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2 साल पहले भारत आना चाहते थे ट्रुडो, मोदी ने रख दी थी ये शर्त

कनैडियन पीएम जस्टिन ट्रूडोदो वर्ष पहले ही भारत आना चाहते थे लेकिन खालिस्‍तानी आतंकियों को उनकी सरकार के समर्थन की वजह से मोदी सरकार उन्‍हें बुलाने में कोई रूचि नहीं दिखा रही थी। पिछले वर्ष जर्मनी के शहर हैम्‍बर्ग में जब जी-20 समिट का आयोजन हुआ तो उस समिट ने ही ट्रूडो की इस भारत यात्रा की नींव तैयार

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नई दिल्‍ली। आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनैडियन पीएम जस्टिन ट्रूडो की गले मिलते हुए वह फोटो आ ही गई जिसका इंतजार भारत और कनाडा के अलावा ब्रिटेन और अमेरिका की मीडिया तक को था। शुक्रवार को पीएम मोदी ने राष्‍ट्रपति भवन में औपचारिक तौर पर ट्रूडो का स्‍वागत किया। ट्रूडो दो वर्ष पहले ही भारत आना चाहते थे लेकिन खालिस्‍तानी आतंकियों को उनकी सरकार के समर्थन की वजह से मोदी सरकार उन्‍हें बुलाने में कोई रूचि नहीं दिखा रही थी। पिछले वर्ष जर्मनी के शहर हैम्‍बर्ग में जब जी-20 समिट का आयोजन हुआ तो उस समिट ने ही ट्रूडो की इस भारत यात्रा की नींव तैयार की। जब से कनाडा के पीएम भारत आए हैं तब से ही उनके दौरे के साथ कोई न कोई विवाद जुड़ा है। पीएम मोदी की तरफ से उनका अपने चिर-परिचित स्‍वागत न करने की बात हो या फिर पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के साथ उनकी कभी हां कभी न वाली मुलाकात हो। इस दौरे पर उस समय एक बड़ा विवाद जुड़ गया जब ट्रूडो के मुंबई वाले डिनर में खालिस्‍तानी आतंकी जसपाल अटवाल को इनवाइट किया गया। इस विवाद पर कनाडा के पीएम को भी सफाई देनी पड़ी है।

दावोस में विजिट पर लगी आखिरी मोहर

दावोस में विजिट पर लगी आखिरी मोहर

इंग्लिश वेबसाइट द प्रिंट ने सूत्रों के हवाले से लिखा है दो वर्ष पहले ट्रूडो भारत की यात्रा पर आना चाहते थे। उनकी इस ख्‍वाहिश को भारत ने ज्‍यादा तवज्‍जो नहीं दी। खालिस्‍तान को लेकर कनाडा का रुख भारत को ऐसा करने से रोक रहा था। कनैडियन पीएम इस मुद्दे पर किसी भी तरह का कोई बयान नहीं दे रहे थे और न ही खालिस्‍तानी समर्थकों से अपनी सरकार को दूरी बनाने के लिए कह रहे थे। उनके इस रवैये ने भारत को कनाडा के साथ किसी भी तरह के राजनीतिक संवाद को काफी मुश्किल बना दिया था। पिछले वर्ष जर्मनी के शहर हैम्‍बर्ग में जब जी-20 समिट का आयोजन हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां से आतंकवाद पर कड़ा संदेश दिया और फिर हाल ही में स्विट्जरलैंड के दावोस में हुए आर्थिक शिखर सम्‍मेलन में ट्रूडो की भारत यात्रा को ग्रीन सिग्‍नल मिला।

