असम: माता-पिता का ध्यान ना रखने वाले कर्मचारियों की सैलरी से कटेगा 10 प्रतिशत
नई दिल्ली। असम विधानसभा ने सरकारी कर्मियों के लिए एक नया विधायक पारित किया है। इसमें प्रावधान किया गया है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी अपने दिव्यांग बाई-बहनों या माता-पिता की देखभाल ठीक से नहीं करता है तो उसकी तनख्वाह से 10 फीसदी रकम काटकर उसके माता-पिता को दे दी जाएगी। शुक्रवार को सदन ने चर्चा के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया।
असम विधानसभा में शुक्रवार को पारित किए गए असम कर्मचारी अभिभावक जवाबदेही एवं निगरानी विधेयक, 2017 के अनुसार, अगर राज्य सरकार के कर्मचारी अपने अभिभावकों और दिव्यांग भाई-बहनों की देखभाल नहीं करेंगे तो उनकी सैलरी से 10 फीसदी की कटौती कर ये राशि उनके माता-पिता और भाई-बहनों की देखभाल के लिए दी जाएगी। इसके लिए कर्मचारी के माता-पिता को उसके विभाग में शिकायत करनी होगी जिसके बाद कर्मचारी का विभाग उस पर कार्रवाई करेगा।
असम
सरकार
में
मंत्री
हिमंत
विश्व
शर्मा
ने
सदन
में
कहा
कि
इस
विधेयक
का
मकसद
राज्य
कर्मचारियों
की
निजी
जिंदगी
में
सरकार
का
दखल
नहीं
है
बल्कि
यह
सुनिश्चित
करना
है
कि
कर्मचारी
के
अनदेखी
किए
जाने
की
स्थिति
में
अभिभावक
या
दिव्यांग
भाई-बहन
को
आर्थिक
सुरक्षा
मिल
सके।
उन्होंने
कहा
कि
कई
बार
ऐसे
मामले
देखने
को
मिलते
हैं
कि
कर्मचारी
माता-पिता
का
ध्यान
नहीं
रखते
हैं
और
उन्हें
वृद्धाश्रमों
में
छोड़
देते
हैं।
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