क्यों मॉस्को के अस्पताल में रहने को मजबूर हैं इंडियन आर्मी के ऑफिसर मेजर मानिक
नई दिल्ली। इंडियन आर्मी के ऑफिसर और बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित मेजर मानिक एक जॉली इस समय रूस की राजधानी मॉस्को में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। मेजर मानिक के परिवार और दोस्त भारत में हैं और उनके लिए चिंतित हैं। अगर मेजर मानिक की तबियत मॉस्को से लौटते समय खराब हो गई थी और इसकी वजह से उन्हें मॉस्को एक अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अब जिस कंपनी का इंश्योरेंस उनके पास था, वह कंपनी कई अपील के बाद भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रही है। वहीं, इंश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधि ने वन इंडिया के साथ बातचीत में कहा है कि कंपनी लगातार मेजर मानिक के परिवार वालों टच में हैं।
क्यों गए थे रूस
मेजर मानिक सितंबर माह में रूस गए थे और यहां पर उन्हें भारत के गांवों में पीने के साफ पानी से जुड़ी तकनीक और बिजली व्यवस्था पर एससीओ और ब्रिक्स देशों के सदस्यों के बीच अपने विचार साझा करने थे। मेजर मानिक, एक अक्टूबर को मॉस्को से भारत के लिए रवाना हुए थे। फ्लाइट में बोर्ड करने के बाद उनकी तबियत अचानक बिगड़ गई और उनका ब्लड प्रेशर भी काफी गिर गया। उन्होंने यह बात अपनी साथी सुरपाल सिंह देवड़ा को बताई जो उस समय उनके साथ ही सफर कर रहे थे। उन्हें मेडिकल सहायता दी गई और एयरपोर्ट पर ही डॉक्टर, एंबुलेंस मुहैया कराए गए। दो अक्टूबर को उन्हें मॉस्को के यूनिवर्सिटी क्लीनिकल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। वह आईसीयू में भर्ती कराए गए थे।
क्या कहना है कंपनी का
मेजर मानिक के पास मैक्स बूपा की प्रीमियम पॉलिसी है और वह यह मानकर चल रहे थे कि इस पालिसी की वजह से ही अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।कंपनी ने हमसे बातचीत में कहा है कि मेजर मानिक हमारे लिए बहुत ही खास हैं और मेजर जॉली के पास जो पॉलिसी उससे जुड़ी सभी प्रक्रियाएं शुरू कर दी गई हैं। पॉलिसी के मुताबिक जो फायदा उन्हें मिलना चाहिए वह भी मंजूर हो गया है। कंपनी की मानें तो वह लगातार हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन के संपर्क में हैं ताकि मेजर मानिक को बेहतर इलाज मुहैया हो सके। जो पॉलिसी उनके पास है, उसे रूस में भी मान्यता मिली हुई है।
सेना मेडल से सम्मानित हैं मेजर
मेजर मानिक की मानें तो मॉस्को में स्थित भारतीय दूतावास से उन्हें मदद मिल रही है। दूतावास की तरफ से उनका मेडिकल खर्चा उठाया जा रहा है। इसके अलावा अस्पताल का स्टाफ भी उनकी काफी मदद कर रहा है और उनके प्रति उनका बर्ताव भी काफी अच्छा है। मेजर मानिक की मानें तो वह रूस के सर्वश्रेष्ठ न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट में हैं। फिलहाल वह खतरे से बाहर हैं लेकिन पिछले कई 12 दिनों से वह अपने घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं। मेजर मानिक ने साल 2000 में कश्मीर की लोलाब घाटी में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन को लीड किया था। इसकी वजह से उन्हें सेना मेडल से भी सम्मानित किया गया था।