हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी युद्धपोत: एस जयशंकर बोले- सुरक्षा के लिहाज से हमारी हर घटनाक्रम पर नजर है
नई दिल्ली, अगस्त 17। श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी युद्धपोत के तैनात होने के बाद से भारत की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। चीन के इस कदम को इस तरह माना जा रहा है कि चीन भारत के पड़ोसी मुल्कों के जरिए हिंदुस्तान का घेरने की कोशिश कर रहा है। इस बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत अपने पड़ोस में होने वाले हर घटनाक्रम पर नजर रखता है, खासकर जो उसकी सुरक्षा पर असर डाल सकता हो। जयशंकर भारत-थाईलैंड संयुक्त आयोग की 9वीं बैठक में भाग लेने के लिए मंगलवार को यहां पहुंचे।
एस जयशंकर ने बैंकॉक में भारत-थाईलैंड जॉइंट कमीशन की 9वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा,''हमारे पड़ोस में जो कुछ भी होता है, कोई भी घटनाक्रम, जिसका हमारे सुरक्षा मुद्दों पर प्रभाव पड़ता है, उस पर हमारी नजर रहती है।'' बैलिस्टिक के डॉकिंग के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ''मुझे लगता है कि कुछ समय पहले एक प्रवक्ता ने कहा था, हम स्पष्ट रूप से किसी भी घटनाक्रम की बहुत सावधानी से निगरानी करते हैं, जिसका हमारे हितों पर असर पड़ता है। ''
आपको बता दें कि श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर मंगलवार को चीन का मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज 'युआन वांग 5' तैनात कर दिया गया था। श्रीलंकाई अधिकारियों ने बताया कि यह जहाज वहां पर 22 अगस्त तक रहेगा। जहाज मूल रूप से 11 अगस्त को चीनी संचालित बंदरगाह पर पहुंचने वाला था, लेकिन श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा अनुमति के अभाव में इसमें देरी हुई। कोलंबो ने कथित तौर पर इस मुद्दे पर दिल्ली की चिंताओं के बीच बीजिंग से यात्रा स्थगित करने के लिए कहा था।
बता दें कि भारत से करीब 700 मील की दूरी पर स्थित हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन का यह जहाज एक जासूसी जहाज है, जो 16 से 22 अगस्त तक वहीं रहेगा। हैरानी की बात यह है कि जिस जगह पर ये जहाज पहुंचा है, वहां से वो भारत की किसी भी उस बैलेस्टिक मिसाइल को ट्रैक कर सकता है जिसका टेस्ट सेनाओं के लिए किया जाएगा।
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। श्रीलंका को जब इन चिंताओं से अवगत कराया गया तो पहले तो उसने चीन से इस जहाज का दौरा टालने का अनुरोध किया। मगर बाद में चीनी अथॉरिटीज ने पूरी तरह से अनसुना कर दिया।
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