26 वर्ष बाद मिला एक सैनिक को इंसाफ, सेना को देने होंंगे चार करोड़
मैनपुरी के रहने वाले इंडियन आर्मी में सेकेंड लेफ्टिनेंट सिंह चौहान शत्रुघ्न सिंह चौहान पिछले 27वर्षों से लड़ रहे थे ऑर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल में केस। अब केंद्र सरकार और इंडियन आर्मी को देना होगा
लखनऊ। आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल की लखनऊ बेंच ने एक मामले में न सिर्फ एक सेकेंड लेफ्टिनेंट को दोषमुक्त करार दिया है बल्कि केंद्र सरकार और इंडियन आर्मी पर पांच करोड़ रुपए का जुर्माना भी ठोंका है। लखनऊ बेंच ने मैनपुरी के शत्रुघ्न सिंह चौहान को पूरी तरह से निर्दोष करार दिया है। बेंच ने उन्हें बहाल करने के साथ ही उन्हें प्रमोट करने का भी आदेश दिया है।
केंद्र सरकार और सेना देंगे जुर्माना
जो पांच करोड़ जुर्माने के तौर पर मिलेंगे उनमें से चार करोड़ रुपए शत्रुघ्न सिंह चौहान को मिलेंगे। एक करोड़ रुपए को आर्मी के वेलफेयर फंड में जमा कर दिया जाएगा। जुर्माने की रकम चार माह में अदा करनी है। ट्रिब्यूनल के सदस्य जस्टिस देवी प्रसाद सिंह और एडमिनिस्ट्रेटिव सदस्य जस्टिस एयर मार्शल अनिल चोपड़ा इस मामले की सुनवाई कर रहे थे। शत्रुघ्न सिंह चौहान पिछले 27 वर्षों से अपने लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे थे। उन्होंने रक्षा मंत्रालय और आर्मी चीफ पर आरोप लगाए थे। ट्रिब्यूनल के पास उनकी याचिका वर्ष 2012 में ट्रांसफर्ड एप्लीकेशन के तौर पर आई थी।
क्या था पूरा मामला
शत्रुघ्न सिंह चौहान राजपूत रेजीमेंट बतौर सेकेंड लेफ्टिनेंट श्रीनगर में तैनात थे। 11 अप्रैल 1990 को श्रीनगर के बटमालू मस्जिद में लगड़े इमाम के यहां से तलाशी में सोने के 147 बिस्किट बरामद हुए थे। उनके सीनियर ऑफिसर कर्नल केआरएस पंवार और कमांडिंग ऑफिसर ने चौहान पर दबाव डाला कि इस बरामदगी को डॉक्यूमेंट्स में न दिखाया जाए। शत्रुघ्न सिंह चौहान ने तब इस मामले को संसदीय कमेटी के पास भेजा। आर्मी हेडक्वार्टर ने इस मामले की जांच कराई और फिर कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दिए। वर्ष 1991 में इस केस केस में उनका कोर्ट मार्शल शुरू हुआ और उन्हें सात वर्षों की सजा सुनाई गई।