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BRO: अरुणाचल प्रदेश में शुरू हुआ 6 पैदल ट्रैक का निर्माण, चीन की चालबाजियों पर यूं लगेगी लगाम

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ईटानगर, 10 सितंबर: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) अरुणाचल प्रदेश में 6 फुट ट्रैक विकसित कर रहा है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के दूर-दराज इलाकों में कनेक्टिविटी में सुधार और उसका विस्तार करना है। शुक्रवार को बीआरओ सूत्रों ने ईटानगर में बताया है कि इसने प्रोजेक्ट अरुणांक के तहत 6 फुट ट्रैक निर्माण को प्राथमिकता दी है और इसपर तेजी से काम शुरू कर दिया गया है, ताकि तीन साल में तय लक्ष्य हासिल किया जा सके। इन ट्रैकों के तैयार होने के बाद राज्य के दूर-दराज इलाकों का सामाजिक-आर्थिक विकास तो होगा ही सामरिक नजरिए से भी यह वरदान साबित होने वाले हैं।

अरुणांक प्रोजेक्ट के तहत पैदल ट्रैक का निर्माण शुरू

अरुणांक प्रोजेक्ट के तहत पैदल ट्रैक का निर्माण शुरू

बीआरओ की ओर से अरुणाचल में बन रही पैदल ट्रैकों को लेकर जो ट्वीट किया गया है, उसमें कहा गया है, 'अरुणाचल प्रदेश में बीआरओ ने हुरी-तापा पैदल ट्रैक के निर्माण का काम शुरू कर दिया है। यह कोशिश अरुणाचल के दूर-दराज के क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी की चुनौती का समग्र रूप से समाधान तलाशने और राज्य में सामाजिक-पर्यावरण के विकास को बढ़ावा देने के बड़े उद्देश्य का हिस्सा है।' बीआरओ ने इस ट्वीट को पीएमओ को भी टैग किया है। सूत्रों के मुताबिक बीआरओ के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी अपने प्रतिबद्ध अफसरों के साथ लगातार इन कार्यों की प्रगति की निगरानी कर रहे हैं। उसने कहा कि प्रोजेक्ट अरुणांक के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई है। (पहली तस्वीर सौजन्य: बीआरओइंडिया)

चीन की चालबाजियों पर लगेगी लगाम !

चीन की चालबाजियों पर लगेगी लगाम !

सूत्र ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार अरुणाचल में जिन 6 पैदल ट्रैकों का निर्माण होना है, उनमें हुरी-तापा (20.44-किमी) के अलावा ताप-गोयिंग (18.6-किमी), तापा कारु (43.18 किमी), सरली-सेमयी (54.87-किमी), सरली-फुले (34.38-किमी)और नाचो-बांग्ते (41.6-किमी)शामिल हैं। ये ट्रैक राज्य के कुरुंग कुमेय और ऊपरी सुबंसिरी जिलों में हैं, जो कि चीन से सटे सीमावर्ती जिले हैं और इसलिए इन पैदल ट्रैकों की अहमियत समझी जा सकती है। माना जा रहा है कि यह ट्रैक प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में सामाजिक-आर्थिक विकास पर तो गहरी छाप छोड़ेंगी ही, यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी वरदान साबित हो सकती है।

'फिर से आबाद होगा वो इलाका'

'फिर से आबाद होगा वो इलाका'

उधर बीआरओ के डीजी ने भी ट्विटर के जरिए कहा है, 'सभी ट्रैक अरुणाचल प्रदेश के दूर-दराज इलाकों में बन रही हैं। इससे न केवल उन क्षेत्रों को फिर से आबाद किया जा सकेगा, बल्कि सूमो और जीप भी उन ट्रैकों पर चल सकेंगी। बीआरओ राज्य के दूर-दराज क्षेत्रों को भीतरी इलाकों से जोड़ने के लिए आगे भी प्रतिबद्ध रहेगा, यदि जरूरी हुआ तो महान बलिदान के साथ।' दरअसल, हाल के वर्षों में बीआरओ ने उत्तर पूर्व में जो योगदान दिए हैं, उससे स्थानीय लोग काफी खुश हैं। सोशल मीडिया के जरिए लोग बता रहे हैं कि मुश्किल भू-भाग और चुनौती भरे मौसमों में भी सीमा सड़क संगठन उनके लिए हमेशा तैयार रहा है। (ऊपर की दो तस्वीरें- प्रतीकात्मक)

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बीआरओ के काम की होती रही है सराहना

बीआरओ के काम की होती रही है सराहना

इस साल जून में ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने असम के लखीमपुर से बीआरओ निर्मित 12 सड़कें राष्ट्र को समर्पित की थीं। इन सड़कों का निर्माण उत्तर-पूर्व से लेकर लद्दाख तक के इलाकों में किया गया है। बीआरओ का अरुणांक प्रोजेक्ट भी उसमें शामिल है। इसके अलावा 'वर्तक', 'ब्रह्मक', 'उदयक', 'हिमांक' और 'संपर्क' प्रोजेक्ट के तहत भी सड़कें बनाई गई हैं। इस दौरान रक्षा मंत्री ने भी कोविड-19 की चुनौतियों के बावजूद बीआरओ के काम की काफी तारीफ की थी। (आखिरी तस्वीर-फाइल)

English summary
Border Roads Organization begins work to develop foot track in Arunachal Pradesh
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