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बुलंदशहर: कब, क्या और कैसे हुआ?

इस दौरान पुलिसकर्मी घायल पड़े सुबोध कुमार सिंह को इलाज के लिए सरकारी वाहन में बैठाने लगे तो भीड़ ने दोबारा हमला कर दिया. इसमें पुलिसवालों को काफ़ी चोटें आईं और सामने कॉलोनी के लोग घरों के खिड़की-दरवाज़ें बंद कर छिप गए.

कमरे में बंद पुलिसकर्मियों ने अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की, जिन्होंने कुछ देर बाद वहां पहुंचकर दरवाज़ा तोड़ा और इन लोगों को बाहर निकाला. 

By BBC News हिन्दी
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बुलंदशहर: कब, क्या और कैसे हुआ?

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से क़रीब उत्तर प्रदेश का बुलंदशहर ज़िला सन्नाटे में हैं. यहां के स्याना इलाके में सोमवार को एक पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी गई. इसके अलावा एक और आदमी के मारे जाने की ख़बर है.

पुलिस के मुताबिक कुछ गिरफ़्तारियां की गई हैं, जबकि दूसरे हमलावरों की शिनाख़्त की जा रही है.

बुलंदशहर के एसएसपी कृष्ण बहादुर सिंह ने बीबीसी को बताया, ''इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.'' एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी प्रशांत कुमार के मुताबिक पुलिस कथित गोहत्या की भी जांच कर रही है.

बुलंदशहर का ताज़ा हाल

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सोमवार की इस घटना के बाद इलाके में अजीब सी बेचैनी है. यहां एक हज़ार से ज़्यादा सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है और दुकानें-स्कूल बंद हैं.

लेकिन कथित गोहत्या का मामला इतना कैसे बढ़ गया कि बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी. भीड़ कैसे इतनी बेकाबू हो गई कि थाने पर हमला कर दिया गया, वाहन फूंके गए और पुलिस अधिकारी की हत्या तक कर दी गई.

इन सभी सवालों के कुछ जवाब एफ़आईआर से मिल सकते हैं. इस मामले स्याना थाना, बुलंदशहर में एफ़आईआर नंबर 0583 दर्ज की गई है.

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प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 149, 124-ए, 332, 333, 353, 341, 336, 307, 302, 427, 436, 395 और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 1932 की धारा 7, सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

कितने लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर?

इस एफ़आईआर में 27 लोगों को नामजद किया गया है और 50-60 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ भी मामला दर्ज किया गया.

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एफ़आईआर में घटना के बारे में कुछ यूं बताया गया है: महाव गांव के जंगल में गोकशी की घटना की जानकारी मिली थी. पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो वहां काफ़ी भीड़ जमा थी.

पुलिस ने वहां लोगों को समझाने-बुझाने की कोशिश की. 50-60 लोगों की भीड़ को स्याना के प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह ने भी काफ़ी मनाने की कोशिश की, लेकिन कोई ख़ास कामयाबी नहीं मिली.

क्या-क्या हुआ था?

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लेकिन भीड़ कुछ सुनने को तैयार नहीं थी और पथराव शुरू कर दिया. इसके बाद योगेश राज नामक व्यक्ति आदि लोगों के नेतृत्व में दोपहर क़रीब 13:35 बजे चौकी चिंगरावठी के सामने सड़क पर लगे जाम लगाए खड़े लोग और उग्र होने लगे.

मौके पर मौजूद एसडीएम स्याना और क्षेत्राधिकारी स्याना ने भीड़ को समझाने की कोशिश की, दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का आश्वासन दिया, कुछ लोगों को कोतवाली, स्याना चलकर एफ़आईआर की कॉपी लेने को भी कहा.

लेकिन वहां कुछ लोग भीड़ को भड़काते रहे जिसके बाद हालात काबू से बाहर हो गए. एफ़आईआर के मुताबिक भीड़ ने असलाह, लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया.

सुबोध कुमार सिंह की हत्या कैसे हुई?

प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह को गोली मार दी गई और उनकी लाइसेंसी पिस्तौल, तीन मोबाइल फ़ोन छीनकर ले गए. इसके बाद वो लगातार फ़ायरिंग करते रहे और वायरलेस सेट तोड़ दिए. साथ ही चौकी की निजी-सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया.

एफ़आईआर में लिखा गया है कि ये घटनास्थल स्याना-बुलंदशहर लोकमार्ग पर स्थित है, जिस पर घटना के समय कई लोग आ-जा रहे थे. इस दौरान अराजकता का माहौल बन गया और लोग इधर-उधर भागने लगे थे.

जब क्षेत्राधिकारी स्याना अपनी जान बचाने के लिए चौकी में घुसे तो भीड़ उग्र हो गई और मारो-मारो का शोर करते हुए चौकी में भी आग लगा दी.

फिर दोबारा हमला हुआ

इस दौरान पुलिसकर्मी घायल पड़े सुबोध कुमार सिंह को इलाज के लिए सरकारी वाहन में बैठाने लगे तो भीड़ ने दोबारा हमला कर दिया. इसमें पुलिसवालों को काफ़ी चोटें आईं और सामने कॉलोनी के लोग घरों के खिड़की-दरवाज़ें बंद कर छिप गए.

कमरे में बंद पुलिसकर्मियों ने अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की, जिन्होंने कुछ देर बाद वहां पहुंचकर दरवाज़ा तोड़ा और इन लोगों को बाहर निकाला. घायल प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह को सीएचसी लखावटी (औरंगाबाद) ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

एफ़आईआर में इस बात का भी ज़िक्र है कि पुलिस ने भीड़ का तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया, जिसमें रायफ़ल और एक राउंड हवाई फ़ायर किया गया.

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