कोटखाई गैंगरेप और मर्डर केस में चारों आरोपियों को मिली जमानत
शिमला। बहुचर्चित कोटखाई गैंगरेप मर्डर केस के आरोपी आशीष की जमानत के बाद आज बाकी चार आरोपियों सुभाष बिस्ट (42) गढ़वाल, लोकजन उर्फ छोटू (19) नेपाल, राजेंद्र सिंह उर्फ राजू (जंजैहली) और दीपक (38) पौड़ी गढ़वॉल को अदालत ने जमानत दे दी। अदालत ने एक हफ्ते के अंदर (31 अक्तूबर) आरोपियों को बेल बांड भरने के निर्देश दिए। गौरतलब है कि आरोपी आशीष चौहान (आशु) को कोर्ट ने 14 अक्तूबर को जमानत दी थी। जिला एवं सत्र न्यायालय ने 90 दिन के भीतर पुख्ता सबूत न जुटा पाने और चार्जशीट न दे पाने के कारण आशीष को जमानत दे दी थी। अदालत ने उसे 1 लाख रुपए के निजी मुचलके और 10-10 लाख रुपए के 2 जमानती वारंट पर रिहा किया है। आशीष चौहान को कोटखाई मामले में 12 जुलाई की रात को पुलिस की एसआईटी ने गिरफ्तार किया था और 13 जुलाई को पांच और आरोपी गिरफ्तार किए गए थे। इस बीच, 18 जुलाई की रात के पुलिस लॉकअप में एक आरोपी सूरज की हत्या हो गई थी और इसके बाद सरकार ने यह मामला जांच को सीबीआई को भेज दिया था।
क्या
है
पूरा
मामला
4
जुलाई
को
शिमला
स्थित
कोटखाई
में
एक
छात्रा
स्कूल
से
लौटते
वक्त
लापता
हो
गई
थी।
दो
दिनों
बाद
6
जुलाई
को
कोटखाई
के
जंगलों
में
छात्रा
की
निर्वस्त्र
हालत
में
लाश
मिली
थी।
छात्रा
की
गैंगरेप
के
बाद
बेरहमी
से
हत्या
की
गई
थी।
शुरूआत
में
केस
की
जांच
कर
रही
एसआईटी
ने
इस
मामले
में
6
लोगों
को
गिरफ्तार
किया
था।
इसी
मामले
में
आरोपी
सूरज
की
कास्टोडियल
डेथ
के
मामले
में
आरोपी
आईजी
जहूर
एच
जैदी
समेत
एसआईटी
के
आठ
पुलिस
अफसरों
की
जुडिशियल
कस्टडी
सोमवार
को
अदालत
ने
बढ़ा
दी
थी।
सोमवार
को
वीडियो
कान्फ्रेंसिंग
के
माध्यम
से
इनकी
जिला
अदालत
में
पेशी
हुई।
जिसके
बाद
अदालत
ने
सभी
आरोपियों
को
11
दिन
की
जुडिशियल
कस्टडी
में
भेज
दिया
है।
अब
इस
मामले
पर
सुनवाई
28
अक्तूबर
को
होगी।
क्या
है
मामला
सूरज
की
हत्या
के
मामले
में
19
जुलाई,
2017
को
कोटखाई
थाने
में
आईपीसी
की
धारा
302
के
तहत
एफआईआर
(नंबर
101/2017)
दर्ज
की
गई
थी।
इस
मामले
में
आईजी
जहूर
जैदी,
डीएसपी
मनोज
जोशी,
कोटखाई
थाना
के
तत्कालीन
थाना
प्रभारी
राजेंद्र
सिंह,
एएसआई
दीपचंद,
तीन
हैड
कांस्टेबल
सूरत
सिंह,
मोहन
लाल,
रसिक
मोहम्मद
और
कांस्टेबल
रंजीत
को
गिरफ्तार
किया
था।
सीबीआई
का
आरोप
है
कि
सूरज
हत्याकांड
को
पुलिस
कर्मियों
ने
ही
अंजाम
दिया
और
इस
मामले
की
जांच
को
बनाई
गई
एसआईटी
के
प्रमुख
आईजी
जैदी
ने
न
केवल
असलियत
को
छिपाने
में
अहम
भूमिका
निभाई
बल्कि
हत्या
का
इलजाम
एक-दूसरे
पर
थोप
दिया।
ये भी पढ़ें- एक ही आदमी से दो महिलाओं ने की थी शादी, सिर कटी मिली लाश