चुनावों के लिए बीजेपी की तैयारी, बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या के बूते गर्माएगी सियासत
नई दिल्ली। जैसे-जैसे साल कें अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कुछ अन्य राज्य के चुनाव पास आ रहे हैं वैसे-वैसे बीजेपी ने कई भावनात्मक और संवेदनशील मुद्दों को उठाना शुरु कर दिया है। लोकसभा चुनाव तक तो बीजेपी इन मुद्दों को पूरे देश में उठाने की रणनीति बना रही है। इन्हीं में से एक मुद्दा नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) का भी है। असम में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी और निर्देश के बाद एनआरसी पर काम हो रहा है लेकिन बीजेपी इस मुद्दे को अपने चुनावी फायदे के लिए भुनाना चाहती है। बीजेपी एनआरसी को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की तैयारी में है। ना केवल बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बल्कि संघ परिवार के कई अन्य सहयोगी भी इस मामले को उठा रहे हैं क्योंकि उनके लिए घुसपैठ सिर्फ असम तक ही सीमित नहीं है बल्कि घुसपैठिये देश भर में फैले हुए हैं।
निशाने पर कांग्रेस
बीजेपी
इस
मुद्दे
पर
कांग्रेस
के
खिलाफ
हर
मोर्च
पर
लड़ाई
के
लिए
तैयार
है।
पार्टी
के
राष्ट्रीय
महासचिव
राम
माधव
ने
कहा
कि
कांग्रेस
नेतृत्व
को
अपने
पूर्वजों
और
इतिहास
से
सीखना
चाहिए।
उन्होंने
कहा
कि
आप्रवासी
(असम
से
निष्कासन)
अधिनियम
1950
को
तत्कालीन
प्रधानमंत्री
जवाहरलाल
नेहरू
ने
ही
लाया
था
उस
वक्त
बीजेपी
तो
छोड़िए
जनसंघ
भी
अस्तित्व
में
नहीं
था।
इस
अधिनियम
में
पूर्वी
पाकिस्तान
यानी
बंगलादेश
से
आए
अवैध
अप्रवासियों
को
असम
से
बाहर
भेजने
की
बात
है।
लेकिन
वोट
बैंक
की
राजनीति
के
कारण
कांग्रेस
ने
इस
समस्या
को
लकेर
कोई
निर्णायक
कार्रवाई
नहीं
की।
इस
बार
एनआरसी
की
शुरूआत
इस
दिशा
में
पहला
प्रयास
है।
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को
डर,
क्या
सपा-बपसा
मिलकर
हाथ
का
साथ
छोड़ने
की
तैयारी
में
तो
नहीं?
कई बार उठा घुसपैठियों का मुद्दा
राम माधव आगे कहते हैं कि पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री पीएम सईद ने 1995 में संसद को बताया था कि अवैध आप्रवासी बांग्लादेश से आ रहे हैं। 1997 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री इंद्रजीत गुप्ता ने भी संसद को बताया कि इनकी संख्या लगभग 1 करोड़ है। इसके बाद इसी मामले पर 1998 में लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा की रिपोर्ट आई। माधव ने कहा कि 1999 में पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने एनआरसी के मामले पर प्रक्रिया को शुरु किया और इसके लिए फंड की पहली किश्त जारी की। राम माधव ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि 2005 में ममता पश्चिम बंगाल में घुसपैठ के खिलाफ बोल रही थीं लेकिन इस बारे में किया कुछ नहीं और अब वो एनआरसी का विरोध कर रही हैं।
अब देशभर की समस्या
बीजेपी
नेताओं
का
कहना
है
कि
ये
समस्या
अब
सिर्फ
असम
तक
सीमित
नहीं
है।
अधिकांश
राज्यों
में
बांग्लादेशी
घुसपैठिये
हैं
जो
न
केवल
सामाजिक,
सांस्कृतिक,
भाषाई
ही
नहीं
बल्कि
कानून
और
व्यवस्था
और
जनसांख्यिकी
के
लिए
भी
खतरा
हैं।
बीजेपी
का
कहना
है
कि
ये
लोग
असम
से
लेकर
दूसरे
पूर्वोत्तर
राज्यों,
पश्चिम
बंगाल,
बिहार,
दिल्ली,
उत्तर
प्रदेश,
राजस्थान,
मध्य
प्रदेश,
महाराष्ट्र,
कर्नाटक,
तमिलनाडु
और
केरल
तक
में
बस
गए
हैं।
बीजेपी
के
राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष
विनय
सहस्रबुद्धे
कहते
हैं
कि
आप
दक्षिण
की
ओर
जाने
वाली
ट्रेन
में
जाइए
और
फिर
आपको
इस
समस्या
का
एहसास
होगा।
इन्हें
वापस
भेजने
के
मुद्दे
पर
राम
माधव
ने
स्पष्ट
कहा
कि
बांग्लादेश
करीब
10
लाख
रोहिंग्या
घुसपैठियों
को
नहीं
रखना
चाहता
है।
वो
म्यांमार
के
साथ
उन्हें
लकेर
बातचीत
कर
रहा
है।
बांग्लादेश
के
अधिकारियों
ने
उन्हें
वापस
भेजने
के
लिए
राखीन
प्रांत
का
भी
दौरा
किया।
भारत
भी
इस
मुद्दे
को
गंभीरता
से
देख
रहा
है
और
अवैध
तरीके
से
आए
लोगों
को
किसी
भी
हालत
में
निर्वासित
किया
जाना
चाहिए।
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