क्या जल्द खत्म होने वाला है किसान आंदोलन? संयुक्त किसान मोर्चा के ड्राफ्ट पर सरकार कर रही है चर्चा
नई दिल्ली, दिसंबर 07। कृषि कानून रद्द होने के बाद भी किसानों का प्रदर्शन जारी है। MSP समेत कई अन्य मांगों को लेकर किसान आंदोलन खत्म नहीं कर रहे हैं। इस बीच खबर है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन कर रहे किसानों की मांग के संबंध में एक लिखित मसौदा भेजा है और बताया जा रहा है कि सरकार में इसको लेकर चर्चा हो रही है। संभव है कि सरकार किसानों की मांग को मान ले और फिर किसानों आंदोलन खत्म हो जाए।
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मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन करेंगे किसान!
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति ने किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों को लेकर एक ड्राफ्ट सरकार के पास भेजा है और अंदरखाने खबर है कि सरकार में इस ड्राफ्ट पर चर्चा चल रही है। आपको बता दें कि मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की एक मीटिंग भी हुई। इस मीटिंग से जाने से पहले कई किसान नेताओं ने ये कहा था कि जब तक हमारी मांगों को नहीं माना जाएगा, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
4 दिसंबर को गठित हुई थी समिति
आपको बता दें कि 4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने 5 सदस्यों की एक समिति का गठन किया था। इस समिति का गठन कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद भी बरकरार किसानों की मांगों को लेकर केंद्र के साथ चर्चा के लिए किया गया था। किसानों ने फैसला किया है कि जब तक इन समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता, तब तक वे अपना धरना वापस नहीं लेंगे।
अभी किसानों की क्या मांग हैं पेंडिंग?
- किसानों की सबसे पहली मांग यही है कि MSP पर सरकार गारंटी दे। उत्पादन की व्यापक लागत (सी2+50 प्रतिशत) के आधार पर एमएसपी को सभी कृषि उत्पादों के लिए सभी किसानों का कानूनी अधिकार बनाया जाना चाहिए, ताकि देश के प्रत्येक किसान को कम से कम सरकार ने उनकी पूरी फसल के लिए एमएसपी की घोषणा की।
- किसानों की दूसरी मांग ये है कि "बिजली संशोधन विधेयक, 2020/2021" के ड्राफ्ट को वापस लिया जाए। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि बातचीत के दौरान सरकार ने वादा किया था कि इसे प्रस्ताव को वापस लिया जाएगा। लेकिन इसे अभी संसद के एजेंडे में शामिल नहीं किया है। अभी ये मांग लंबित है।
- किसानों की तीसरी मांग ये है कि सरकार को "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021" की धारा 15 को हटाना चाहिए, जिसमें पराली जलाने की स्थिति में किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का जिक्र है।
- किसानों की चौथी मांग है कि आंदोलन के दौरान दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में जून 2020 के बाद से दर्ज हुए मामले वापस लिए जाएं। किसानों का कहना है कि उन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया है।
- किसानों की पांचवी मांग है कि लखीमपुर की घटना में आरोपी केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा को उनके पद से बर्खास्त और गिरफ्तारी हो।
- छठी मांग किसानों की ये है कि विरोध के दौरान शहीद हुए कथित 700 किसानों के लिए सिंघू बॉर्डर पर शहीद स्मारक का निर्माण हो। साथ ही परिवारों को मुआवजा मिले।