पंजाब कैबिनेट ने मुख्य सचिव को बर्खास्त करने की मांग की, बोलें अवतार आए तो मैं बैठक में नहीं आऊंगा
नई दिल्ली। पंजाब कैबिनेट की 15 मिनट की बैठक में, मंत्रियों ने मुख्य सचिव को बर्खास्त किए जाने की मांग की। राज्य के मुख्य सचिव करण अवतार सिंह और मंत्रियों में सीधा टकराव हो गया है और विवाद बढ़ गया है। पूरे कैबिनेट ने करण अवतार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पंजाब कैबिनेट मंत्रियों ने सोमवार को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को मुख्य सचिव करण अवतार सिंह को बर्खास्त करने के लिए कहा और ऐलान किया कि जब तक अवतार सिंह इन बैठकों में शामिल होंगे, वे सभी मंत्री कैबिनेट की बैठकों में शामिल नहीं होंगे।

उनका मुख्य सचिव पद से छुट्टी तय मानी जा रही है। साेमवार को उनके खिलाफ पूरी कैबिनेट उतर आई। यही कारण है कि वह आज की कैबिनेट बैठक मेें शामिल नहीं हुए। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव सतीश चंद्र शामिल हुए।मालूम हो कि करण अवतार सिंह ने शनिवार को आबकारी नीति पर एक पूर्व-कैबिनेट बैठक में मंत्रियों की बैठक की थी जिसमें जोर देकर कहा गया था कि मंत्रियों द्वारा नीति में अनुशंसित परिवर्तन बोर्ड पर नहीं लिए जा सकते हैं। शनिवार को बैठक में ही उन्हें मंत्रियों के विरोध का सामना करना पड़ा। वहीं वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल बाहर मीटिंग छोड़कर बाहर जाने वालों में पहले व्यक्ति थे। जिसकें बाद शनिवार की कैबिनेट बैठक सोमवार को टाल दी गई थी।

कैबिनेट की बैठक से पहले एक अनौपचारिक बैठक में, मुख्य सचिव मौजूद होने पर मंत्रियों ने अपना मोर्चा खड़ा करने और बैठक से बाहर निकलने का फैसला किया। मुख्य सचिव को सोमवार की कैबिनेट बैठक से दूर रहने की सलाह दी गई और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सतीश चंद्रा को उनकी अनुपस्थिति में कार्यभार सौंपने की जिम्मेदारी दी गई। वित्त मंत्री ने कहा कि मुख्य सचिव का रवैया कुछ ऐसा रहा है कि उनके सामने कैबिनेट का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि बैठक में उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि अगर कैबिनेट की बैठक में मुख्य सचिव करन अवतार सिंह शामिल होते है तो वे उसमें शामिल नहीं होंगे। उधर, चरणजीत सिंह चन्नी ने भी कहा कि वे भी कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होंगे।बादल ने बैठक से बाहर निकलने से पहले के क्षणों को कहा "यदि अधिकारियों ने पहले ही नीति पर अपना मन बना लिया है, तो मंत्रियों के साथ चर्चा करने में क्या मतलब था?" अन्य मंत्री भी जल्द ही बैठक छोड़कर जल्द चले गए। कैबिनेट के समक्ष एजेंडा मंत्रियों ने निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को अधिकृत करने का फैसला किया।