कांग्रेस नेता कमलनाथ ने दिल्ली में की सोनिया गांधी से मुलाकात, मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ जल्द ही पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इंडिया टीवी के सूत्रों के हवाले से यह पता चला है।
नई दिल्ली, 15 जुलाई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ जल्द ही पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इंडिया टीवी के सूत्रों के हवाले से यह पता चला है। गांधी परिवार के करीबी नेताओं में से एक माने जाने वाले कमलनाथ ने आज पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। इस बैठक में सोनिया गांधी की बेटी और उत्तर प्रदेश कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद थीं।
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मिल सकती है अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी
मीटिंग को लेकर कहा जा रहा है कि पार्टी को मजबूती देने के लिए संगठन में जल्द ही कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। मीटिंग को लेकर यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी को जल्द ही कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष मिल सकता है। सूत्रों के मुताबिक बड़े बदलावों को मूर्त रूप देने के लिए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का अगस्त में सत्र बुलाया जा सकता है।
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पार्टी को लंबे समय से पूर्णकालिक अध्यक्ष का इंतजार
बता दें कि आम चुनावों में भाजपा के हाथों मिली लगातार दूसरी हार के बाद जुलाई 2019 में राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था तब से अब तक कांग्रेस पार्टी नेतृत्वहीन है। राहुल के पद छोड़ने के बाद उनकी मां सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम चीफ बनाया गया था। उसके बाद से पार्टी में लगातार पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठ रही है।
पार्टी पर मजबूत पकड़ रखते हैं कमनाथ
कमलनाथ पार्टी के बड़े नेता हैं और उनकी संगठन पर मजबूत पकड़ है। साल 2002 में उन्हें कांग्रेस पार्टी का महासचिव बनाया गया था। यह वह समय था जब सोनिया गांधी एक नेता के रूप में उभर रही थीं, उनके सामने आने वाले लोकसभा चुनावों में अटल बिहगार वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा को हराने की चुनौती थी। साथ ही कमलनाथ को राहुल गांधी का भी पंसदीदा नेता माना जाता है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से 9 बार के सांसद कमल नाथ को एक राष्ट्रीय नेता माना जाता है। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन दिल्ली में ही बिताया है। लेकिन साल 2018 में उन्हें मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर राज्य की जिम्मेदारी संभालने को कहा गया।
उन्होंने 17 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री का पदभार संभाला लेकिन पार्टी के 22 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के विद्रोह के बाद वह अपनी सरकार नहीं बचा पाए और उन्हें 20 मार्च 2020 को इस्तीफा देना पड़ा।