शशि थरूर बोले-सीएए के खिलाफ प्रस्ताव 'राजनीतिक कदम',राज्यों की कोई भूमिका नहीं
नई दिल्ली। नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर ने गुरुवार को कहा कि सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करना एक राजनीति कदम है , क्योंकि नागरिकता देने में राज्यों की कोई भूमिका नहीं होती है। कपिल सिब्बल, जयराम रमेश के बाद शशि थरूर तीसरे ऐसे नेता हैं जिन्होंने सीएए को लेकर ऐसा बयान दिया है। केरल और पंजाब ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव किए हैं।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक इंटरव्यू में कहा कि, सीएए के खिलाफ राज्यों के प्रस्ताव राजनीतिक उद्देश्य को ही पूरा करते हैं। नागरिकता देने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है। राज्य किसी को नागरिकता नहीं दे सकते हैं, सीएए को लागू करने या न करने में उनके पास कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, 'वे (राज्य) प्रस्ताव पारित कर सकते हैं या अदालत जा सकते हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से वे क्या कर सकते हैं? राज्य सरकारें यह नहीं कह सकतीं कि वे सीएए को लागू नहीं करेंगी, वे यह कह सकती हैं कि वे एनपीआर-एनआरसी को लागू नहीं करेंगी क्योंकि इसमें उनकी अहम भूमिका होगी।
थरूर ने कहा कि सीएए पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्टे न लगाए जाने के बावजूद इसके विरोध में विरोध धीमा नहीं पड़ा है। उन्होंने सीएए के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई के लिए पांच जजों की संविधान पीठ बनाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसला का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सीएए में धर्मों के नाम देना संविधान का उल्लंघन है। अब पांच जजों की संविधान पीठ सभी तर्कों को सुनेगी और मामले के तथ्यों को परखेगी। मौलिक मतभेद दूर करने के लिए हमारे पास यही रास्ता है।
थरूर के अनुसार देश भर में विरोध प्रदर्शन स्वतः स्फूर्त हैं। अगर सरकार स्पष्ट करती है कि किसी धर्म को निशाना नहीं बनाया जाएगा तो विरोध का कारण खत्म हो जाएगा। हालांकि सरकार को सीएए से धर्मों वाली उपधारा हटाने से कहीं ज्यादा उठाने की जरूरत है। सरकार को स्पष्ट करना होगा कि जन्म स्थान और नागरिकता के बारे में सवाल नहीं पूछे जाएंगे और एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा।
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