इस स्कूल में 10वीं के सभी बच्चे हुए फेल, सरकार ने दिए जांच के आदेश
हरियाणा के दिघौट गांव में 10वीं के सभी बच्चे फेल हो जाने पर सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। दिघौट गांव के पलवल में दिघौट सीनियर सेकेंड्री स्कूल में 10वीं में पढ़ने वाले सभी 51 बच्चे फेल हो गए, जिसके बाद विरोध में स्कूल पर ताला लगा दिया।
चंडीगढ़। हरियाणा के दिघौट गांव में 10वीं के सभी बच्चे फेल हो जाने पर सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। दिघौट गांव के पलवल में दिघौट सीनियर सेकेंड्री स्कूल में 10वीं में पढ़ने वाले सभी 51 बच्चे फेल हो गए, जिसके बाद विरोध में स्कूल पर ताला लगा दिया। गांव के सरपंच का कहना है कि इससे गांव का नाम खराब हुआ है। अब सभी बच्चों के फेल होने के कारण सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
हाल ही में हरियाणा बोर्ड ने 10वीं कक्षा का रिजल्ट जारी किया था। इस साल 10वीं का रिजल्ट 55.15 प्रतिशत रहा, लेकिन एक स्कूल ऐसा था जिसका एक भी छात्र पास नहीं हुआ। दिघौट गांव के सीनियर सेकेंड्री स्कूल में 10वीं कक्षा के सभी 51 बच्चे फेल हो गए। बच्चों के फेल होने का कारण जानने के लिए सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। गांव के सरपंच जितेंद्र तंवर ने कहा, 'हमें शर्म आ रही है कि 10वीं कक्षा के सभी बच्चे फेल हो गए। इससे कई अवॉर्ड जीतने वाले इस गांव में बदनामी आई है।'
जितेंद्र तंवर ने आगे कहा कि उन्होंने राज्य सरकार के सामने स्कूल में दी जाने वाली बेका शिक्षा का मुद्दा कई बार उठाया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। सभी बच्चों के फेल होने के विरोध में गांववालों ने बुधवार को स्कूल में ताला लगा दिया। पलवल जिले के शिक्षा अधिकारी सुमन नैन ने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। नैन ने कहा कि उन्होंने एक महीना पहले ही ज्वाइन किया है, इसलिए इस मुद्दे पर कुछ नहीं कर सकतीं। उन्होंने कहा, 'गांवावलों ने स्कूल में ताला लगा दिया है और तभी खोलने के लिए राजी हुए हैं जब प्रिंसिपल बदला जाएगा। हमने उन्हें अस्थायी रूप से हटा दिया है। मेरे पास उनके ट्रांसफर का अधिकार नहीं है।' नैन ने आगे कहा कि सरकार ने इस मामले के जांच के आदेश दिए हैं कि क्यों कोई बच्चा पास नहीं हुआ।
हरियाणा के मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार दीपक मांगला ने कहा, 'हम इसके पीछे का कारण जानना चाहते हैं ताकि सिस्टम को सही तरीके से स्थापित किया जा सके।' पलवल जिले के रिजल्ट की बात करें तो परीक्षा में उपस्थित 19, 491 छात्रों में से केवल 7,670 (39.37 प्रतिशत) छात्र ही सफल हुए हैं।
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