भाजपा से कांग्रेस में आए नेताओं की टिकट दावेदारी का विरोध, वर्चस्व की लड़ाई आलाकमान तक पहुंची
शिमला, 1 अगस्त। भाजपा छोड़ कांग्रेस में आने वाले नेताओं को लेकर प्रदेश कांग्रेस में घमासान मच गया है जिससे पार्टी के नेता इस मामले पर बंट गये हैं। एक गुट जहां भाजपा नेताओं को कांग्रेसी खेमे में आने का स्वागत कर रहा है तो दूसरा गुटा इसके विरोध में उतर आया है। कांग्रेस नेताओं में चल रही वर्चस्व की लड़ाई दिल्ली दरबार तक पहुंच गई है जिससे मामला पेचीदा हो गया है और कांग्रेस में मन रहे जश्न के माहौल में खलल पड़ गया है।
दरअसल , पिछले दिनों जिस तरीके से ठियोग के पूर्व विधायक राकेश वर्मा की पत्नी इंदु वर्मा , बंजार से पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष खीमी राम और दूसरे भाजपा नेताओं की कांग्रेस में एंट्री हुई है, उसका विरोध स्थानीय स्तर पर होने लगा है। खासकर शिमला जिला के ठियोग निर्वाचन क्षेत्र के पुराने कांग्रेस नेता भाजपा नेत्री इंदु वर्मा की कांग्रेस में एंट्री को पचा नहीं पा रहे हैं। भाजपा विधायक रहे दिवंगत राकेश वर्मा की पत्नी इंदु वर्मा की प्रदेश कांग्रेस में हुई एंट्री का विरोध शुरू हो गया है। स्थानीय कार्यकर्ता को टिकट देने की मांग को लेकर ठियोग के कांग्रेस नेता दिल्ली पहुंच गए हैंं। चूंकि इंदु वर्मा ने भाजपा में शामिल होते अपनी चुनाव लडने की महत्वाकांक्षा को जाहिर किया था। अगर इंदु वर्मा भी टिकट के लिये मैदान में आ जाती हैं तो ठियोग की राजनिति में टिकट की लड़ाई तेज होगी और चुनावों से पहले ही कांग्रेस कई गुटों में बंट जायेगी।
ठियोग से पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर चुनाव लड़ने की तैयारी में थे। बताया जा रहा है कि कुछ माह पहले जब उन्हें हटाया गया तो कांग्रेस हाईकमान उन्हें ठियोग से चुनाव लड़वाने का भरोसा दिया था। उनके साथ दीपक राठौर भी कांग्रेस से टिकट के दूसरे प्रबल दावेदार रहे हैं। उन्हें पिछली बार वीरभद्र सरकार की तत्कालीन वरिष्ठ मंत्री विद्या स्टोक्स का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया गया था लेकिन वह चुनाव हार गये थे। जाहिर है इंदु वर्मा के भाजपा छोड़ कांग्रेस में आने के बाद ठियोग में अब कांग्रेस टिकट के तीन दावेदार हो गये हैं। इसके साथ ही प्रियंका गांधी वाड्रा और गांधी परिवार के करीबी केहर सिंह खाची भी ठियोग से ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। खाची प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हैं। और शिमला जिला कांग्रेस में लोकप्रिय नेताओं में शुमार हैं। रोचक तथ्य यह है कि एक जमाने में ठियोग के तमाम नेताओं का तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध नहीं रहे हैं। यही वजह है कि नेताओं को लगता है कि सारे घटनाक्रम में इंदु वर्मा को कांग्रेस में लाने से पहले उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। ठियोग मंडल के कांग्रेस नेताओं ने उनकी एंट्री के विरोध में एक प्रस्ताव पास कर पार्टी आलाकमान को भेजा है। व्यापक विरोध के बीच केहर सिंह खाची की अगुवाई में ठियोग के कांग्रेस नेता दिल्ली में अपना विरोध दर्ज कराकर आये हैं।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस नेता केहर सिंह खाची और उनके साथ ठियोग कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला और महासचिव के सी वेणुगोपाल के साथ मिले हैं। उन्होंने पार्टी आलाकमान को ठियोग कांग्रेस मंडल की ओर से प्रस्ताव सौंपते हुए हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुईं इंदु वर्मा को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देने की वकालत की है। इंदु वर्मा बीते दिनों दिल्ली में प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला के समक्ष कांग्रेस में शामिल हुई थीं। प्रदेश कांग्रेस के अधिकांश नेताओं को इसकी भनक तक नहीं लगी। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप सिंह राठौर का ठियोग गृह विधानसभा क्षेत्र है। पार्टी नेताओं ने इंदु वर्मा को पार्टी में शामिल करने के लिए उनसे भी कोई राय मशवरा नहीं किया। इसको लेकर कुलदीप राठौर के समर्थकों में भारी रोष है।
ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष नरेंद्र कंवर ने बताया कि राष्ट्रीय नेतृत्व से ठियोग विधानसभा क्षेत्र से स्थानीय कार्यकर्ता को पार्टी का प्रत्याशी बनाने की मांग की गई। जो लोग अभी पार्टी में शामिल ही हुए हैं, वह कार्यकर्ता नहीं हो सकते हैं। कार्यकर्ता बनने के लिए कार्य करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष केहर सिंह खाची और सचिव अनीता वर्मा ने दिल्ली में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला और केंद्रीय चुनाव कमेटी के सदस्य मुकुल वासनिक से मुलाकात की है। कांग्रेस नेता केहर सिंह खाची ने बताया कि मीटिंग में प्रदेश की राजनीति व राजनीतिक घटना क्रम पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई और कांग्रेस पार्टी को केसे मजबूत किया जाए, क़ैसे हमारा कांग्रेस परिवार मजबूत हो इस पर हमने हमारे संगठन नेतृत्व के सामने विस्तार से अपने विचार रखे। सब वरिष्ठ नेताओ ने हमारी बातों को ध्यानपूर्वक सुना और कहा भविष्य में हम सब अपने कांग्रेस परिवार व पार्टी के कार्यकर्ताओं को मिलकर मजबूत करेंगे।
हिमाचल चुनाव से पहले कांग्रेस को मजबूत करने में लगे प्रभारी राजीव शुक्ला, गुटबाजी अभी भी बरकरार
गौरतलब है कि 2012 में जब विधानसभा हलकों का पुनर्सीमांकन हुआ तो राकेश वर्मा के प्रभाव वाला बलसन का क्षेत्र ठियोग से कटकर चौपाल में चला गया। इसके बाद उन्हें चुनाव लड़ने में दिक्कत आई। वह 2012 और 2017 के दोनों चुनाव हार गए। कुछ क्षेत्र कसुम्पटी में चला गया। ऐसे में वर्मा परिवार का प्रभाव इन तीनों हलकों में है और इस बार उनकी यहां राह आसान नहीं है। कुछ ऐसा ही माहौल बंजार चुनाव क्षेत्र में खीमी राम की एंट्री को लेकर है। स्थानीय कांग्रेस नेता उनकी एंट्री का विरोध कर रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस दोनों ही नेताओं की एंट्री भुनाने में लग गई है। खीमी राम बंजार और इंदु वर्मा ठियोग से कांग्रेस टिकट के लिए भी दावेदारी में हैं। यह अलग बात है कि दोनों हलकों में कांग्रेसियों को एक करना भी कांग्रेस की बड़ी चुनौती होगी।