6 साल की ब्रेन डेड बच्ची ने बचाई 5 लोगों की जान, बनी AIIMS की सबसे कम उम्र की ऑर्गन डोनर
6 साल की ब्रेन डेड बच्ची ने बचाई 5 लोगों की जान, बनी AIIMS की सबसे कम उम्र की ऑर्गन डोनर
नई दिल्ली, 19 मई: दिल्ली एम्स में एक 6 वर्षीय बच्ची रोली प्रजापति सबसे उम्र की ऑर्गन डोनर बनी है। ब्रेब डेड बच्ची ने ऑर्गन डोनेट (अंग दान) करके 5 लोगों को जिंदगी दी है। रोली प्रजापति को नोएडा में अज्ञात हमलावरों ने सिर में गोली मार दी थी। जिसकी वजह वह से वह कोमा में चली गई थी। डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया, जिसके बाद माता-पिता ने बच्ची के अंगों को दान करने का फैसला किया। इस तरह 6 वर्षीय बच्ची रोली प्रजापति एम्स, नई दिल्ली के इतिहास में सबसे कम उम्र की अंग दाता बन गई।
बच्ची को बचाने में असफल रहे डॉक्टर
रोली प्रजापति के सिर में गोली लगी जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जल्द ही वह चोट की गंभीरता के कारण कोमा में चली गई और फिर उसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में रेफर कर दिया गया। बच्ची को बचाने के असफल प्रयासों के बाद डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। एम्स के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ दीपक गुप्ता ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया, "साढ़े छह साल की बच्ची रोली 27 अप्रैल को अस्पताल पहुंची थी। उसे गोली लगी थी और उसके दिमाग में एक गोली लगी थी। दिमाग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। वह लगभग ब्रेन डेड हालत में अस्पताल पहुंची। इसलिए, हमने परिवार के सदस्यों से बात की।"
जानिए क्या कहा न्यूरोसर्जन ने
एम्स के न्यूरोसर्जन ने कहा, ''बच्ची की हालत देखते हुए हमने उसे ब्रेन डेथ घोषित किया। इसके बाद, डॉक्टरों की हमारी टीम ने माता-पिता के साथ बैठकर अंग दान के बारे में बात की। हमने माता-पिता को सलाह दी और उनकी सहमति मांगी कि क्या वे अन्य बच्चों के जीवन को बचाने के लिए अंग दान करने के इच्छुक होंगे। बच्ची के माता-पिता अंग दान के लिए मान गए और उन्होंने उसके लिए हामी भरी।'' एम्स के डॉक्टर ने अंगदान करने और पांच लोगों की जान बचाने के लिए रोली के माता-पिता की सराहना की। बच्ची ने लिवर, किडनी, कॉर्निया, हृदय वाल्व डोनेट किए हैं।
बच्ची के माता-पिता ने जीवन बचाने के महत्व को समझा
इस अंगदान के साथ, रोली एम्स दिल्ली के इतिहास में सबसे कम उम्र की डोनर बन जाती है। एम्स के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ दीपक गुप्ता ने कहा, "अंगदान के बारे में ज्यादा जानकारी न होने के बावजूद यह कदम उठाने के लिए हम माता-पिता के बहुत आभारी थे। उन्होंने जीवन बचाने के महत्व को समझा।" एम्स के न्यूरोसर्जन ने खुलासा किया, "हमने 1994 में यहां खुली दान सुविधा शुरू की थी। वास्तव में, मेरी जानकारी के अनुसार, पूरी दिल्ली और एनसीआर में, हमारे पास इतना युवा दाता नहीं था।"
क्या कहा बच्ची के माता-पिता ने?
अपनी बेटी के अंगों को दान करने के बारे में बात करते हुए, रोली के पिता हरनारायण प्रजापति ने एएनआई को बताया, "डॉ गुप्ता और उनकी टीम ने हमें अंग दान के लिए सलाह दी कि हमारा बच्चा अन्य लोगों की जान बचा सकता है। हमने इसके बारे में सोचा और फैसला किया कि वह अन्य लोगों के जीवन में जीवित रहेगी और दूसरों के मुस्कुराने की वजह देगी।" रोली की मां पूनम देवी ने भावनात्मक रूप से उल्लेख किया कि उनकी बेटी ने उन्हें छोड़ दिया है लेकिन अन्य लोगों के जीवन को बचाने में कामयाब रही है।