आईटी, रेलवे, हाईवे प्रोजेक्ट के बाद चीन को ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा झटका देने की तैयारी में भारत
नई दिल्ली। भारत-चीन के बीच सीमा तनाव के चलते भारत सरकार चीन की कंपनियों के देश में निवेश पर पैनी नजर रख रही है। पहले सरकार ने 59 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाया, रेलवे प्रोजेक्ट में सरकार ने चीन की कंपनियों को बड़ा झटका दिया, हाईवे प्रोजेक्ट्स में सरकार ने चीनी कंपनियों से दूरी बना ली है। लेकिन सरकार यही रुकने के मूड में नहीं है। मोदी सरकार 55,000 करोड़ रुपए के उन प्रोजेक्ट पर पैनी नजर बनाए हुए है ,जिसमे चीन की कंपनियों ने बड़ी बोली लगाई है। थर्मल पावर सेक्टर में उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण के क्षेत्र में चीन की कंपनियों ने जिन प्रोजक्ट्स में अपनी बोली लगाई है, उसपर सरकार की पैनी नजर है।
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चीनी उपकरण 20 फीसदी सस्ते
थर्मल पावर सेक्टर में उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण के लिए कई प्राइवेट कंपनियां और राज्य सरकार की उर्जा क्षेत्र की कंपनियां चीनी कंपनियों से से बात कर रही हैं। जिसमे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र अहम रूप से शामिल हैं, जहां पॉवर सेक्टर में अलग-अलग बोलियों में चीन की कंपनियों ने बोली लगाई है। बता दें कि थर्मल पावर सेक्टर में उत्सर्जन नियंत्रण के उपकरण चीन के सस्ते हैं। स्वदेशी उपकरणों की तुलना में चीन के उपकरण तकरीबन 20 फीसदी सस्ते हैं।
राज्य सरकारों को निर्देश
गुजरात
ने
पहले
ही
चीन
की
कंपनियों
को
ऑर्डर
दे
दिया
है,
वहं
हरियाणा
ने
हाल
ही
में
चीन
के
उपकरण
का
आर्डर
रद्द
किया
है।
शुक्रवार
को
कई
राज्यों
के
ऊर्जा
मंत्रियों
से
केंद्रीय
ऊर्जा
मंत्री
आरके
सिसंह
ने
बैठक
की
और
उनसे
कहा
है
कि
वह
वह
आर्डर
देते
वक्त
केंद्र
सरकार
के
मानदंडों
का
पालन
करें।
बता
दें
कि
देश
में
उत्सर्जन
नियंत्रण
को
रोकने
के
लिए
देश
को
तकरीबन
80,000
करोड़
रुपए
के
उपकरणों
की
जरूरत
है।
इसमे
से
तकरीबन
50
गीगावाट
यानि
25000
करोड़
रुपए
के
उपकरण
भारत
की
कंपनियों
एनटीपीसी
और
अन्य
ने
तैयार
कर
लिए
हैं।
अब हाइवे प्रोजेक्ट में भी चाइनीज कंपनियों पर बैन
बता दें कि हाइवे प्रोजेक्ट में चीन की कंपनियों को मनाही के ऐलान के साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ये भी कहा कि सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि विभिन्न क्षेत्रों में जैसे कि माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज में भी चीनी निवेशकों को जगह न मिले। केंद्रीय रोड ट्रांसपोर्ट, हाइवे और एमएसएमई मिनिस्टर नितिन गडकरी ने कहा कि 'रोड कंस्ट्रक्शन के लिए हम उन ज्वाइंट वेंचर को इजाजत नहीं देंगे जिनमें चाइनीज पार्टनर होंगे। हमने कड़ा रुख अपनाया है कि अगर वो (चाइनीज कंपनियां) हमारे देश में ज्वाइंट वेंचर के जरिए आते हैं तो हम इसकी अनुमिति नहीं देंगे।' उन्होंने कहा कि जल्द ही चाइनीज कंपनियों पर पाबंदी लगाने और भारतीय कंपनियों को हाइवे प्रोजेक्ट में भागीदारी के लिए उनकी पात्रता मानदंड का विस्तार करने के लिए नियमों में ढील देने की नीति बनाई जाएगी। इस समय कुछ ही ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जो काफी पहले से चल रहे हैं और उन्हीं में कुछ चाइनीज पार्टनर्स की भी हिस्सेदारी है। जब गडकरी से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नया फैसला मौजूदा और भविष्य में होने वाले सभी टेंडरों पर लागू होगा।
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