मायावती के बड़े फैसले पर अखिलेश यादव की पार्टी ने दिया तगड़ा जवाब
लखनऊ: बीएसपी सुप्रीमो मायावती के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा पर समाजवादी पार्टी की तरफ से जवाब दिया गया है। समाजवादी पार्टी ने दावा किया कि बीएसपी प्रमुख मायावती ने जल्दबाजी में उनके साथ गठबंधन खत्म करने की घोषणा की क्योंकि दलित बड़े पैमाने पर अखिलेश यादव के साथ जुड़ रहे थे। मायावती ने सोमवार को जानकारी दी कि उनकी पार्टी भविष्य में उनकी पार्टी अपने दम पर "छोटे और बड़े" सभी चुनाव लड़ेगी।
सपा को मायावती को जवाब
सपा के राष्ट्रीय महासचिव रमाशंकर विद्यार्थी ने कहा कि मायावती जल्दबाजी में सपा के खिलाफ इसलिए बोल रही है, क्योंकि सपा और उनके नेता अखिलेश यादव को दलितों का समर्थन मिल रहा है। ऐसा करके वो सामाजिक न्याय की लड़ाई को कमजोर कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि दलित समाज माजवादी पार्टी और उसके प्रमुख अखिलेश यादव के साथ जुड़ रहा है। लोग ये वास्तविकता जानते हैं कि मालकिन ने गठबंधन के साथ क्या किया हो।
'मायावती का अकेले लड़ने का ऐलान'
मायावती ने सोमवार कोअपने फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि लोकसभा आमचुनाव के बाद सपा का व्यवहार बीएसपी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके बीजेपी को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है। अतः पार्टी व मूवमेंट के हित में अब बीएसपी आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी।
मायावती ने अखिलेश पर साधा निशाना
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रविवार को हुई बीएसपी बैठक में मायावती करीब 25 मिनट तक बोलीं। मायावती ने आरोप लगाया कि अखिलेश नहीं चाहते थे कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों को अधिक टिकट दिए जाएं। उन्हें डर था कि इससे वोटों का ध्रुवीकरण होगा, जबकि वह चाहती थी कि अधिक टिकट दिए जाएं। मायावती ने कहा कि मतगणना वाले दिन मैंने उन्हें फोन किया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया।
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने दस सीटों पर जीत दर्ज की । इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता भी नहीं खुला था। वहीं, समाजवादी पार्टी के खाते में इस चुनाव में केवल पांच सीटें आजमगढ़, मैनपुरी, मुरादाबाद, सम्भल और रामपुर गईं। 2014 में भी सपा 5 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी। इस बार मुलायम सिंह यादव के तीन सदस्यों डिंपल यादव को कन्नौज, अक्षय यादव को फिरोजबादा और धर्मेंद्र यादव को बदायूं में हार का सामना करना पड़ा। गठबंधन की तीसरी सहयोगी पार्टी आरएलडी 2014 में अपना खाता नहीं खोल पाई थी और इस बार भी पार्टी कोई सीट नहीं जीत पाई। बीजेपी गठबंधन ने यूपी में शानदार प्रदर्शन करते हुए 64 सीटें जीती थी।
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