Bihar Election Result 2020: उन सीटों पर NDA रही आगे जहां जीतने पर बनती है सरकार
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सभी एग्जिट पोल और तमाम अनुमानों को गलत साबित करते हुए एक बार फिर नीतीश की अगुवाई वाले एनडीए ने बहुमत हासिल कर लिया। एनडीए को 125 सीटें हासिल हुई हैं वहीं महागठबंधन की गाड़ी 110 सीट पर आकर ठहर गई। कांटे के मुकाबले में एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा तो पार कर लिया लेकिन आखिर दौर तक सभी की सांसे अटकी रहीं। भले एनडीए (NDA) इस मुकाबले में काफी संघर्ष के बाद जीता है लेकिन खास बात ये रही कि एनडीए उन सीटों पर जरूर आगे रही जहां पर जीतने वाली पार्टी सरकार जरूर बनाती है। आइए ऐसी ही कुछ सीटों के नतीजे यहां जानते हैं।
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अररिया
की
रंगीगंज
सीट
अररिया
सीट
ऐसी
ही
है
जहां
पर
जिस
पार्टी
का
उम्मीदवार
जीतता
है
उसकी
सरकार
बनती
है।
इस
बार
यहां
जेडीयू
के
अश्मित
ऋषिदेव
ने
आरजेडी
के
अविनाश
मंगलम
को
2300
वोट
से
हरा
दिया।
2015
में
भी
इस
सीट
पर
जेडीयू
के
टिकट
पर
ऋषिदेव
ने
जीत
दर्ज
की
थी।
तब
जेडीयू
और
आरजेडी
साथ
चुनाव
लड़ी
थी
और
दोनों
ने
मिलकर
सरकार
बनाई
थी।
वहीं
2005
और
2010
में
बीजेपी
ने
इस
सीट
पर
जीत
हासिल
की
थी।
दोनों
बार
बीजेपी
जेडीयू
गठबंधन
ने
बिहार
में
सरकार
बनाई
थी।
सुपौल
की
पिपरा
सीट
पिपरा
सीट
पर
जेडीयू
के
रामबिलाश
कामत
ने
जीत
दर्ज
की
है।
उन्होंने
आरजेडी
के
उम्मीदवार
विश्व
मोहन
कुमार
को
19,245
वोटों
के
अंतर
से
हराया
है।
2015
में
ये
सीट
आरजेडी
ने
जीती
थी
और
वह
जेडीयू
के
साथ
सरकार
में
शामिल
थी।
वहीं
2010
में
पिपरा
से
भाजपा
के
प्रत्याशी
ने
जीत
दर्ज
की
थी
और
तब
भाजपा
ने
जेडीयू
के
साथ
मिलकर
सरकार
का
गठन
किया
था।
सहरसा
विधानसभा
सीट
सहरसा
सीट
के
साथ
भी
ऐसा
ही
है
यहां
से
जो
पार्टी
जीतती
है
उसकी
ही
सरकार
बनती
है।
2015
में
यहां
राजद
ने
चुनाव
में
जीत
हासिल
की
थी।
इस
बार
राजद
ने
यहां
से
बाहुबली
आनंद
मोहन
सिंह
की
पत्नी
लवली
आनंद
को
उतारा
था
लेकिन
उन्हें
जेडीयू
के
आलोक
रंजन
ने
19,600
वोट
से
हरा
दिया।
इसके
पहले
2005
और
2010
में
यहां
से
बीजेपी
के
आलोक
रंजन
ने
जीत
दर्ज
की
थी।
तब
बीजेपी
और
जेडीयू
के
गठबंधन
ने
सरकार
बनाई
थी।
दरभंगा
की
केवटी
सीट
केवटी
सीट
पर
भाजपा
के
मुरारी
मोहन
ने
राजद
के
दिग्गज
नेता
अब्दुल
बारी
सिद्दीकी
को
57,00
वोट
से
हरा
दिया।
2015
में
राजद
ने
यहां
से
जीत
दर्ज
की
थी।
पिछली
बार
के
विजेता
फराज
फातमी
ने
चुनाव
के
पहले
जेडीयू
का
दामन
थाम
लिया
था
और
दरभंगा
ग्रामीण
से
चुनाव
लड़ा।
हालांकि
वह
चुनाव
हार
गए।
2005
और
2010
में
केवटी
सीट
से
बीजेपी
ने
जीत
दर्ज
की
थी।
मुंगेर
सीट
मुंगेर
जिले
की
मुंगेर
विधानसभा
में
कांटे
के
मुकाबले
में
बीजेपी
प्रत्याशी
प्रणव
कुमार
ने
आरजेडी
को
अविनाश
विद्यार्थी
को
1244
वोट
से
हरा
दिया।
एक
के
बाद
एक
राउंड
में
हो
रही
मतगणना
में
दोनों
प्रत्याशी
आगे
पीछे
होते
रहे।
आखिरकार
मुंगेर
में
बीजेपी
का
कमल
खिल
सका।
मुंगेर
वही
जगह
है
जहां
पर
दुर्गापूजा
में
मूर्ति
विसर्जन
के
दौरान
पुलिस
ने
फायरिंग
कर
दी
थी।
घटना
को
लेकर
स्थानीय
लोगों
के
अंदर
सरकार
से
नाराजगी
थी।
2015
में
इस
सीट
पर
राजद
ने
जीत
दर्ज
की
थी।
मुजफ्फरपुर
की
सकरा
सीट
बिहार
जेडीयू
के
बिहार
अध्यक्ष
अशोक
चौधरी
ने
यहां
पर
कांग्रेस
के
उमेश
राम
को
1537
वोट
से
हरा
दिया।
आरजेडी
ने
इस
सीट
पर
2015
में
कब्जा
जमाया
है।
अनलकी
सीट
पर
राजद
को
मिली
जीत
वहीं
बिहार
की
दो
विधानसभा
सीट
ऐसी
भी
हैं
जहां
पर
अक्सर
देखा
गया
है
कि
जिस
पार्टी
ने
जीत
दर्ज
की
है
उसे
विपक्ष
में
बैठना
पड़ा
है।
ऐसी
ही
दो
सीट
हैं
जिन
पर
आरजेडी
ने
जीत
दर्ज
की
थी।
मुंगेर
की
रामगढ़
सीट
रामगढ़
सीट
का
इतिहास
कुछ
ऐसा
ही
है
जो
भी
यहां
से
जीतता
है
उसे
विपक्ष
में
बैठना
पड़ता
है।
यहां
पर
आरजेडी
के
सुधाकर
सिंह
ने
बहुजन
समाज
पार्टी
के
प्रत्याशी
अम्बिका
सिंह
को
महज
189
वोट
के
अंतर
से
हरा
दिया।
यहां
बीजेपी
के
प्रत्याशी
तीसरे
नंबर
पर
रहे।
2015
में
इस
सीट
पर
बीजेपी
ने
जीत
दर्ज
की
थी
और
तब
उसे
विपक्ष
में
बैठना
पड़ा
था।
कैमूर
जिले
की
भभुआ
सीट
भभुआ
सीट
भी
कुछ
ऐसी
ही
है
जहां
पर
आरजेडी
ने
जीत
दर्ज
की
है।
यहां
आरजेडी
के
भरत
बिंद
ने
बीजेपी
की
रिंकी
रानी
पांडेय
को
10
हजार
वोट
के
अंतर
से
हरा
दिया
और
आरजेडी
अब
विपक्ष
में
बैठने
जा
रही
है।
वहीं
2015
में
इस
सीट
पर
बीजेपी
ने
जीत
दर्ज
की
थी।
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