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पटना की बिक्रम विधानसभा क्षेत्र में कौन किसे दे रहा टक्कर

By Ajay Mohan
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पटना (मुकुंद सिंह)। वैसे तो बिहार में हर विधानसभा क्षेत्र का अपना चुनावी गणित होती है। लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे होते हैं जिनकी गणित राजनीतिक विश्लेषकों की समझ से भी परे होती है। ऐसा ही एक क्षेत्र है राजधानी पटना का बिक्रम विधानसभा क्षेत्र। यहां की खासियत यह है कि यहां हमेशा एक ही जाति के बीच टकराव होता रहा है।

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Bihar Election

इस बार मामला इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि जिन दो योद्धाओं में बिक्रम नरेश बनने की जंग छिड़ी है, वे दोनों एक ही गांव अमहारा के रहने वाले हैं। वहीं अमहारा गांव जिसके नाम एक अनूठा रिकार्ड भी दर्ज है। कहा जाता है कि पूरे एशिया में सबसे अधिक डाक्टर देने वाला यह इकलौता गांव है। हालांकि इसके पीछे भी यहां का सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक गणित है।

खैर बिक्रम की राजनीति की बात करें तो इस बार भी मुकाबला पिछली बार की तरह भाजपा के अनिल कुमार और महागठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार सिद्धार्थ के बीच है। गौरतलब है कि पिछली बार नीतीश कुमार की लहर के बावजूद अनिल कुमार तब लोजपा के उम्मीदवार रहे सिद्धार्थ को केवल 2352 मतों के अंतर से पराजित कर सके थे।

समय बदला विचार भी बदले

इस बार स्थिति बदलने की उम्मीद है। स्थानीय लोगों की मानें तो अनिल कुमार को एंटी इनकम्बेंसी का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह विधायक बनने के बाद क्षेत्र के प्रति उदासीन रहना बताया जा रहा है।इस बार के सामाजिक समीकरण इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि लालू और नीतीश दोनों एक साथ हैं। वहीं अपने पिता व प्राख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डा उत्पल कांत के कारण सिद्धार्थ पूरे क्षेत्र में लोकप्रिय हैं। बताते चलें कि बिक्रम में भूमिहार समाज के सबसे अधिक लगभग 90 हजार मतदाता हैं।

माना जाता है कि जीत उसी को मिलती है जिसे यहां भूमिहार चाहते हैं। हालांकि क्षेत्र में यादव जाति के मतदाताओं की बड़ी भूमिका है। उनकी संख्या करीब 70 हजार है। लिहाजा माना जा रहा है कि इस बार यदि भूमिहार समाज के मतदाताओं में मत विभिन्नता सामने आयी तब जीत उसी को वरमाला पहनायेगी जिसे यादव जाति का साथ मिलेगा। हालांकि पिछली बार भी सिद्धार्थ चूंकि लोजपा-राजद के उम्मीदवार थे, इसलिए उन्हें यादवों का साथ मिला था और यही कारण रहा कि वे अनिल कुमार को कड़ी टक्कर दे पाये थे।

जातिवाद अब भी भारी

तब बिक्रम में कुशवाहा जाति एवं अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का मत निर्णायक साबित हुआ था।बहरहाल बिक्रम के चुनावी अखाड़े में एक बार फिर टक्कर दो भूमिहारों के बीच है। वहीं बिक्रम के स्थानीय लोगों में जहां निवर्तमान विधायक के खिलाफ रोष है तो भाजपा के प्रति वफादारी और इसके पीछे का दर्द भी अनायास झलकता है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बिक्रम की जनता किसे अपना सिरमौर बनायेगी।

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English summary
In Bihar Assembly elections, Check out the present scenario of Bikram Assembly seat in Patna.
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