BSF Expansion : Mamata का गुस्सा गृह मंत्री अमित शाह के सामने फूटा, अधिकार क्षेत्र विस्तार पर भड़कीं
BSF Expansion Mamata Banerjee की सरकार के लिए असहजता का प्रमुख कारण रहा है। पहले ही कई बार इस फैसले की आलोचना कर चुकीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज अमित शाह के सामने ही बीएसएफ पर भड़क उठीं।
BSF Expansion Mamata बनर्जी के गुस्से का कारण बना हुआ है। सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकार क्षेत्र में विस्तार के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ पहले भी आक्रामक तेवर दिखा चुकीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बार गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में अपनी भड़ास निकाली। रिपोर्ट्स के मुताबिक कोलकाता में Eastern Zonal Council की बैठक में मेजबान होने के नाते पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री मौजूद रहीं। इसी दौरान उन्होंने BSF Jurisdiction Expansion के मुद्दे पर बात की।
शाह और ममता आमने-सामने
गौरतलब है कि अमित शाह और ममता बनर्जी जिस बैठक में आमने-सामने आए इसमें कई राज्यों के मंत्री और गृह मंत्री मौजूद रहे। बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भी मीटिंग में अपने कैबिनेट सहयोगी के साथ देखा गया। Eastern Zonal Council की बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ओडिशा के कैबिनेट मंत्रियों ने भी शिरकत की। परिषद के सदस्य के रूप में राज्यों के दो कैबिनेट मंत्री, राज्यों के मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों समेत केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया। इससे पहले सीएम ममता बनर्जी ने अमित शाह का स्वागत किया।
बीएसएफ को क्षेत्राधिकार विस्तार की अनुमति नहीं
शाह और ममता के बीच मुलाकात पर रिपब्लिक टीवी की रिपोर्ट में कहा गया, कोलकाता में राज्य सचिवालय- नबन्ना में करीब 20 मिनट तक चली ममता बनर्जी और अमित शाह की निजी मुलाकात के दौरान ममता ने बीएसएफ के क्षेत्राधिकार का मुद्दा उठाया। रिपब्लिक ने सूत्रों के हवाले से कहा, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अमित शाह से बीएसएफ की शक्तियों पर सीधा सवाल किया। उन्होंने कहा कि बीएसएफ को क्षेत्राधिकार विस्तार की अनुमति नहीं दी जा सकती।
क्या BSF के मुद्दे पर असहज दिखीं ममता ?
रिपोर्ट में कहा गया, ममता बनर्जी ने बीएसएफ की शक्तियों पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पूछा, बीएसएफ किस आधार पर जगह मांग रहा है?' उन्होंने आगे कहा कि बीएसएफ जितनी जमीन चाहती है वह संभव नहीं होगा। बैठक से सामने आई तस्वीरों में शाह और ममता की भाव भंगिमाओं को असहज माना गया।
निजी मुलाकात में कई मुद्दों पर चर्चा
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में फरक्का बैराज पर ममता बनर्जी ने कहा, बैराज अच्छा चल रहा है लेकिन पश्चिम बंगाल को पानी नहीं मिल रहा। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने मजाकिया लहजे में जोर देकर कहा कि बैराज ही हटा दिया जाना चाहिए। सीएम ममता और शाह ने राज्य के कृष्णा नगर में रेलवे पुल के संबंध में भी चर्चा की।
जी-20 से संबंधित कार्यक्रमों में राज्यों की भूमिका
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में राज्य सरकारों के साथ कई मुद्दों पर चर्चा की। एक बयान में कहा गया कि कई मुद्दों पर सहमति बन गई है, बाकी का समाधान परामर्श के माध्यम से किया जाएगा। बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि वे अगले वर्ष के दौरान अपने राज्यों में आयोजित होने वाले जी-20 से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान अपने राज्यों की सांस्कृतिक विविधता और पर्यटन स्थलों को दुनिया के सामने प्रदर्शित करें।
नक्सलवाद लगभग समाप्त !
गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "25वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक अच्छे और सकारात्मक माहौल में हुई।" गृह मंत्री ने कहा कि देश के पूर्वी क्षेत्र में वामपंथी उग्रवाद या नक्सलवाद लगभग समाप्त हो गया है। ऐसे में इस पर इस निर्णायक प्रभुत्व को बनाए रखने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, "वामपंथी उग्रवाद इन राज्यों में फिर से उभरना नहीं चाहिए और इन राज्यों को देश के अन्य हिस्सों के बराबर ही विकसित होना चाहिए।"
ड्रग्स के खिलाफ मुहिम
गृह मंत्री शाह ने मुख्यमंत्रियों से जिला स्तर पर नेशनल नारकोटिक्स कोऑर्डिनेशन पोर्टल (NCORD) प्रणाली के निर्माण और नशीले पदार्थों के खिलाफ लड़ाई का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा, "आज देश में ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई निर्णायक चरण में है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए ड्रग्स के खिलाफ अभियान को और तेज करने की जरूरत है।" बता दें कि जोनल काउंसिल की इस बैठक में मुख्यमंत्रियों के साथ सुरक्षा बलों के अधिकारी भी शामिल हुए।
पूर्वी क्षेत्र भारत के विकास में महत्वपूर्ण
गृह मंत्रालय के अनुसार पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों में 1,000 से अधिक मुद्दों पर चर्चा की गई। 93 प्रतिशत मुद्दों का समाधान किया जाना बहुत बड़ी उपलब्धि है। MHA के बयान में कहा गया, "2006 से 2013 तक आठ वर्षों में, क्षेत्रीय परिषदों की कुल छह बैठकें हुईं। सभी राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों का मिला। अंतर-राज्य परिषद सचिवालय सक्रिय भूमिका निभा रहा है। गृह मंत्रालय ने कहा, पूर्वोत्तर भारत में बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में उल्लेखनीय काम हुआ है। अगले 25 वर्षों में अमृत काल में देश का पूर्वी क्षेत्र भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
क्या है Eastern Zonal Council
गौरतलब है कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15-22 के तहत वर्ष 1957 में पांच क्षेत्रीय परिषदों (पश्चिमी, पूर्वी, उत्तरी, दक्षिणी और मध्य) की स्थापना की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्री इन पांच क्षेत्रीय परिषदों के अध्यक्ष हैं। हर साल बारी-बारी से चुने जाने वाले मेजबान राज्य के मुख्यमंत्री परिषद् के उपाध्यक्ष होते हैं। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की पिछली बैठक 28 फरवरी, 2020 को भुवनेश्वर में हुई थी। परिषद केंद्र और राज्यों के अलावा जोन में आने वाले सदस्य-राज्यों के बीच के मुद्दों को उठाती है। इससे विवादों और परेशानियों को हल करने का मंच मिलता है। क्षेत्रीय परिषदें सीमा संबंधी विवाद, सुरक्षा, बुनियादी ढांचे से संबंधित मामले जैसे सड़क, परिवहन, उद्योग, जल और बिजली, वन और पर्यावरण, आवास और शिक्षा से संबंधित मामलों पर चर्चा करती हैं।