क्या वैक्सीन की किल्लत के लिए ये 10 राज्य भी हैं जिम्मेदार, बर्बादी में भाजपा शासित यह राज्य है नंबर वन
नई दिल्ली, 16 मई: केंद्र सरकार ने राज्यों को बार-बार आगाह किया है कि जिन्होंने वैक्सीन की बर्बादी नहीं रोकी तो उन्हें हर 15 दिन बाद मिलने वाले कोटे में कमी कर दी जाएगी। क्योंकि, कुछ राज्यों में वैक्सीन की बर्बादी राष्ट्रीय औसत 3.06% से कहीं ज्यादा है। ये राज्य ऐसे समय में वैक्सीन की बर्बादी नहीं रोक पा रहे हैं, जबकि देश में इसकी भारी किल्लत महसूस की जा रही है। वैक्सीन बर्बादी में पहले दो नंबर पर भाजपा शासित दो राज्य हैं। जबकि, देश के चार राज्य ऐसे भी हैं, जो दी गई सीमा से भी ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगा पाने में सक्षम हो रहे हैं। केरल, ओडिशा और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य यह कमाल कैसे कर पा रहे हैं यह जानना भी बेहद दिलचस्प है।
भारत में वैक्सीन की बर्बादी अमेरिका की तुलना में काफी अधिक
पिछले हफ्ते ही केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों से कह दिया था कि वो वैक्सीन की बर्बादी को राष्ट्रीय औसत से कम पर लेकर आएं, वरना 45 साल से ऊपर वाले एज ग्रुप में उनको 15 दिन पर मिलने वाला आवंटन कम कर दिया जाएगा। जिन 10 राज्यों में वैक्सीन की सबसे ज्यादा बर्बादी देखने को मिल रही है, उनमें हरियाणा, असम, राजस्थान, मेघालय, बिहार, मणिपुर, पंजाब, दादरा और नगर हवेली, तमिलनाडु और नगालैंड शामिल हैं। गौरतलब है कि इनमें से राजस्थान, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार और हरियाणा में केस लोड बहुत ही ज्यादा है। भारत के लिए दिक्कत ये है कि यहां वैक्सीन बर्बादी का राष्ट्रीय औसत 3.06% भी अमेरिका की तुलना में बहुत ज्यादा है। लेकिन, कुछ राज्यों ने तो और भी नाक में दम कर रखा है। जबकि, अमेरिका में सिर्फ 0.12% वैक्सीन की बर्बादी दर्ज की गई है।
वैक्सीन बर्बादी में हरियाणा नंबर वन
वैक्सीन बर्बाद करने वाले 10 राज्यों में भाजपा शासित हरियाणा पहले नंबर पर है, जहां 6.49% वैक्सीन की डोज बर्बाद हो रही है। इसके बाद असम 5.92%, राजस्थान 5.68%, मेघालय, 5.47%, बिहार 5.20%, मणिपुर 5.19%, पंजाब 4.94%, दादर और नगर हवेली 4.85%, तमिलनाडु 4.13% और नगालैंड में 3.36% वैक्सीन बर्बाद हो रही है। हालांकि, केंद्र की सख्ती के बाद हरियाणा ने बर्बादी कम करने की योजना तैयार की है। हरियाणा के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के एडिश्नल चीफ सेक्रेटरी राजीव अरोड़ा ने ईटी से कहा है, 'हम सबसे ज्यादा बर्बादी करने वाले जिलों की पहचान कर रहे हैं। हम अपने स्टाफ को भी ट्रेनिंग दे रहे हैं कि अगर कतार में पर्याप्त संख्या में लोग नहीं हैं तो वो उनसे बाद में आने का निवेदन करें।'
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हरियाणा में क्यों हो रही है वैक्सीन की सबसे ज्यादा बर्बादी ?
हरियाणा में वैक्सीन की बर्बादी के पीछे लोगों की हिचकिचाहट और कोवैक्सिन की उपलब्धता भी वजह मानी जा रही है। कोवैक्सिन की एक वायल में 20 डोज वैक्सीन होती है। एकबार इसके खुलने पर चार घंटों के अंदर इसे इस्तेमाल करना जरूरी होता है, नहीं तो यह बर्बाद हो जाती है। जब जनवरी में देश में कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था तो भारत बायोटेक की देसी वैक्सीन को लेकर तरह-तरह की अफवाहें उड़ाई गई थीं। कुछ राज्यों और राजनीतिक दलों ने भी गैर-जिम्मेदाराना रवैया दिखाया था। जिसके चलते हेल्थकेयर वर्कर भी इसे लगवाने से घबरा रहे थे। जबकि, बाद में यह वैक्सीन पूरी तरह सक्षम और प्रभावी साबित हुई। अरोड़ा के मुताबिक, 'कोवैक्सिन नूह जैसे जिलों में भी भेजी गई है। जिले में वैसे भी इसका कम इस्तेमाल हो पा रहा है और जब एक वायल खुल गई तो पर्याप्त संख्या में लोगों के नहीं पहुंचने पर हमें उसे हटा देना पड़ा।' उन्होंने बताया है कि अब सरकार समुदाय के नेताओं के जरिए वैक्सीन के प्रति जागरुकता फैला रही है- 'सिर्फ इसी हफ्ते में हमारी वैक्सीन की बर्बादी 1 फीसदी से ज्यादा कम हो गई है। अगले हफ्ते हम इसमें और कमी लाएंगे।'
वैक्सीन की बर्बादी में पहले से हुई है काफी कमी
शुरू में देश में कोवैक्सिन की बर्बादी 16 फीसदी थी, जो अब घटकर 6 फीसदी पर आई है। जबकि, कोविशील्ड की बर्बादी 6 फीसदी से घटकर 1 फीसदी रह गई है। एक समय में वैक्सीन बर्बादी में तमिलनाडु सबसे आगे था और 10 फीसदी की बर्बादी हो रही थी, लेकिन अब वहां भी यह 4.13 फीसदी तक नीचे आया है। तमिलनाडु ने अपने स्टाफ को ट्रेनिंग दी कि कोविशील्ड के मामले में जब 10 लोग सेंटर पर मौजूद हों तभी वायल खोलें और उससे उसे बर्बादी कम करने में सहायता मिली है। बता दें कि मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार वैक्सीन की बर्बादी पर उनका ध्यान दिलाया है और इसे रोकने के लिए हर संभव कदम उठाने को कहा है।
वैक्सीन देने में ये 4 राज्य पेश कर रहे हैं नजीर
जहां देश के 10 राज्यों में वैक्सीन की बर्बादी ज्यादा हो रही है, वहीं केरल, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना एक वायल में तय सीमा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन देकर रिकॉर्ड बना रहे हैं। ऐसा कैसे हो पा रहा है इसकी जानकारी ओडिशा के नेशनल हेल्थ मिशन की डायरेक्टर शालिनी पंडित ने दी है। उन्होंने कहा, 'हर वैक्सीन वायल में एक एक्सट्रा डोज होती है। कोविशील्ड की एक वायल में बर्बादी को ध्यान में रखकर 11 डोज रहती है और कोवैक्सिन में 21 डोज। हमारे वैक्सिनेटर इतनी अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं कि उस अतिरिक्त डोज का भी इस्तेमाल कर लेते हैं, जिसके चलते हमारे सभी जिलों में निगेटिव वैक्सीन वेस्टेड दर्ज की जा रही है।'