केरल में फिलहाल लागू नहीं होगा विवादास्पद संशोधन पुलिस एक्ट, मुख्यमंत्री ने वापस लिया फैसला
कोच्चि। केरल पुलिस अधिनियम (Kerala Police Act) में किए संशोधन को लेकर लगातार विरोध का सामना कर रही एलडीएफ सरकार ने अपना फैसला बदल दिया है। दरअसल, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि अभी राज्य में '118-ए केरल पुलिस अधिनियम संशोधन' को लागू नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस एक्ट के खिलाफ हो रहे विरोध के बाद हमने अपने विधायकों के साथ परामर्श किया, जिसके बाद ये नतीजा लिया है कि अभी इस संशोधन को लागू नहीं किया जाएगा।
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LDF के समर्थक भी खड़े हैं एक्ट के विरोध में- पिनाराई विजयन
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है, 'जब से इस अधिनियम में संशोधन की घोषणा की गई, तभी से अलग-अलग स्वर देखने को मिल रहे हैं। इस अधिनियम को लेकर एलडीएफ का समर्थन करने वाले और लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़े लोगों ने भी विरोध दर्ज किया तो इसीलिए फिलहाल इसे लागू करने का कोई विचार नहीं है।'
सीएम के फैसले पर सीताराम येचुरी का बयान
मुख्यमंत्री
के
इस
फैसले
पर
माकपा
महासचिव
सीताराम
येचुरी
ने
कहा
है
कि
पुलिस
संशोधन
एक्ट
पर
फिर
से
पुनर्विचार
किया
जाएगा।
सीताराम
येचुरी
ने
कहा
है
कि
पुनर्विचार
का
मतलब
अध्यादेश
को
रद्द
करना
भी
हो
सकता
है।
केरल सरकार को झेलना पड़ रहा था भारी विरोध
- आपको बता दें कि केरल पुलिस एक्ट में किए गए संशोधन को लेकर केरल सरकार लगातार विरोध का सामना कर रही थी। रविवार को पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इस एक्ट को लेकर आपत्ति दर्ज की थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था,'मैं एलडीएफ सरकार द्वारा बनाए गए इस फैसले से बहुत हैरान हूं कि सोशल मीडिया पर तथाकथित 'अपमानजनक' पोस्ट डालने को लेकर 5 साल तक की सजा दी जा सकती है।'
- वहीं दूसरी तरफ केरल कांग्रेस के प्रमुख मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने भी राज्य सरकार के इस अध्यादेश को पूर्ण फासीवादी बताया था। उनका कहना था कि ये मीडिया की आवाज को खामोश करने की सरकार की एक साजिश है। इस कानून के जरिए मीडिया की आवाज को दबाने का काम किया जा रहा है, ताकि राज्य सरकार के खिलाफ कोई आवाज ना उठा सके।
क्या है इस विवादित अध्यादेश में?
आपको बता दें कि केरल सरकार ने पिछले सेक्शन 118-ए को जोड़ने के साथ पुलिस एक्ट में बदलाव किया था। इस बदलाव के बाद हाल ही में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी थी। इस संशोधन के मुताबिक, अगर सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति के द्वारा डराने और बदनाम करने की कोशिश की जाएगी तो ऐसा करने वाले शख्स को कठोर कार्रवाई का सामन करना पड़ सकता है। साथ ही उसे 5 साल तक की सजा या 10 हजार रुपए का जुर्माना लग सकता है।