Budget 2018 पेश होते ही बीजेपी के लिए बजी खतरे की घंटी, 2019 से पहले तीन राज्यों में होगा कड़ा इम्तिहान
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश किया। हमेशा की तरह नौकरीपेशा व्यक्ति को उम्मीद थी कि सरकार इनकम टैक्स में थोड़ी राहत देगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। वैसे बजट से सिर्फ नौकरीपेशा ही निराश नहीं हुआ। आम बजट 2018 से सेंसेक्स भी खुश नहीं हुआ और गोते लगाने लगा। इधर अरुण जेटली सदन में बजट पेश कर रहे थे और उधर सेंसेक्स 450 अंक तक नीचे जा गिरा। हालांकि, बाद में सेंसेक्स में सुधार भी हुआ, लेकिन कुल मिलाकर बजट के बाद सेंसेक्स में जिस दिवाली का इंतजार था, वो नहीं आई। आम बजट 2018 पेश किए जाते वक्त मोदी सरकार के लिए सिर्फ शेयर बाजार से ही बुरी खबर नहीं आई बल्कि चुनावी मैदान से भी खतरे की घंटी बज उठी।
बंगाल से बुरी खबर आई
गुरुवार को सबसे पहले बीजेपी के लिए बंगाल से बुरी खबर आई, जहां पर नवपाड़ा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। उलुबेरिया लोकसभा सीट के वोटों की गिनती अभी जारी है, लेकिन जीत की संभावना वहां भी कम है। इसी प्रकार से राजस्थान में भी दो लोकसभा सीटों- अलवर और अजमेर व एक विधानसभा सीट मांडलगढ़ में भी मतों की गिनती का काम चल रहा है। अलवर-अजमेर में कांग्रेस प्रत्याशी ने 72000 और 60000 की अच्छी खासी बढ़त बना रखी है।
राजस्थान उपचुनावों ने बढ़ाई अमित शाह की चिंता
राजस्थान की दो लोकसभा सीटों- अजमेर और अलवर तथा एक विधानसभा सीट मांडल पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह से बीजेपी को टक्कर दी है, उससे स्थिति साफ हो गई है कि दिसंबर 2018 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में मुकाबला जबर्दस्त होगा। वैसे भी गुजरात में मुश्किल से किला बचाने के बाद बीजेपी के सामने राजस्थान में एंटी-इन्कमबैंसी को पछाड़ना आसान नहीं लग रहा है। राजस्थान का इतिहास भी अच्छे संकेत नहीं दे रहा है। यहां का चुनावी ट्रेंड ही कुछ इस प्रकार का है कि हर 5 साल बाद सरकार बदल जाती है। ऐसे में राजस्थान मोदी-शाह की जोड़ी के लिए बड़ा सिरदर्द साबित होने वाला है।
मध्यप्रदेश में भी शिवराज सिंह चौहान की राह भी बेहद कठिन
मध्यप्रदेश में लगातार जीत की हैट्रिक लगाकर सीएम बनने वाले शिवराज सिंह चौहान के लिए भी विधानसभा चुनाव की डगर आसान नहीं है। राज्य में कुछ दिनों पहले आए निकाय चुनाव के नतीजे भी बीजेपी के लिए उत्साह बढ़ाने वाले नहीं हैं। ऐसे में देखना रोचक होगा कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान कुर्सी बचाने के लिए आखिर कौन सा दांव चलाते हैं।
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के सामने भी कड़ी चुनौती
छत्तीसगढ़ बनने के बाद से राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार है। यहां पर पिछले विधानसभा चुनाव में भी बड़ी मुश्किल से बीजेपी की सरकार बनी थी। यहां पर एंटी इन्कमबैंसी का असर भी समय के साथ काफी बढ़ गया है। इसके साथ भ्रष्टाचार के भी कई मामलों को लेकर रमन सरकार सवालों के घेरे में आई। ऐसे में 2019 से पहले छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज मोदी-शाह की अब तक सबसे बड़ी चुनावी चुनौती होगी, क्योंकि उसका संदेश 2019 लोकसभा चुनाव तक जाएगा।