BRICS:एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप की बैठक, डार्कनेट जैसी टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग पर फोकस
नई दिल्ली- गृहमंत्रालय ने कहा है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई ब्रिक्स की एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप की बैठक में डार्कनेट और दूसरी एडवांस टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग पर फोकस किया गया है। बता दें कि ब्रिक्स राष्ट्रों में भारत के अलावा चीन भी शामिल है। इसकी एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप की यह चौथी बैठक है। बैठक के बाद गृहमंत्रालय ने इसके बारे में जानकारी जारी की है।
केंद्रीय गृहमंत्रालय ने बताया है कि 'वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई ब्रिक्स एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप की चौथी बैठक में इसके पांचों सदस्य राष्ट्रों ने अंतरराष्ट्रीय ड्रग-विरोधी सम्मेलनों के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए एक आधिकारिक सूचना को अपनाया है।' गृहमंत्रालय के अनुसार 'भारत ने ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के बीच रीयल टाइम सूचना के आदान-प्रदान के लिए नोडल बिंदुओं का स्थापित करने का आह्वान किया है। इस बैठक में चर्चा का मुख्य विषय ड्रग के कारोबार के लिए डार्कनेट और दूसरे एडवांस टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग रहा।"
गृहमंत्रालय ने कहा कि सदस्य देशों के बीच इस बैठक में विचारों का बहुत ही लाभप्रद आदान-प्रदान हुआ। डार्कनेट उन छिफे हुए इंटरनेट प्लेटफॉर्म को कहा जाता है जो कानून का पालन कराने वाली एजेंसियों की नजर से बचाकर मादक पदार्थों की बिक्री, अश्लील सामग्री के आदान-प्रदान और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए गुप्त अनियन राउटर (टीओआर) के जरिए इस्तेमाल किया जाता है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने पहली बार फरवरी में उत्तर प्रदेश के एक नशीली पदार्थ बेचने वाले को पकड़ने के बाद इस तरह के रैकेट का भंडाफोड़ किया था, जो सेक्स उत्तेजनाओं वाली दवाओं की आड़ में विदेशों में नशीली दवाओं का पार्सल भेजने के लिए कथित रूप से इसका इस्तेमाल किया था। इस सम्मेलन में भारत की ओर से एसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (ऑपरेशन्स) बी राधिका,एसीबी के डिप्टी डायरेक्टर (ऑपरेशन्स) केपीएस मल्होत्रा, मॉस्को में भारतीय दूतावास के प्रथम सचिव (व्यापार) वृंदाबा गोहिल और विदेश मंत्रालय में अंडर सेकरेटरी वैभव तांडाले शामिल हुए।
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