पीएम मोदी ने दिया कड़ा संदेश

पीएम मोदी ने दिया कड़ा संदेश

हैम्‍बर्ग में पीएम मोदी ने साफ कर दिया था कि कनाडा को फ्रीडम ऑफ स्‍पीच के नाम पर कुछ लोगों की दी गई आजादी पर अपने रुख को साफ करना होगा। पीएम मोदी ने हैम्‍बर्ग में जब ट्रूडो से मुलाकात की तो साफ बता दिया कि भारत खालिस्‍तान समर्थकों को अपने लिए एक सुरक्षा खतरे के तौर पर देखता है। मोदी ने ट्रूडो को साफ कर दिया था कि उनकी सरकार को अपना रुख बदलना होगा और ट्रूडो सरकार को अगर भारत से रिश्‍तों को आगे ले जाना है तो भारतीय सुरक्षा हितों को समझना ही होगा। इस मीटिंग ने ट्रूडो को काफी हद तक यह समझाने का काम किया कि भारत आतंकवाद को लेकर कितना सख्‍त है।

पीएम मोदी के रवैये से दुखी कनाडा

पीएम मोदी के रवैये से दुखी कनाडा

पीएम मोदी के सख्‍त रवैये से कनाडा काफी निराश हुआ लेकिन उसे यह बात समझने में देर नहीं लगी कि भारत की सरकार उसके साथ सिर्फ बिजनेस ही नहीं चाहती है बल्कि वह ट्रूडो से कनाडा में फ्रीडम ऑफ स्पीच में बदलाव भी चाहती है। दावोस में दोनों नेता फिर मिले। यहां पर ट्रूडो ने इस बात का भरोसा मोदी को दिया कि उनकी कैबिनेट उनकी डिमांड पर काम करना शुरू कर दिया है। सबसे दिलचस्‍प बात थी कि ट्रूडो ने पीएम मोदी के साथ मुलाकात के समय फ्रीडम ऑफ स्‍पीच पर कोई बात नहीं की और पीएम मोदी बताया कि वी भारत की चिंताओं से अवगत हैं। ट्रूडो ने पीएम मोदी से कहा कि वह भारत की चिंताओं का सम्‍मान करते हैं। ट्रूडो ने यह उम्‍मीद भी जताई कि भारत सरकार, कनाडा और भारत के रिश्‍तों पर कोई आंच नहीं आने देगी। इस बातचीत ने ही ट्रूडो की भारत यात्रा के दरवाजे खोले और 17 फरवरी को ट्रूडो भारत आए।

19 फरवरी की घटना ने बढ़ाया सिरदर्द

19 फरवरी की घटना ने बढ़ाया सिरदर्द

19 फरवरी को मुंबई में कनैडियन प्राइम मिनिस्‍टर जस्टिन ट्रूडो के सम्‍मान में एक डिनर आयोजित किया गया था। इस डिनर में आतंकी अटवाल भी मौजूद था। अटवाल आतंकी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का सदस्‍य और 1986 में पंजाब सरकार में एक मंत्री की हत्‍या का दोषी भी है।कनाडा के सांसद रणदीप एस सराई ने अटवाल को डिनर में इनवाइट करने की जिम्‍मेदारी ली है। उन्‍होंने कहा है कि मुंबई में पीएम के रिसेप्‍शन के लिए जो डिनर आयोजित हुआ था, उसके लिए उन्‍होंने ही अटवाल को इनवाइट किया था। सराई ने इस इनविटेशन के लिए माफी मांगी है। ट्रूडो के लिए अटवाल का आना अपने आप में एक सिरदर्द की बात है। पीएम मोदी उनके साथ बातचीत में यह मुद्दा उठा सकते हैं।

यह भी पढ़ें- Live: राष्‍ट्रपति भवन में गले लगाकर पीएम मोदी ने किया ट्रूडो का स्‍वागत, देखें तस्‍वीरेंयह भी पढ़ें- Live: राष्‍ट्रपति भवन में गले लगाकर पीएम मोदी ने किया ट्रूडो का स्‍वागत, देखें तस्‍वीरें

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English summary
Canadian Prime Minister Justin Trudeau wanted to visit India two years back but due to his inclination for Khalistani supporters Modi government gave a cold shoulder to his wish.
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