बाबूलाल गौड़ एक ऐसी शख्सियत जिन्हें चाहने वाले हर दल में थे
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौड़ का आज लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। राजनीतिक में बाबूलाल को बेहद सफल नेता और खास शख्सियत के तौर पर देखा जाता था, अपने सौम्य और खुशमिजाज स्वभाव की वजह से वह हर किसी को अपना मुरीद बना लेते थे। बाबूलाल महज एक पार्टी के नेता के तौर पर कभी भी बंधकर नहीं रहे, उन्होंने हमेशा पार्टी लाइन से उपर उठकर अपनी राय को खुलकर लोगों के बीच रखा। बाबूलाल की शख्सियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने लगातार 10 बार भोपाल के गोविंदपुरा सीट से जीत दर्ज की।
मजदूरी करते हुए पढ़ाई पूरी की
बाबूलाल का जन्म 2 जून 1930 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने भोपाल में पुट्ठा मिल में मजदूरी करते हुए अपनी पढ़ाई को पूरा किया और बाद में उन्हें भेल में नौकरी मिल गई। इस दौरान उन्होंने कई श्रमिक आंदोलनों में हिस्सा लिया, वह भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक भी रहे थे। शुरुआत के दिनों से ही बाबूलाल संघ की शाखा में जाया करते थे और वह हमेशा ट्रेड यूनियन में सक्रिय रहा करते थे। पहली बार उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से 1972 में गोविंदपुरा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।
रिकॉर्ड जीत
गौड़ ने 1977 में लगातार गोविंदपुरा सीट से जीत दर्ज की है। 1993 में उन्होंने रिकॉर्ड 59666 वोटों से जीत दर्ज की थी, इसके बाद 2003 में 64212 वोटों से जीत दर्ज की थी। मध्य प्रदेश के इतिहास में यह सबसे बड़ी जीत थी। गौड़ ने भोपाल से ही बीए और एलएलबी की पढ़ाई की थी। उन्होंने प्रदेश सरकार में कई अहम मंत्रालयो का भी जिम्मा संभाला था। 2002 से 2003 के बीच वह नेता प्रतिपक्ष भी रहे थे। उन्होंने आपातकाल में 19 माह जेल में भी गुजारे थे।
स्वतंत्रता सेनानी का सम्मान
1974 में एमपी प्रशासन ने बाबूलाल को गोआ मुक्ति आंदोलन में शामिल होने के लिए स्वतंत्रता सेनानी का भी सम्मान दिया था। जिसके बाद उन्हें मंत्रिमंडल में कई जिम्मेदारी दी गई थी। 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक बाबूलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे थे। दिलचस्प बात यह है कि 2003 में बाबूलाल का टिकट लगभग कट चुका था, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने की वजह से उन्हें टिकट मिला और उन्होंने जीत दर्ज की।
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