बॉम्बे हाईकोर्ट ने सिद्धिविनायक ट्रस्ट से महाराष्ट्र सरकार को पैसे देने पर रोक लगाने से किया इनकार
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट को राहत देते हुए उनके द्वारा कोरोना की लड़ाई और शिव भोजन थाली के लिए दिए जाने वाले आर्थिक सहियोग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट को एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया है। जिसमें ट्रस्ट द्वारा सरकार को 10 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को चुनौती दी गई है।
हाईकोर्ट में लीला रंगा नाम के शख्स ने एक याचिका दायर कर कहा था कि ट्रस्ट के कामकाज को नियंत्रित करने वाले श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के तहत फंड का ट्रांसफर अवैध है। याचिका में कहा गया है कि, सरकार ने मंदिर ट्रस्ट समिति को पांच-पांच करोड़ रुपये राज्य की 'शिव भोजन' योजना और कोविड-19 से लड़ने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में दान करने के लिए कहा गया था।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे की पीठ ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि कोई भी मंदिर ट्रस्ट की ओर से पेश नहीं हुआ है। इसलिए अदालत इस मामले में कोई फैसला नहीं दे सकती है। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि बाद में धन से संबंधित कोई अनियमितता पाई गई, तो वह सरकार को राशि वापस करने का निर्देश देगी।
पीठ ने राज्य सरकार और ट्रस्ट को चार सप्ताह के भीतर रंगा की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता को अपने जवाबों को फिर से दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया और मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी। आपको बता दें कि 'शिवभोजन' थाली शिव सेना की महत्वकांक्षी योजना है, पिछले महीने ही 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन उद्धव ठाकरे ने शुरू किया था। यह योजना राज्य सरकार के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। इस योजना के तहत गरीबों और जरूरतमंद लोगों को रियायती दर पर मात्र 10 रुपए में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
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