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कुमारस्वामी की धमकी के बाद गठबंधन टिकेगा?

मतभेदों का इस तरह सामने आना गठबंधन की राजनीति में कोई नई बात नहीं है. 2004 से 2008 के बीच कर्नाटक में गठबंधन के प्रयोग हुए जब कांग्रेस और जेडीएस और जेडीएस और बीजेपी की गठबंधन सरकारें दो-दो साल तक चलीं.

तो क्या आज के हालात में ये गठबंधन चल पाएगा?

By BBC News हिन्दी
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कुमारस्वामी
AFP
कुमारस्वामी

कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर के गठबंधन वाली सरकार के मुख्यमंत्री पद को छोड़ने की एचडी कुमारस्वामी की धमकी का वैसा ही असर हुआ है जैसा वो चाहते थे. कांग्रेस ने सार्वजनिक तौर पर कुमारस्वामी की आलोचना करने वाले अपने विधायकों को नसीहत दी है.

हाल ही में बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के चेयरमैन बने कांग्रेसी विधायक एसटी सोमशेखर जल्दबाज़ी में कांग्रेस के दफ़्तर पहुंचे और पार्टी नेताओं से माफ़ी मांगी. कर्नाटक के प्रभारी और कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उन्हें ऐसा करने का आदेश दिया था.

सोमशेखर कांग्रेस के उन विधायकों में शामिल हैं जो खुले तौर पर कह चुके हैं कि 'भले ही गठबंधन ने मुख्यमंत्री के पद पर कुमारास्वामी को बिठाया हो लेकिन उनके लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ही है. ये अलग बात है कि कुमारस्वामी की सरकार बनाते हुए कांग्रेस ने उन्हें पूरे पांच साल के लिए समर्थन दिया है.'

कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे 15 मई को आए थे. 224 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस बहुमत के लिए ज़रूरी 113 सीटों से काफ़ी दूर थी और तब जेडीएस के साथ जब गठबंधन सरकार बनी तो गुलाम नबी आज़ाद, अशोक गहलोत और अन्य कांग्रेसी नेताओं ने कुमारास्वामी से पूरे पांच साल के समर्थन का वादा किया था.

दक्षिण कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस एक दूसरे के कड़े प्रतिद्वंदी रहे और दोनों ने अपने चुनावी अभियान में एक-दूसरे पर जमकर निशाना साधा. लेकिन राज्य में बीजेपी की सरकार बनने से रोकने के लिए कांग्रेस ने कुमारस्वामी को समर्थन देने की चाल चल दी.

कांग्रेस समर्थक
Getty Images
कांग्रेस समर्थक

कुमारस्वामी नाराज़ क्यों हैं?

काफ़ी समय से पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के समर्थक विधायक सार्वजनिक तौर पर कहते रहे हैं कि उनकी निष्ठा सिद्धारमैया के साथ है. सिद्धारमैया ने भी ये सुनिश्चित किया कि कांग्रेसी विधायकों को मंत्रिमंडल, राज्य के बोर्डों और कार्पोरेशन में पर्याप्त प्रधिनिधित्व मिले.

सच ये भी है कि मिलीजुली सरकार के शुरुआती दिनों में जेडीएस के मंत्रियों ने कांग्रेसी विधायकों के काम टाले जिससे उनमें नाराज़गी पैदा हुई. इससे कांग्रेसी विधायक काफ़ी निराश भी हुए क्योंकि वो गठबंधन धर्म के कारण सार्वजनिक तौर पर सरकार की आलोचना नहीं कर सकते थे.

सिद्धारमैया
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सिद्धारमैया

पिछले कुछ सप्ताह में कुमारस्वामी ने कांग्रेसी विधायकों की बैठक के दौरान उनके मुद्दे सुलझाने की कोशिश भी की. इससे कांग्रेसी विधायकों की निराशा कुछ कम हुई और उनकी विधानसभा क्षेत्रों में कुछ काम भी शुरू हुए.

