विश्वविद्यालयों-कॉलेजो में भरे जाएंगे 7000 रिक्त पद, लोकसभा में पेश हुआ केंद्रीय शैक्षणिक संस्था बिल
नई दिल्ली। केंद्रीय विश्वविद्यालयों, कॉलेजों में लंबे समय से खाली पड़े हुए एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के शिक्षकों के रिक्त पदों को जल्द भरने का रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा है। 200 प्वाइंट रोस्टर के हिसाब से इन विवि-कॉलेजों को एक इकाई मानने के फार्मूले को स्वीकार कर लिया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने लोकसभा में गुरुवार को केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) विधेयक 2019 को मंजूरी के लिए पेश किया।
ये बिल केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अध्यादेश 2019 की जगह ले लेगा। एचआरडी मंत्रालय के अनुसार, प्रस्तावित कानून से अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / एसईबीसी / ईडब्ल्यूएस से संबंधित सभी योग्य प्रतिभाशाली उम्मीदवारों को आकर्षित कर उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षण मानकों में सुधार की उम्मीद है। इसके लिए पिछली सरकार अध्यादेश भी लेकर आई थी। ये विधेयक उस अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है।
सूत्रों ने बिल को लेकर जानकारी देते हुए कहा कि केंद्रीय कैबिनेट ने 12 जून को ही इसे मंजूरी दे दी थी। इसके बाद इस बिल को बजट सत्र के दौरान ही संसद में पारित मंजूरी पर जोर दिया जाएगा। इसे देखते हुए ही बिल को लोकसभा में पेश किया गया है। संसद से मंजूरी मिलते ही उच्च-शिक्षण संस्थानों में रिक्त पड़े हुए शिक्षकों के कुल करीब 7000 से अधिक पदों को सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
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सूत्रों ने ये भी बताया कि समाज के कमजोर वर्ग के शिक्षकों की विवि, कॉलेज को एक यूनिट मानने की काफी पुरानी मांग भी इसके साथ पूरी हो जाएगी। इसके बाद अब विभाग, विषय को एक यूनिट नहीं माना जाएगा। इसके जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण भी सुनिश्चित किया जाएगा।