मोदी का हिमाचल वाला प्यार कहीं ले ना डूबे! सर्द फिजाओं में गरमाती राजनीति
एक वजह है कि अब नए सिरे से BJP में लॉबी सक्रीय हो गई हैं। मोदी के प्यार को देखकर पार्टी के नेताओं को प्रदेश में चली आ रही अपनी-अपनी मेहनत मिट्टी में मिलती दिख रही है।
शिमला। चुनावी दहलीज पर बैठी हिमाचल भाजपा में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिलासपुर रैली के बाद नया घमासान शुरू हो गया है। भाजपा के एक खेमे को मोदी का नड्डा प्रेम रास नहीं आ रहा है। यही वजह है कि अब नए सिरे से नड्डा विरोधी लॉबी सक्रीय हो गई हैं। हालांकि बिलासपुर में एम्स अस्पताल के शिलान्यास के साथ ही भाजपा ने प्रदेश में चुनावी समर के लिए ताल ठोक दी है। लेकिन प्रदेश भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी ने बिलासपुर दौरे के दौरान बातों-बातों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा की तारीफ में कोई कमी नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में नड्डा आरोग्य मंत्री हैं और ये लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए नई-नई योजनाएं बना रहे हैं। इंद्रधनुष टीकाकरण अभियान को बेहतर बताते हुए मोदी ने सभी कार्यकर्ताओं से भी इसमें सहयोग करने की अपील की ताकि दीवाली से पहले इस टारगेट को पूरा किया जा सके।
मंच पर करीब दिखे दोनों
नड्डा को मिला ये महत्व उन्हें सीएम पद की दौड़ में अग्रिम पंक्ति में खड़ा कर रहा है। मंच पर जिस समय नड्डा का गुणगान मोदी कर रहे थे, तो उस समय नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल और उनके सांसद बेटे अनुराग ठाकुर अपने आपको असहज महसूस कर रहे थे। खास बात ये रही कि पीएम मोदी ने वन पेंशन वन रैंक (ओआरओपी) का जिक्र तो किया लेकिन प्रो. प्रेम कुमार धूमल का नाम नहीं लिया। इससे पहले पीएम मोदी ओआरओपी का श्रेय धूमल को देते रहे हैं लेकिन इस बार स्वर और तेवर पूरी तरह बदले नजर आए।
मंच पर नड्डा पीएम मोदी के दाहिनी तरफ बैठे। मोदी की बाईं तरफ प्रेम कुमार धूमल और उनके साथ सतपाल सिंह सत्ती बैठे थे। मोदी मंच पर आए, तब से उन्होंने धूमल से केवल एक बार बात की जबकि रैली में भीड़ देख कर उन्होंने नड्डा से मंच पर कई बार बात की। इस दौरान जब धूमल मंच पर भाषण देने उठे तो उनकी कुर्सी पर उनके बेटे और हमीरपुर के सांसद बैठ गए। हालांकि मोदी का ध्यान खींचने में वे कामयाब नहीं हो पाए।
दूर बैठे ताकते रहे पहले वाले
एम्स की स्थापना को लेकर पहले ही अनुराग ठाकुर और नड्डा के बीच तनातनी चल रही है। मंच पर भी अनुराग इसके क्रेडिट को लेकर प्रयास करते दिखे। अनुराग ने बकायदा मंच से ये बात कही कि राज्य में एम्स की स्थापना के लिए उन्होंने समय-समय पर केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार को भी पत्र लिखे ताकि राज्य में लोगों के इलाज के लिए बेहतर सहूलियतें मिल सकें। अब रैली में नड्डा को मिले महत्व को लेकर नया बवाल खड़ा हो गया है। रैली की सफलता से नड्डा के समर्थकों में खुशी की लहर है। उनके नेता को खुद मोदी ने मंच से तरजीह दी। नड्डा समर्थकों की दलील है कि आने वाले दिनों में पार्टी उनके नेता को ही भावी सीएम के तौर पर पेश करेगी। लेकिन धूमल खेमे को ये सब रास नहीं आ रहा। धूमल समर्थक अपने तरीके से अपनी बात रख रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि धूमल मोदी के करीब पहले से ही हैं। इस करीबी को दिखाने के लिए सोशल मिडिया में बाकायदा एक अभियान छेड़ा गया है। जिससे पार्टी की एकता के दावे धराशायी होते दिख रहे हैं।
जो जिसका मुरीद, उसके साथ
दरअसल हिमाचल भाजपा में अरसे से धूमल और शांता कुमार के बीच कशमकश रही है। हालांकि शांता कुमार उम्र के फॉर्मूले के तहत सक्रीय तौर पर किसी अहम पद पर नहीं हैं। लेकिन प्रदेश में एक बड़ा वर्ग उनका मुरीद रहा है। पार्टी में भी उनका प्रभाव कायम है। कांगड़ा संसदीय चुनाव क्षेत्र में तो शांता कुमार की वजह से ही भाजपा प्रत्याशियों की हार-जीत होती देखी जाती रही है। इसके चलते अब शांता कुमार केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के साथ कदमताल करते दिख रहे हैं। जिससे नड्डा को मजबूती मिली है।
सर्द हवाओं के बीच सुलगती राजनीति!
वहीं शांता नड्डा की ये जुगलबंदी नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल के खेमे को रास नहीं आ रही। हिमाचल में धूमल और शांता कुमार के बीच जो पहले गुटबाजी थी वो अब नड्डा और धूमल खेमे में पहुंच गई है। अब सत्ता हासिल करने के लिए नड्डा-धूमल गुट एक-दूसरे को पटखनी देने में जुटे हुए हैं। खुद प्रेम कुमार धूमल की भी कोशिश रही है कि इस बार प्रदेश की कमान चुनाव से पहले उनके हाथों में हो। लेकिन उनके सामने भी उम्र का फॉर्मूला आड़े आ रहा है, धूमल अगले साल 75 के हो जाएंगे।
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