गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण के बाद अब उम्र सीमा में भी छूट देने की तैयारी
नई दिल्ली- पहले कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण दिया था। अब सरकार सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरियों में नियुक्ति की अधिकतम उम्र सीमा को बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। गौरतलब है कि अभी जिन वर्गों को आरक्षण मिलता, उन्हें नियुक्तियों के लिए अधिकतम उम्र में भी छूट दी जाती है। जबकि, सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए उम्र सीमा सबसे कम होती है।
आर्थिक रूप से गरीबों को उम्र सीमा में भी मिल सकती है राहत
दरअसल, सरकारी नियुक्तियों में उम्र सीमा बढ़ाने को लेकर सवर्ण वर्ग के लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय सामाजाकि न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत से मिला था। इस मुलाकात के बाद गहलोत के मंत्रालय ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को पत्र भेजकर इसपर विचार करने का आग्रह किया है। थावरचंद गहलोत की ओर से केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को लिखे पत्र में गुजारिश की गई है कि इस संबंध में अलग-अलग लोगों से मिले प्रतिवेदनों के मुताबिक संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश जारी करें।
अंकों में भी मिल सकती है रियायत
गौरतलब है कि अभी एससी-एसटी समुदाय के अभ्यर्थियों को अधिकतम उम्र सीमा में समान्य वर्ग से 5 वर्ष ज्यादा की छूट मिलती है, जबकि, ओबीसी के अभ्यर्थियों की अधिकतम उम्र सीमा में तीन साल की छूट मिलती है। अब समान्य वर्ग के गरीबों के लिए भी इसी आधार पर छूट में रियायत मांगी गई है। वैसे सामाजिक न्याय मंत्रालय से अभी सिर्फ सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए अधिकतम उम्र की सीमा पर विचार करने का अनुरोध किया गया है। लेकिन, माना जा रहा है कि इस आधार पर उनके लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में अंकों में छूट पर भी विचार किया जा सकता है। क्योंकि, मौजूदा वक्त में जिन वर्गों को आरक्षण की सुविधा मिली हुई है, उनके लिए अंकों में छूट का भी प्रावधान है।
लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सराकर ने लिया था फैसला
इस बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को आर्थिक आधार पर आरक्षण के जुड़ी अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत एससी, एसटी,ओबीसी के साथ सामान्य वर्ग के आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों के लिए भी आरक्षण का प्रावधान है। बता दें मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के अंत में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान देने के लिए कदम उठाया था। इसके बाद बीजेपी शासित कई राज्यों में सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था को लागू कर दी गई। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने 10 फीसदी अतिरिक्त सीटें भी बढ़ा दी हैं।
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