मेघालय विधानसभा में कांग्रेस साफ, 21 MLA में से आखिरी 5 भी गए सरकार के साथ
शिलांग, 8 फरवरी: मेघालय विधानसभा में कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई है। 2018 में राज्य में कांग्रेस 21 सीटों पर जीती थी। लेकिन, पार्टी के आखिरी बचे 5 एमएलए ने भी सत्ताधारी गठबंधन मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस (एमडीए) में शामिल होने का फैसला किया है। कांग्रेस के जिन विधायकों ने पार्टी छोड़कर सत्ताधारी गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया है, उनमें पार्टी के विधायक दल की नेता ए लिंगदोह, मेयरालबॉर्न सियेम, मोहेंद्रो रैपसांग, किंफा मारबांनियांग और पीटी सॉमी शामिल हैं। इन सब ने सोमवार को अपने हस्ताक्षर वाली एक चिट्ठी मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा को सौंपी है।
मेघालय
विधानसभा
में
कांग्रेस
साफ
मेघालय
में
कांग्रेस
के
बाकी
बचे
सभी
पांच
विधायकों
ने
सोमवार
को
सर्वसम्मति
से
सत्ताधारी
मेघालय
डेमोक्रेटिक
एलायंस
(एमडीए)
में
शामिल
होने
का
फैसला
कर
लिया।
इन
सभी
विधायकों
ने
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
कोनराड
संगमा
को
अपने
फैसले
के
बारे
में
एक
चिट्ठी
थमाई
है
और
बताया
है
कि
वे
नेशनल
पीपुल्स
पार्टी
(एनपीपी)
की
अगुवाई
वाले
एमडीए
सरकार
में
शामिल
होना
चाहते
हैं।
प्रदेश
की
तरक्की
के
नाम
पर
कांग्रेस
छोड़ने
की
बात
मुख्यमंत्री
को
लिखी
अपनी
चिट्ठी
में
इन
पांचों
विधायकों
ने
लिखा
है,
'हम
आपको
और
एमडीए
सरकार
के
हाथों
को
मजबूत
करने
और
निर्णय
लेने
की
प्रक्रिया
को
मजबूत
करने
के
लिए
समर्थन
देना
चाहते
हैं,
ताकि
नागरिकों
के
सामान्य
हित
में
हमारे
साझा
प्रयास
से
प्रदेश
का
आगे
बढ़ना
सुनिश्चित
हो
सके।
'
नवंबर
में
13
कांग्रेसी
विधायक
टीएमसी
में
शामिल
हुए
थे
सत्ताधारी
एमडीए
सरकार
में
बीजेपी
भी
एक
छोटी
सहयोगी
पार्टनर
है।
कांग्रेस
विधायकों
को
अपने
पाले
में
लाकर
सीएम
संगमा
ने
एक
अनोखा
रिकॉर्ड
कायम
किया
है
कि
आज
उनके
साथ
बीजेपी
का
समर्थन
तो
है
ही,
कांग्रेस
से
आए
विधायक
भी
उनको
समर्थन
देने
आ
चुके
हैं।
बीते
साल
नवंबर
में
पूर्व
मुख्यमंत्री
मुकुल
संगमा
समेत
कांग्रेस
के
13
एमएलए
ममता
बनर्जी
की
तृणमूल
कांग्रेस
में
शामिल
हो
गए
थे।
'हमें
धोखा
दिया
गया
और
किसी
ने
कोई
कार्रवाई
नहीं
की'
कांग्रेस
छोड़ने
के
बाद
एमएलए
ए
लिंगदोह
ने
कहा
कि,
'हमें
धोखा
दिया
गया
और
किसी
ने
कोई
कार्रवाई
नहीं
की।
इसलिए
हमने
अपने
व्यक्तिगत
विधानसभा
क्षेत्रों
के
लोगों
के
लाभ
के
लिए
यह
फैसला
लिया
है।'
2018 में हुए मेघालय विधानसभा चुनाव में राज्य की 60 सीटों (59 पर चुनाव हुए थे) में से कांग्रेस 21 जीती थी। जबकि, बीजेपी को सिर्फ 2 ही सीटें मिली थीं। जबकि सत्ताधारी एनपीपी के तब सिर्फ 19 विधायक ही जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। तब टीएमसी के एक भी विधायक नहीं थे और एनसीपी को 1 सीट मिली थी।