ये भी कहा जा सकता है कि बीजेपी के कर्नाटक में सरकार गिराने के उद्देश्य से चलाए गए ऑपरेशन कमल 3.0 की वजह से कांग्रेसी विधायक और जेडीएस के मंत्री क़रीब आए.

कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी के 102 विधायक हैं. ऑपरेशन कमल बीजेपी की उस चाल को कहा जा रहा है जिसके तहत वो कांग्रेसी विधायकों को अपने पाले में करके उनके इस्तीफ़े दिलवाना चाहती है, जिससे विधानसभा की संख्या कम हो जाए और वो सरकार बनाने की स्थिति में आ जाए.

लेकिन बीते कुछ दिनों में सिद्धारमैया के कुछ समर्थक अपने पुराने ढर्रे पर लौट आए. सोमशेखर के शब्दों में कहें तो: "सरकार बने हुए सात महीने हो चुके हैं लेकिन राज्य में विकास कार्य अभी शुरू नहीं हुआ है. अगर सिद्धारमैया को पांच और साल का कार्यकाल मिलता तो हम वास्तविक प्रगति देखते."

सोमशेखर की बात को कांग्रेसी मंत्री सी पुट्टुरंगा शेट्टी ने दोहराते हुए कहा, "मैं मुख्यमंत्री पद पर सिद्धारमैया के अलावा किसी ओर के होने के बारे में सोच भी नहीं सकता."

कुमारस्वामी का ग़ुस्सा

कुमारस्वामी
Reuters
कुमारस्वामी

कुमारस्वामी को एक भावुक व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है. लेकिन सोमशेखर और अन्य के बयानों पर पूछे गए एक पत्रकार के सवाल पर उन्होंने जो प्रतिक्रिया दी उसने उनके क़रीबी सहयोगियों को भी चौंका दिया. जबकि कईयों को लगा कि उन्हें कांग्रेसी विधायकों की इन शिकायतों को रोकना ही था.

कुमारस्वामी ने कहा, "इन विवादों पर नज़र रखना कांग्रेसी नेताओं की ज़िम्मेदारी है. मैंने ये उन पर छोड़ दिया है. आपको ये सवाल उनसे ही पूछना चाहिए. अगर ऐसा ही चलता रहा तो मैं पद छोड़ने के लिए तैयार हूं. अब वो (गठबंधन की) रेखा को पार कर रहे हैं."

जेडीएस के एक नेता ने कहा, "मैं कांग्रेसी विधायकों की तरह अपनी पार्टी के अनुशासन का उल्लंघन नहीं करना चाहता. लेकिन क्या लगातार ये कहकर कि विकास का कोई भी काम नहीं हो रहा है कांग्रेसी अपने ही पैर में गोली नहीं मार रहे हैं? क्या उन्हें नहीं दिख रहा है कि देश की सबसे व्यवस्थित किसान कर्ज़माफ़ी कर्नाटक में लागू की जा रही है?"

क्या चल पाएगा गठबंधन?

मतभेदों का इस तरह सामने आना गठबंधन की राजनीति में कोई नई बात नहीं है. 2004 से 2008 के बीच कर्नाटक में गठबंधन के प्रयोग हुए जब कांग्रेस और जेडीएस और जेडीएस और बीजेपी की गठबंधन सरकारें दो-दो साल तक चलीं.

तो क्या आज के हालात में ये गठबंधन चल पाएगा?

जैन यूनिवर्सिटी के प्रो-वाइस चांसलर और राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ. संदीप शास्त्री कहते हैं, "ये लोकसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे की बातचीत शुरू होने से पहले की धमकीबाज़ी है. "

"दोनों को ही इस गठबंधन की ज़रूरत है और दोनों ही इस गठबंधन के बिना रह नहीं सकते."

BBC Hindi
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English summary
Coalition will survive after the threat of Kumaraswamy
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