टैरिफ में 40% बढ़ोत्तरी के बाद जियो को टाटा-बॉय-बॉय कह सकते हैं उपभोक्ता!
बेंगलुरू। सितंबर, 2016 को भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में प्रवेश करने वाली रिलायंस इंफोकॉम 6 दिसंबर से अपने टैरिफ दरों में 40 फीसदी वृद्धि की घोषणा की है। यानी अब तक मुफ्त अलिमिटेड कॉल्स और 5 प्रति जीबी डेटा का लाभ ले रहे 35.4 करोड़ जियो उपभोक्ताओं को 40 फीसदी बढ़ी हुई चुकानी होगी।

हालांकि भारत की शीर्ष कंपनी भारती एयरेटल और वोडाफोन-आइडिया ने भी अपनी टैरिफ में 50-40 फीसदी वृद्धि की घोषणा 1 दिसंबर को ही कर चुकी थी, लेकिन पिछले 3 वर्षों से लगभग मुफ्त डेटा और वॉयस कॉल्स का मजा ले रहे उपभोक्ताओं के लिए बढ़ा हुआ दर पीड़ादायक रहने वाला है, जिसका खामियाजा रिलायंस इन्फोकॉम की सब्सक्राइबर्स पर भी पड़ सकता है।

टैरिफ की कीमतों में वृद्धि की घोषणा करते हुए रिलायंस इंफोकॉम ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि जियो इंफोकॉम अभी भी उपभोक्ता-प्रथम के अपने सिद्धांतों पर टिकी हुई है। इस कारण कंपनी ने टैरिफ में 40 फीसदी तक वृद्धि की घोषणा के साथ 300 फीसदी तक अधिक फायदे उपभोक्ता को देने का ऐलान किया है।

कंपनी ने दलील दी है कि उसने टैरिफ में वृद्धि का ऐलान भारतीय दूरसंचार उद्योग को टिकाऊ बनाने रखने के लिए किया है और आगे भी ऐसे जरूरी कदमों को उठाती रहेगी। हालांकि कंपनी को आगामी 6 दिसंबर के बाद रिलायंस जियो के 35.4 उपभोक्ताओं की वास्तविक प्रतिक्रिया का पता चलेगा।
गौरतलब है यह पहला अवसर होगा जब टैरिफ वृद्धि में घोषणा के बाद जियो उभोक्ता शीर्ष एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियों से जियो की तुलना करेंगे, क्योंकि अभी तक जियो उपभोक्ता मोल-तोल और गुणा-भाग से दूर थे। जियो सब्सक्राइबर्स की संख्या में तेजी से वृद्धि के पीछे मुफ्त अनलिमिटेड कॉलिंग और सस्ती डेटा सर्विस थी, जिससे उपभोक्ता जुड़ते चले गए।

जियो इंफोकॉम द्वारा जियो टैरिफ में वृद्धि की घोषणा के बाद उपभोक्ता अब गुणवत्ता के आधार पर शीर्ष तीनों टेलीकॉम ऑपरेटर्स को जज करेंगी और उन्हीं को चुनेंगी, जो स्पीड, कनेक्टिविटी और नेटवर्क में सबसे बेहतर होगा। अगर ऐसा हुआ तो मौजूदा जियो यूजर्स एक झटके में पुराने टेलीकॉम ऑपरेटर्स की ओर रूख करने में देर नहीं लगाएंगे, क्योंकि जियो अभी 58 फीसदी 2जी यूजर्स की कनेक्टविटी के लिए एयरटेल और वोडाफोन पर निर्भर है।

इससे पहले, रिलायंस जियो ने आईयूसी के नाम पर जियो उपभोक्ताओं से 6 पैसे प्रति मिनट की दर से चार्ज करना शुरू किया था। रिलायंस ने आरोप लगाया था कि ट्राई और शीर्ष टेलीकॉम कंपनियों की मनमानी के चलते आईयूसी की वैधता शून्य नहीं होने के कारण उसे दूसरे नेटवर्क पर कॉल कनेक्टीविटी के लिए अपने उपभोक्ताओं से 6 पैसे चार्ज करने पड़ रहे हैं, लेकिन अब रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड पेशेवर तरीके से टेलीकॉम इंडस्ट्री में उतरने का इरादा कर लिया है, जिससे माना जा रहा है कि जल्द ही अनिलिमिटेड मुफ्त कॉलिंग और सस्ते टैरिफ वाले डेटा सर्विसेज के दिन लदने वाले हैं।
उल्लेखनीय है टेलीकॉम इंडस्ट्री की शीर्ष कंपनियों में शुमार एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने सबसे पहले टैरिफ दर बढ़ाने का ऐलान किया था। दोनों कंपनियों ने सितंबर महीने में खत्म हुई तिमाही में कुल 74000 करोड़ रुपये की नुकसान का हवाला देते हुए टैरिफ दर में बढ़ोत्तरी की मजूबरी बताई थी।

