Coronavirus: दिल्ली एम्स कोरोना पेसेन्ट के लिए कर रहा ये खास इंतजाम
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है। अब भारत में भी कोविड-19 को चीन और इटली की भांति स्टेज तीन से जोड़कर देखा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अध्ययन भी सामने आए हैं जिनमें दावा किया है कि आने वाले दिन भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। जिसके चलते कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों की संख्या देखते हुए वेंटिंलेटर समेत अन्य जरुरी उपकरणों की की डिमांड बढ़ चुकी है।
ऐसे में दिल्ली के एम्स अस्पताल ने एक अहम फैसला लिया है एम्स अब कोरोना के मरीजों के लिए प्रोटोटाइप वेंटिलेटर का उपयोग करेगा। बता दें पिछले कुछ दिनों में भारत में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए कोरोना के मरीजों के लिए प्रोटोइप वेंटिलेटर का उपयोग करने की योजना बनाई है।
इन-हाउस वेंटिलेटर पर चल रही बात
एम्स ने एक निजी भारतीय कंपनी के साथ बातचीत कर रही है, जिसने हल्के, आसान और सस्ते वेंटिलेटर की पेशकश करने का दावा किया है, जिसका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर कोरोना के रोगियों के लिए किया जा सकता है। एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि "विश्व स्तर पर, वेंटिलेटर का एक बड़ा संकट है। इसलिए, हम कोरोनोवायरस से पीड़ित रोगियों के लिए वेंटिलेटर के एक प्रोटोटाइप का उपयोग करने का तरीका तलाश रहे हैं। हम उन निर्माताओं के साथ चर्चा कर रहे हैं, जो हमें इन-हाउस वेंटिलेटर दे सकते हैं।
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विशेषज्ञ टीमें कर रही ये जांच
उन्होंने बताया कि "हमने अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से वेंटिलेटर के लिए आदेश दिए हैं, अगर हमें किसी कारण से नहीं मिलता है तो हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए। साथ ही, हमारी विशेषज्ञ समिति की टीम यह मूल्यांकन कर रही है कि क्या वेंटिलेटर के इन प्रोटोटाइप का उपयोग उच्च जोखिम पर किया जा सकता है।" यह कोरोना के मरीजों के लिए यह कितना फायदेमंद है इसकी भी जांच की जा रही है । "एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने वेंटिलेटर के प्रोटोटाइप के मापदंडों और विशेषताओं की जाँच की है और एक मूल्यांकन अभी भी जारी डॉक्टरों के अनुसार, निमोनिया के रोगियों के उपचार के दौरान जो गंभीर अवस्था में होते हैं, उनका आईसीयू में उपचार करना चाहिए जो कि उन्नत चिकित्सा उपकरणों द्वारा निगरानी की जाती है।
कोरोना के मरीजों के लिए ये किए गए है प्रबंध
गुलेरिया ने कहा कि एम्स की आपातकालीन सेवाएं सामान्य रूप से काम कर रही हैं। निर्दिष्ट क्षेत्रों के साथ संदिग्ध कोरोना के रोगियों के लिए एक स्क्रीनिंग क्षेत्र विकसित किया गया है। इसके आलावा सामान्य दिनों की तरह एम्स में आने वाले मरीजों का ट्रीटमेंट और बेहतर देखभाल की जा रही है। उन्होंने कहा कि एम्स अस्पताल आईसीयू सुविधा को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है और 20 से 30 बेड का ICU सुविधा ट्रॉमा सेंटर और बर्न और प्लास्टिक वार्ड में प्रदान किया गया है।हमारे पास 800 बेड की सुविधा है।" एम्स के निदेशक ने बताया, अब हमने लगभग 50 बिस्तर अलग कर रखे हैं और 25 आईसीयू बेड हैं। हमने वार्ड में 150 अतिरिक्त बेड भी रखे हैं।
कोरोना पेसेन्ट बढ़ने से बढ़ चुकी है मांग
उन्होंने आगे बताया कि कोरोनोवायरस रोग होने की आशंका वाले मरीजों को बर्न और प्लास्टिक सर्जरी ब्लॉक के ग्राउंड फ्लोर एरिया में भेजा जाएगा, जो कोरोनावायरस उपचार के लिए तब्दील कर दी गई है। जबकि गंभीर कोरोनोवायरस वायरस रोग की गंभीर बीमारी की बैठक के मानदंड वाले रोगियों को अलग ट्रामा सेन्टर में भर्ती किया जाएगा।
वेंटिलेटर समेत अन्य जरूरी उपकरणों की बढ़ चुकी है मांग
गौरतलब है कि देश दुनिया में कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों के चलते वेंटिलेटर समेत अन्य जरूरी उपकरणों की मांग बढ़ गई है। सर्वाधिक मौतों का सामना कर चुका इटली वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहा है और दूसरे देशों से सहयोग की मांग कर रहा है। वहीं भारत में भी एक माह में पचास हजार वेंटिलेटर की जरूरत महसूस की जा रही है।
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