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'दार्जिलिंग संतरे' का उत्पादन घटकर 30% रह गया, क्या Global Warming है कारण ?

उत्तर बंगाल का मशहूर दार्जिलिंग संतरे का उत्पादन खत्म होने की स्थिति में आ चुका है। इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग माना जा रहा है। उत्पादकों और कारोबारियों की आजीविका पर संकट आने लगा है।

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पश्चिम बंगाल का 'दार्जिलिंग संतरा' अपने स्वाद और सुगंध के लिए देश भर में मशहूर है। इस मौसम में पहले इसका करोड़ों रुपए का कारोबार होता था। लेकिन, पिछले दो वर्षों से स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। उत्पादन घटकर 30% रह गया है। जो कारोबारी एक दिन में बड़े-बड़े 20 ट्रक लोड करवाते थे, अब मुश्किल से 3-4 छोटे वाहनों का ही इंतजाम कर पा रहे हैं। इस काम से जुड़े लोगों के मुताबिक उत्पादन कम होने का कारण ग्वोबल वार्मिंग है। आरोप यह भी लग रहे हैं कि सरकार की ओर से उन्हें पूरी तरह से बेरुखी का सामना करना पड़ रहा है।

'दार्जिलिंग संतरे' का उत्पादन घटकर 30% रह गया
पश्चिम बंगाल के संतरा कारोबारियों और इसके उत्पादन में लगे लोगों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह ये है कि इस मौसमी फल के उत्पादन में भारी कमी आई है और वह घटकर 30% तक रह गया है। सिलीगुड़ी के सबसे बड़े थोक बाजार में इसका असर साफ नजर आ रहा है। बंगाल का लोकल 'दार्जिलिंग संतरा' अपने खास स्वाद और सुगंध की वजह से मशहूर है। सिर्फ नवंबर से जनवरी के बीच में इसका करोड़ों रुपए का कारोबार होता रहा है। लेकिन, कुछ वर्षों से इसके उत्पादन में आश्चर्यजनक कमी आई है।

सरकार से मदद नहीं मिलने का आरोप
'दार्जिलिंग संतरा' खरीदने के लिए पूरे देश से कारोबारी यहां के सबसे बड़े होलसेल बाजार सिलीगुड़ी में पहुंचते रहे हैं। लेकिन, पिछले दो वर्षों से हालात बहुत ही खराब हैं। दार्जिलिंग, केरसियोंग और कलिम्पोंग में संतरे का उत्पादन बहुत कम हो गया है। सिलीगुड़ी के कारोबारियों के मुताबिक यह कम होकर 30 फीसदी तक रह गया है। संतरा कारोबारियों का दावा है सरकार से मदद नहीं मिलने के चलते संतरे के उत्पादन में गिरावट आई है।

'संतरा का बाजार अब लगभग खत्म हो चुका है'
सिलीगुड़ी बाजार के एक संतरा कारोबारी बिनोद रस्तोगी ने कहा, 'संतरा का बाजार अब लगभग खत्म हो चुका है।' उनके मुताबिक, 'शुरू में नवंबर और दिसंबर में बहुत बड़ी मात्रा में संतरे का उत्पादन होता था। लेकिन, अब इस अवधि में यह घटकर 30 फीसदी रह गया है।'

ग्लोबल वार्मिंग बताया जा रहा है कारण
उन्होंने इसका जो कारण बताया है, वह हालात की गंभीरता की ओर इशारा कर रहा है। उन्होंने कहा, 'यह ग्लोबल वार्मिंग और पेड़ों की सही देखभाल नहीं होने की वजह से हो रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो यह फल गायब ही हो जाएगा।' उनका कहना है, 'सरकार को तो तत्काल दखल देकर संकट पर काबू पाना चाहिए। लाखों लोग सीधे या परोक्ष तौर पर इस कारोबार से जुड़े हैं और कितनों की आजीविका खतरे में है।'

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हम लाचार हो चुके हैं- संतरा उगाने वाले
प्रादीर प्रसाद नाम के एक और कारोबारी ने कहा, 'हम बहुत ज्यादा मात्रा में फल का कारोबार करते थे, कम से कम 20 ट्रक लोड करवाते थे, लेकिन अब यह कम होकर 3 से 4 छोटे वाहनों तक रह गया है।' संतरा उगाने वाले एक स्थानीय चित्रा छेत्री ने कहा, 'हमें सरकार से कोई सहायता नहीं मिल रही है। हम अपने बगीचे में संतरे के पेड़ों को संभालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ऑर्गेनिक खाद के उपलब्ध नहीं होने से हम लाचार हो चुके हैं।' (इनपुट-एएनआई)

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English summary
Bengal:There has been a huge decline in the production of Darjeeling oranges.Farmers and traders are citing global warming as the reason for this. Allegations of not getting help from the government
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