कहा गया कि एजीआर के भुगतान के चलते दोनों कंपनियों को व्यापार में भारी नुकसान झेलना पड़ा है और अगर दोनों कंपनियां टैरिफ दर में बढ़ोत्तरी नहीं करती तो उनका दीवाला निकल सकता है, लेकिन जब रिलायंस जियो ने भी AGR का हवाला देकर ऐलान कर दिया कि वह भी टैरिफ प्लान में बदलाव करने जा रही है, तो जियो उपभोक्ताओं का माथा ठनक गया है।

ऐसा पहली बार है जब रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चैयरमेन मुकेश अंबानी शीर्ष टेलीकॉम कंपनियों के फैसलों के सुर में सुर मिलाया है और रिलायंस जियो के टैरिफ में वृद्धि करने की घोषणा की है। सितंबर, वर्ष 2016 में भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में प्रवेश करने वाली रिलायंस जियो 35.4 करोड़ सब्सक्राइबर्स के साथ भारत की शीर्ष कंपनी बन चुकी है। पिछले तीन वर्ष अकेले ही पूरी टेलीकॉम इंडस्ट्री में राज कर रही रिलायंस जियो ने तब से लेकर अब तक पिछले 20 वर्षों से भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में राज कर रहीं शीर्ष कंपनियों को धूल चटा दिया था।

हालांकि रिलायंस जियो चाहती तो जियो उपभोक्ताओं के हित को देखते हुए टैरिफ नहीं बढ़ाकर एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनी पर पलटवार कर सकती थी और 3 दिसंबर से एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के टैरिफ में प्रस्तावित वृद्धि के बाद उसे भारी मात्रा में एयरटेल और वोडाफोन यूजर्स मिल सकते थे।
इस कदम से न केवल अपने 35.4 करोड़ जियो उपभोक्ताओ को राहत दे सकती थी बल्कि जियो इंफोकॉम एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया से बदला ले सकती थी, जिन पर जियो इंपोकॉम आईयूसी को शून्य करने की वैधता के खिलाफ लॉबिंग करने का आरोप लगाता रहा है।

मालूम हो, सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर माह में दूर संचार विभाग की याचिका पर एक फैसला सुनाया था, जिसके तहत दूर संचार विभाग को ये अधिकार दिया गया कि टेलीकॉम कंपनियों से बतौर एजीआर 94000 करोड़ रुपए वसूले जाएं, जो कुल मिलाकर लगभग 1.3 करोड़ रुपए की रकम बैठती है। इसमें वोडाफोन-आइडिया को सबसे ज्यादा पैसा चुकाना है।
यही कारण है कि सभी कंपनियों ने टैरिफ बढ़ाने के पीछे सरकार द्वारा वसूले जाने वाले एजीआर का हवाला दे रही हैं। एयरटेल और वोडाफोन कंपनियों के साथ रिलायंस जियो द्वारा टैरिफ वृद्धि के लिए उठाया कदम उसके लिए भारी पड़ना तय है, क्योंकि तीन वर्षों से मुफ्त सेवाओं का लाभ ले रहे जियो उपभोक्ता टैरिफ में समान वृद्धि के बाद अपने पुराने खोल में लौट जाएं तो आश्चर्य नहीं होगा।

मनोविज्ञान भी कहता है कि लत जल्दी छूटती नहीं है। जो उपभोक्ता पिछले तीन वर्षों से मुफ्त अनलिमिटेड मुफ्त कॉलिंग का सुख भोग रहे थे और अब उन्हें जब स्टैंडर्ड दरों पर जियो सर्विसेज मिलेंगी तो प्रतिकार कर सकते हैं, जिसका लाभ एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को मिल सकता है। कहते हैं कि ग्राहक और मौत किसी के सगे नहीं होते हैं, वो कभी पलट सकते हैं।

अगर ऐसा हुआ तो सबसे अधिक झटका रिलायंस जियो को ही होगा, क्योंकि अभी भी भारतीय जनमानस में एयरटेल और वोडाफोन एलीट क्लास वाले टेलीकॉम ऑपरेटर्स की श्रेणी में बरकरार हैं। रिलायंस जियो अभी सेकेंडरी टेलीकॉम कंपनी में शुमार है, जिसे सस्ते वीडियो और ऑडियो कॉल के लिए हर तबके का उपभोक्ता किफायतन इस्तेमाल करता हैं।
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