए तैयार नहीं हो रहा।
टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने में भी आ रही है दिक्कत
पिछले हफ्ते बीएमसी ने धारावी में लोगों की जांच और मरीजों का पता लगाने के लिए एक विज्ञापन दिया था। 20 डॉक्टरों, 50 नर्सों और 50 वार्ड ब्वॉय की जरूरत थी। लेकिन, जब इंटरव्यू की बारी आई तो वार्ड ब्वॉय के लिए तो 150 से ज्यादा अभ्यर्थी आ गए। लेकिन, डॉक्टर के लिए सिर्फ 9 और नर्सों के लिए 20 ही पहुंचे। बीएमसी के एक असिस्टेंट म्युनिसिपल कमिश्नर किरन दिघावकर ने बताया कि वार्ड ब्वॉय के अलावा हम किसी को कुछ दिनों के कॉन्ट्रैक्ट पर नहीं रख सकते। उन्होंने कहा कि 'हम 40,000 लोगों की स्क्रीनिंग कर चुके हैं, लेकिन, हमें इसकी गति बढ़ानी है। अब जबकि डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं तो हमें अपने बीएमसी के अस्पतालों के डॉक्टरों और नर्सों को ही लगाना पड़ रहा है। पिछले महीने निजी अस्पतालों में काम कर रहे 115 डॉक्टरों ने खुद से बीएमसी के अस्पतालों में सेवाएं देने का ऑफर दिया था, लेकिन उनमें से कई अभी तक नहीं आए हैं।'
3,000 मेडिकल स्टाफ मिलने की उम्मीद
इस बीच महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा है कि अस्पतालों में डॉक्टरों और बाकी पारामेडिकल स्टाफ की कमी तुरंत दूर की जाएगी। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी रिटायर डॉक्टरों और पारामेडिकल स्टाफ से कहा था कोविड योद्धा बनकर इस लड़ाई में सरकार की मदद करें। राज्य सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री की अपील पर राज्य भर से 21,000 आवेदन आए हैं। राज्य सरकार ने उनमें से 3,000 हेल्थ वर्कर्स और दूसरे मेडिकल स्टाफ का आवेदन बीएमसी के हवाले कर दिया है, जो अब उन सबको अलग-अलग अस्पतालों में तैनात करेगा। शायद इन हेल्थ वर्करों के काम पर आ जाने के बाद मौजूदा डॉक्टरों को थोड़ी राहत मिल सकती है।
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