150th Gandhi Jayanti: कांग्रेस को फिर याद आए महात्मा गांधी!
बेंगलुरू। 130 साल पुरानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं वर्षगांठ यानी 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर पूरे देश में पैदल मार्च करने जा रही है। कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित तीन किलोमीटर पैदल यात्रा में कांग्रेस के शीर्ष नेता से लेकर जिलाध्यक्ष तक के सभी नेताओं को शामिल होने का आदेश दिया गया है।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी जहां दिल्ली में आयोजित होने वाली पदयात्रा में शिरकत करेंगी। वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लखनऊ में पदयात्रा की कमान संभालेंगी। जबकि पूर्व कांग्रेस राहुल गांधी वर्धा स्थित गांधी आश्रम से पदयात्र की शुरूआत करेंगे।
ऐसा लगता है कि चुनाव दर चुनाव में हार का सामना कर रही कांग्रेस के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक बार फिर मजबूरी बन गए हैं वरना गांधी सरनेम से भारत पर करीब 6-7 दशक तक राज कर चुकी कांग्रेस को आजादी के 72 वर्षों बाद आज गांधी जयंती पर पैदल मार्च की जरूरत नहीं पड़ती।
महात्मा गांधी के नाम पर आयोजित किए जाने वाले पैदल मार्च के लिए संजीदगी का आलम यह है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने सभी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हिदायत दी है कि जो व्यक्ति जिस भी पद है और जिस भी क्षेत्र में है, वहीं पर गांधी टोपी लगाकर कम से कम तीन किलोमीटर की पदयात्रा को अंजाम दे। यानी लेकर कांग्रेस के लिए एक बार फिर महात्मा गांधी सत्ता की बैशाखी बन गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस पार्टी इस बार गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर से लेकर 9 अक्टूबर तक गांधी सप्ताह के रूप में मनाएगी। इस दौरान कांग्रेस नेता न केवल पूरे देश में पद यात्राएं करेंगे बल्कि दलित बस्तियों में जाकर उनकी परेशानियां भी सुनेंगे। बताया जा रहा है कि इस दौरान पार्टी कुछ जगहों पर स्वच्छता अभियान भी चलाएगी। मालूम हो, कांग्रेस द्वारा गांधी जंयती पर गांधी सप्ताह मनाने की घोषणा उस वक्त की गई है जब बीजेपी ने सरदार पटेल और महात्मा गांधी को लगभग उनके पाले से लगभग खींच चुकी है।
हाल ही मोदी सरकार ने भारत की एकता और अखंडता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार शुरू किया है। पिछले वर्ष सरदार पटेल की जयंती 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंचे कांसे की मूर्ति का अनावरण किया था। स्टेय्यू ऑफ यूनिटी नामक सरदार पटेल की यह मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्तियों में शुमार है। वर्ष 2014 में मोदी सरकार-1 के दौरान ही स्वच्छ भारत अभियान चलाकर प्रधानंत्री मोदी ने महात्मा गांधी को लगभग कांग्रेस से हाईजैक कर लिया था।
उल्लेखनीय है वर्ष 1924 में कर्नाटक के बेलगाम में कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए महात्मा गांधी ने अपने अंतिम दिनों में आज़ाद भारत में कांग्रेस की बदली हुई भूमिका के बारे में गंभीरता से सोच रहे थे और अपनी हत्या के तीन दिन पहले यानी 27 जनवरी 1948 को लिए एक नोट में लिखा था कि अपने वर्तमान स्वरूप में कांग्रेस अपनी भूमिका पूरी कर चुकी है और अब इसे भंग करके एक लोकसेवक संघ में तब्दील कर देना चाहिए। महात्मा गांधी द्वारा लिखा गया यह नोट एक लेख के रूप में 2 फ़रवरी 1948 को उनकी अंतिम इच्छा और वसीयतनामा शीर्षक से हरिजन में प्रकाशित हुआ।
महात्मा गांधी ने अपनी हत्या के 24 घंटे पहले कांग्रेस को भंग करने और उसकी जगह लोकसेवक संघ की स्थापना करने की बात कहते हैं, जो कि जनता की सेवा के लिए बनाया गया एक संगठन होगा, लेकिन महात्मा गांधी की आखिरी और अंतिम इच्छा का सम्मान न करते हुए तत्कालीनी कांग्रेस ने जन आंदोलन से उभरे एक दल को राजनीतिक दल में तब्दील कर सत्ता की फसल काटती रही। वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी पर अस्तित्व का संकट गहराया हुआ है। कांग्रेस पार्टी नेतृत्व के संकट से जूझ रही है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पद छोड़ने के बाद सोनिया गांधी को पार्टी अंतरिम अध्यक्ष इसलिए चुनना पड़ गया ताकि पार्टी को विखंडित होने से बचाया जा सके।
महात्मा गांधी की 150वीं जंयती के अवसर पूरे भारत में गांधी सप्ताह मनाने की कवायद में जुटी कांग्रेस अपने काले इतिहास से पीछा नहीं छुड़ा पाएगी। 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती को पूरा विश्व अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाता है, लेकिन 1984 में कांग्रेसी राज में हजारों सिखों का नरसंहार और हिंसा में कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं की संलिप्तता कांग्रेस के क्रिया-कलापों पर सवाल खड़ा करती हैं। अहिंसा और सदभावना को हथियार बनाकर देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त करने वाले महात्मा गांधी का इस्तेमाल कांग्रेस ने सिर्फ सियासी फसल काटने के लिए किया है। आज भी 1984 में हुए सिख दंगों के आरोपी कई कांग्रेस नेता जेल में बंद हैं और कुछ तो आज भी ट्रायल पर है।
कांग्रेस कितना महात्मा गांधी के मूल्यों और आदर्शो का ख्याल रखती है। इसकी बानगी वर्ष 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री बनाए गए उनके पुत्र राजीव गांधी द्वारा दिए गए एक बयान है, जिसने सिखों के खिलाफ पूरे देश में हुए हिंसा और खूब-खराबों की तीक्ष्णता प्रदान की। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जारी एक वक्तव्य ने कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो आसपास की जमीन में कंपन होना स्वाभाविक हैं। एक कांग्रेसी प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया यह बयान देश में सिखों के खिलाफ जारी हिंसा और दंगा को न्यायोचित ठहराने जैसा था, इस दौरान कांग्रेस द्वारा महात्मा गांधी के मूल्यों और आदर्शों की सीमाएं ही नहीं लांघी, बल्कि उसकी सीमाएं तोड़ दी थीं।
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रस्तावित पैदल यात्राएं कांग्रेस के लिए कितना फलदायी होंगी, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन कांग्रेस पार्टी को जिंदा रखने के लिए गांधी परिवार और कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी एड़ी-चोटी का जोर जरूर लगा रहे हैं।
कांग्रेस की यह जोर आजमाइश महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कांग्रेस इस मुहिम को लोकसभा चुनाव 2024 की आधारशिला के रूप में देख रही है। यह सच है कि कांग्रेस के पास अब खोने को कुछ नहीं है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को एक फिर अपने पाले में लाने की उसकी कवायद भविष्य में उसके लिए मददगार जरूर साबित होंगे।
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